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भोपाल: कोरोना से मौत के बाद 57 अस्थियों को नहीं मिले अपने, संस्था ने नर्मदा में किया विसर्जित

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भोपाल, 27 सितंबर: पूरे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई थी। हालात यह हो गए थे कि अस्पतालों में कोविड बेड से लेकर दवाओं का भयंकर टोटा हो गया था। वहीं मरीजों की सांसें टूटने के बाद श्मशान में भी बड़ी मुश्किल से अंतिम संस्कार की जगह मिल रही थी। हालांकि अब स्थिति बहुत सुधर गई है और कोरोना के नए मामलों में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस बीच रविवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपनों के इंतजार में रखीं अस्थियों को नर्मदा में विसर्जित किया गया।

Narmada river

57 अस्थियों को नर्मदा में किया विसर्जित

भोपाल में एक श्मशान ने रविवार को 57 कोरोना वायरस पीड़ितों की राख को नर्मदा नदी में विसर्जित कर दिया। मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां लेने कोई नहीं आया था, जिसके बाद सुभाष नगर विश्राम घाट समिति ने परिवार के लोगों का महीनों इंतजार के बाद रविवार को अस्थि कलश को नर्मदा में विसर्जित कर दिया। बता दें कि मध्य प्रदेश ने अब तक 10,518 कोरोना मौतें दर्ज की हैं, जिनमें से अधिकांश महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुई हैं।

अंतिम संस्कार के बाद नहीं ली अस्थियां

इधर, सुभाष नगर विश्राम घाट (श्मशान घाट) के प्रबंधक शोभराज सुखवानी ने बताया कि विश्राम घाट ट्रस्ट और सेवा संस्कार समिति ने रविवार को 57 लोगों की अस्थियां विसर्जित की, जिनकी मृत्यु कोरोना के कारण हुई थी, लेकिन उनकी अस्थियां उनके परिवारों द्वारा अंतिम संस्कार के बाद एकत्र नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि इन मृतकों के परिवार के सदस्य महामारी की स्थिति के कारण उनकी राख लेने नहीं आए। ऐसे में महीनों के इंतजार के बाद अस्थियों (दाह संस्कार) को एकत्र किया गया और सभी अनुष्ठानों के साथ होशंगाबाद में नर्मदा नदी में विसर्जित किया गया।

मां चाहती थीं अस्थियां भारत में की जाएं प्रवाहित, अंतिम इच्‍छा को पूरा करने भारत आई थीं कमला हैरिसमां चाहती थीं अस्थियां भारत में की जाएं प्रवाहित, अंतिम इच्‍छा को पूरा करने भारत आई थीं कमला हैरिस

आत्माओं की शांति के लिए 'तर्पण' भी होगा

विश्राम घाट ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेश शर्मा गुट्टू ने कहा कि पुजारियों ने नदी में अस्थि विसर्जन से पहले सभी हिंदू अनुष्ठान किए। उन्होंने कहा कि हम दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए 'तर्पण' की रस्म भी करेंगे। बता दें कि इस साल जुलाई में भोपाल के भड़भदा विश्राम घाट की प्रबंधन समिति ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के कारण मरने वालों की राख के 21 ट्रक लोड का उपयोग करके एक पार्क विकसित करने का निर्णय लिया गया है।

English summary
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