'भगवान गणेश' के लिए युवक ने खुद को किसान के पास रखा गिरवी, 10 माह तक खेतों में बहाएगा पसीना
श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में आस्था से जुड़ा एक अजीब मामला सामने आया है। गणपति महोत्सव के लिए रुपयों का जुगाड़ नहीं कर पाने के लिए एक व्यक्ति को खुद को गिरवी रखना पड़ा है। अब इसे 10 माह तक किसान के पास गिरवी रहकर उसके खेत में काम करना होगा। गांव की वर्षों परम्परा के तहत ग्रामीणों ने यह फैसला लिया है।
बता दें कि श्योपुर जिले का कराहल आदिवासी बाहुल्य इलाका है। यहां हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति महोत्सव मनाया जाता है। उसमें गांव के लोग बोली लगाकर गणपति की माला लेते हैं। गणपति की माला लेने का मतलब यह है कि हर साल परिवार आगामी महोत्सव पर खर्च होने वाली राशि वहन करने को तैयार होता है, जिसे गणपति की माला लेना कहा जाता है। इसके लिए बोली भी लगाई जाती है। यह भी मान्यता है कि माला लेने वाले परिवार का भाग्य बदल जाता है।
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पिछले साल के गणेश महोत्सव में आदिवासी युवक श्रीराम ने परिवार का भाग्य बदलने की उम्मीद से 25 हजार रुपए की बोली लगाकर गणपति की माला ली थी, मगर लाख कोशिशों के बाद भी श्रीराम माला के 25 हजार रुपए का इंतजाम तय समय पर नहीं कर सका। ऐसे में श्रीराम ने एक किसान से 25 हजार रुपए उधार लेकर महोत्सव का खर्च वहन किया। बदले में श्रीराम ने खुद को किसान के पास गिरवी रखा है। अब उसको दस माह तक किसान के खेत में मजदूरी करनी पड़ेगी।
समाज से बहिष्कार का डर
भगवान गणपति की माला से जुड़ी इस अनूठी परम्परा के तहत महोत्सव के लिए राशि का इंतजाम नहीं पाने के कारण पूर्व में कई लोग खुद सूदखोरों के पास गिरवी रख चुके हैं। यह इसलिए करना पड़ता है क्योंकि जो राशि नहीं जुटा पाता है। उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। इस डर से कई लोग एनवक्त पर उधार लेकर राशि का जुगाड़ करते हैं।
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