मौत का स्विच ऑफ कर पावर हाउस पर चढ़ा कर्मचारी, 5 घंटे हाई वोल्टेज ड्रामा
जिले में तेजगढ़ के हिनौती बिजली सब स्टेशन में कार्यरत प्रहलाद आठ्या ने अधिकारियों से प्रताड़ित होकर पावर हाउस पर चढ़कर विरोध जताया और जान देने का भी प्रयास किया। घटना से अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
दमोह जिले में हिनौती सब स्टेशन में अधिकारियों से परेशान प्रहलाद आठ्या नाम का कर्मचारी पावर हाउस के ऊपर चढ़ गया। जानकारी लगने पर हड़कंप मच गया। वह जान देने की नियत से ऐसा कर रहा था। यहां करीब 5 घंटे हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। वह अधिकारियों की बात मानने भी तैयार नहीं था। शाम को उसके साथियों ने समझाकर उसे नीचे उतारा। गनीमत रही कि बिजली बंद होने से बड़ा हादसा टल गया।
दमोह जिले में तेजगढ हर्रई के अधीन आने वाले हिनौती सब स्टेशन के अधीन इलाके की बिजली अचानक बंद हो गई। जब काफी देर बिजली नहीं आई तो अधिकारियों ने जानकारी ली तो उनके होश उड़ गए। हिनौती केंद्र में पदस्थ आपरेटर प्रहलाद आठ्या खुद पॉवर सप्लाई का स्विच बंद कर पावर हाउस के ऊपर बैठा मिला। वह नौकरी से हटाए जाने को लेकर दुखी था और अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए जान देने के लिए पॉवर हाउस पर चढ़ गया था। प्रहलाद अठ्या को जब नीचे उतारने के प्रयास किए गए तो उसने जान देने की बात कहते हुए बताया कि 17 साल से बिजली विभाग में नौकरी कर रहा है। उसने कोराना काल में 24-24 घंटे काम किया है। वह महज 1500 रुपए महीने के समय से सेवाएं दे रहा है। अब अधिकारी ओवर एज बताकर उसको नौकरी से निकाल रहे हैं। मेरी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा।
अधिकारियों
पर
पैसे
लेकर
अनाड़ियों
को
भर्ती
करने
का
आरोप
भी
लगाया
प्रहलाद
ने
पावर
हाउस
में
ऊपर
बैठे
ही
साथियों
को
बताया
कि
उसके
अधिकारी
पुराने
और
अनुभवी
कर्मचारी
को
नौकरी
से
बाहर
कर
रहे
हैं,
जबकि
नए-नए
लड़के
जिनके
पास
कोई
दस्तावेज
भी
नहीं
है
उनसे
पैसे
लेकर
उन्हें
नौकरी
पर
रख
रहे
हैं।
मुझसे
भी
पैसे
की
मांग
की
गई
है,
मेरे
पास
पैसा
नहीं
है,
क्योंकि
मैं
गरीब
हूं,
इसलिए
मुझे
नौकरी
से
हटाकर
दूसरे
की
नियुक्ति
कर
ली
गई
है।
मेरे
पास
मरने
के
अलावा
कोई
और
चारा
नहीं
है।
अब
या
तो
मेरी
जान
जाएगी
या
नौकरी
वापस
दी
जाएगी,
तभी
नीचे
आऊंगा।
मुंबई पहुंची सागर की डिहाइड्रेट सब्जियां, लोगों को भाया स्वाद, खूब पसंद कर रहे
Recommended Video
नायब
तहसीलदार
और
साथियों
की
सूझबूझ
से
बची
जान
प्रहलाद
आठ्या
के
पावर
हाउस
पर
चढ़े
होने,
इलाके
की
बिजली
गुल
होने
और
वरिष्ठ
अधिकारियों
के
इस
सारे
घटनाक्रम
के
बावजूद
नदारद
रहने
के
बाद
नायब
तहसीलदार
सुधीर
मोहन
अग्रवाल
और
प्रहलाद
के
साथी
कर्मचारियों
ने
मोर्चा
संभाला
था।
चूंकी
प्रहलाद
बिजली
सप्लाई
बंद
कर
सब
स्टेशन
पर
चढ़ा
था,
बावजूद
इसके
उसे
नीचे
गिरने
से
जान
जाने
का
डर
था।
जब
तक
वह
नीचे
नहीं
आता,
तब
तक
इलाके
की
बिजली
सप्लाई
चालू
नहीं
हो
सकती
थी।
नायब
तहसीदार
अग्रवाल
और
साथ
उसके
पास
पहुंचे
और
पूरी
बात
सुन
उसे
नौकरी
पर
वापस
रखवाने
का
आश्वासन
दिलाया
तब
कहीं
जाकर
वह
माना।
शाम
को
वह
नीचे
आया
तो
अग्रवाल
ने
उसे
समझाइश
दी
और
कहा
कि
वे
उसे
नौकरी
पर
रखवाएंगे।
इसे
बाद
उसके
साथियों
के
साथ
घर
भिजवाया।