50 फीसदी आरक्षण के साथ होंगे मप्र में चुनाव, OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
भोपाल 18 मई, एमपी में पंचायत नगरीय चुनाव में OBC आरक्षण मुद्दे पर बीजेपी सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिल गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने एक हफ़्ते में चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि चुनाव में आरक्षण किसी की हालत में 50 फीसदी से ज्यादा न हो। जिसमें ओबीसी, एसटी/एसटी सम्मिलित रहेंगे।अदालत के फैसले के बाद बीजेपी जहाँ अपनी जीत मान रही है तो विपक्ष इस फैसले को अपने पक्ष में होने का दावा कर रहा है।
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अदालत का फैसला आने के बाद अपने पक्ष में बड़ी जीत मान रही मप्र सरकार ने इस सिलसिले में एक संसोधन याचिका दायर की थी। जिस पर कल यानि मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। जिसमें सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की आरक्षण संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी आज कोर्ट का फैसला आते ही स्पष्ट हो गया है, कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव साल 2022 के परिसीमन के आधार पर ही होंगे। इस मामले में सरकार की ओर से दलील दी गई कि 2011 की जनसँख्या जनगणना में ओबीसी की 51% आबादी दर्ज है, लिहाजा ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए।
50
फीसदी
से
ज्यादा
न
हो
आरक्षण-
सुप्रीम
कोर्ट
शीर्ष
अदालत
ने
इस
महत्वपूर्ण
मामले
में
स्पष्ट
किया
है
कि
आरक्षण
पचास
फीसदी
से
ज्यादा
कतई
नहीं
होना
चाहिए।
बगैर
रोटेशन
पंचायत
चुनाव
कराने
के
राज्य
सरकार
के
फैसले
को
कांग्रेस
नेता
सैयद
जाफर
ने
अदालत
में
चुनौती
दी
थी।
मप्र
राज्य
के
आंकड़ों
पर
गौर
करे
तो
एससी
और
एसटी
वर्ग
को
मिलाकर
आरक्षण
का
आंकड़ा
36
फीसदी
पहुँचता
है।
एससी
16%
और
एसटी
20%
आरक्षण
के
लिहाज
से
50
फीसदी
से
ज्यादा
आरक्षण
नहीं
होगा।
एससी-एसटी
के
खाते
में
36
फीसदी
आरक्षण
होने
14
फीसदी
आरक्षण
बचता
है,
जो
अदालत
के
आदेश
के
मुताबिक
ओबीसी
वर्ग
के
हिस्से
में
जायेंगा
और
इससे
ज्यादा
नहीं
मिलेगा।
बीजेपी-कांग्रेस
दोनों
के
दावे
कोर्ट
का
फैसला
उनके
पक्ष
में
पंचायत-नगरीय
निकाय
चुनाव
संबंधी
ओबीसी
आरक्षण
की
याचिका
का
पटाक्षेप
होने
के
बाद
मप्र
में
अभी
से
चुनावी
सरगर्मी
बढ़
गई
है।
राज्य
निर्वाचन
आयोग
पहले
ही
जल्द
चुनाव
कराने
के
संकेत
दे
चुका
है।
इधर
फैसले
के
बाद
नगरीय
विकास
मंत्री
भूपेन्द्र
सिंह
ने
कहा
कि
यह
सरकार
के
लिए
बड़ी
सफलता
है।
उधर
विपक्ष
इस
फैसले
को
अपने
पक्ष
में
होने
का
दावा
कर
रहा
है।
कांग्रेस
का
कहना
है
कि
अदालत
ने
पुरानी
स्थिति
को
बहाल
किया
है,
जिसकी
लगातार
मांग
की
जा
रही
थी।