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तिल-तिल जीवन खो रही यह बच्ची, दुर्लभ बीमारी से पीड़ित, इलाज में आ रहा 18 करोड़ खर्च

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तस्वीर में अपने माता-पिता के साथ गोद में खेल रही यह बच्ची न सामान्य है और न असामान्य है। इसके एक दुर्लभ बीमारी है स्वाइन मस्कुलर एट्रॉपी टाइप-2 (SMA2)। बच्ची के पिता को दो साल पहले चंडीगढ़ PGI में पता चला कि बच्ची को दुनिया की सबसे गंभीर व दुर्लभी बीमारी है। इसका इलाज तो संभव है, लेकिन इतना महंगा है कि मदीहा के गरीब माता-पिता उसका इलाज नहीं करा सकते। पीजीआई ले इसके लिए करीब 16 से 18 करोड़ रुपए का खर्च बताया है। बीते एक साल में उन्हें महज 1 लाख रुपए की मदद ही मिल सकी है।

MADEEHA

छतरपुर जिले में छतरपुर शहर के रहने वाले शेख जाकिर और सायना ख़ातून की ढाई साल की बेटी शेख मदीहा को गंभीर बीमारी Spinal muscular atropy type-2 होने का मामला सामने आया है। जिसकी बीमारी ठीक होने में तकरीबन 18 करोड़ तक का अधिकतम खर्च बताया जा रहा है। बच्ची को पिलाई जाने वाली 1 सीरप की सीसी की कीमत ही 6 से 9 लाख रुपए तक बताई जा रही है। बीमारी का पता उन्हें बेटी के जन्म के 6 माह बाद लगा, जब वे उसे लेकर इलाज कराने चंडीगढ़ पहुंचे थे। पीजीआई के डॉक्टरों ने शेख जाकिर को बताया है कि इलाज तो पीजीआई में हो सकता है, लेकिन इसकी दवा विदेशों से आती है, इंडिया में इसकी दवा उपलब्ध नहीं है, न बनाई जाती है। यह दवाएं अमेरिका और जापान में तैयार होती हैं।

MADEEHA

सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट कर मदद मांग रहे
मदीहा के पिता कार डेंटिंग का काम करते हैं। उनकी महीने की आमदनी लगभग 15 हजार रुपए के आसपास है। वे लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से मदद मांग रहे हैं। अब तक मदीहा को तक़रीबन 1 लाख रुपए की मदद मिल चुकी है, जो उसके एकाउंट में आ चुके हैं। सोशल मीडिया के अलावा उन्होंने फिल्म अभिनेता सोनू सूद सहित अन्य सेलिब्रिटी को बेटी की बीमारी के संबंध में जानकारी पोस्ट और टैग करते हुए मदद मांगी है, लेकिन फिलहाल तक कोई मदद नहीं मिल सकी है।

विधायक ने एस्टीमेट बनवाने भेजा, 20 हजार खर्च आया, दिए महज 10 हजार
मदद के नाम पर कुछ लोग जरा-जरा सी मदद कर क्रेडिट लेने और श्रेय लेने की होड़ मचा रखे हैं। हालांकि जाकिर के कुछ दोस्तों ने जरुर आर्थिक मदद की है, लेकिन वह घर खर्च में ही लग गई। जाकिर के अनुसार मदद के लिए वह छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी के यहां गए थे, तो उन्होंने एस्टीमेट बनवाने के लिए बोला था। जाहिर इसके लिए चंडीगढ़ गए एस्टीमेट बनाकर लाया तो उसका चंडीगढ़ जाने.आने और रुकने में तकरीबन 20 हजार रुपए का खर्च हो गया। स्टीमेट लेकर विधायक के पास गया तो विधायक ने उसे महज 10 हजार रुपए थमा दिए। जिसके बाद उसने आहत होकर वह राशि उन्हें वापस कर दी।

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क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी टाइप-2 बीमारी
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनीष जैन के अनुसार स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी टाइप-2 बीमारी में मांसपेशियां बनना बंद हो जाती हैं और शरीर का विकास रुक जाता है। मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। शरीर पर मांस और हड्डियां बचतीं हैं, शरीर सूखता जाता है। पीड़ित बच्चों के फेंफड़े सिकुड़ने लगते हैं। इससे उनमें इन्फ़ेक्शन होने लगता है और सांस लेने में दिक्कत आने लगती है। सबसे अहम आम इलाज तो इंडिया में हैं, लेकिन दवाएं यहां उपलब्ध नहीं हैं। ईलाज के दौरान कुछ हद तक बच्चे ठीक होते हैं, लेकिन प्रौढ़ावस्था तक आने पर वह अपनी पूरी जिंदगी नहीं जी पाते।

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English summary
Madeeha is not able to play like normal children, her legs are not able to take her own weight. This girl of only two and a half years has a rare disease. Muscles and flesh are not being made in his body. Its treatment is available in India, but the medicines come from abroad. Chandigarh PGI has told the cost of Madiha's total treatment as Rs 18 crore. Due to lack of treatment, this girl is losing her life every now and then.
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