मध्य प्रदेश सरकार का नया फरमान, छात्र पर केस हुआ तो कॉलेज में एडमिशन नहीं
भोपाल, 29 जुलाई: मध्य प्रदेश में अब आपराधिक छात्रों को लेकर नया आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत उच्च शिक्षा विभाग ने आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे छात्रों को यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रवेश लेने से रोकने के लिए नई गाइड लाइन जारी की है। राज्य में प्रवेश प्रक्रिया 1 अगस्त से शुरू होने वाली है और लगभग 1.17 मिलियन छात्रों के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए आवेदन करने की उम्मीद है। एडमिशन पाने के इच्छुक छात्रों को घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
इस
अधिसूचना
के
बाद
यह
साफ
हो
गया
है
कि
आपराधिक
लोगों
की
अब
कॉलेज
और
यूनिवर्सिटी
में
किसी
भी
तरह
की
दखलंदाजी
नहीं
होगी।
वहीं
ऐसे
छात्रों
के
खिलाफ
आपराधिक
प्रकरण
कोर्ट
में
चल
रहे
हैं
या
फिर
चालान
अदालत
में
प्रस्तुत
किया
जा
चुका
है।
उन्हें
एडमिशन
से
हाथ
धोना
पड़ेगा।
जानकारी
के
अनुसार
कॉलेज
के
प्रिंसिपलों
को
हर
छात्र
से
अंडरटेकिंग
लेने
के
लिए
कहा
गया
है
कि
वह
भारत
के
किसी
भी
राज्य
में
किसी
आपराधिक
आरोप
का
सामना
नहीं
कर
रहा
है।
कुल
मिलाकर
छात्र
पर
केस
हुआ
तो
कॉलेज
में
एडमिशन
नहीं
होगा।
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वहीं फैकल्टी, स्टाफ या अन्य छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए गए छात्रों को भी प्रवेश नहीं मिलेगा। एडमिशन के लिए 48 पन्नों की नई नियम पुस्तिका 15 जुलाई को अधिसूचित की गई थी और इस हफ्ते की शुरुआत में कॉलेजों को उपलब्ध करा दी गई है। इधर, छात्र नेताओं ने नियमों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वैचारिक आधार पर छात्रों को निशाना बनाने और सरकार या कॉलेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।