चुनाव लड़ने वालों को बताना होगा अपना आपराधिक रिकार्ड, 3 बार करना होगा ऐसा
भोपाल। विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी आम जनता को देनी होगी। उन्हें समाचार पत्र और न्यूज चैनलों के माध्यम से बताना होगा कि उनके खिलाफ कितने आपराधिक प्रकरण किस-किस धारा में दर्ज हैं और उनकी वर्तमान स्थिति क्या है? यह भी बताना होगा। ऐसा उन्हें मतदान के पहले 3 बार करना होगा। प्रत्याशियों को यह प्रक्रिया नामांकन वापसी की तारीख 14 नवंबर के बाद और मतदान के 48 घंटे पहले करनी होगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मप्र निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं।
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ सुदाम पी खाडे ने बताया कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए यह अनिवार्य प्रक्रिया है। यदि कोई प्रत्याशी किसी दल विशेष से चुनाव लड़ता है, तो उसे अपनी पार्टी को भी इस बारे में जानकारी देनी होगी। वहीं, राजनीतिक पार्टियों को भी अपनी वेबसाइट पर अभ्यर्थियों के संबंध में यह जानकारी अपलोड करनी होगी। आपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक करने का जो भी व्यय होगा, उसे प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाएगा। प्रत्याशी को कम से कम 3 बार निर्धारित फॉर्मेट में इस ब्योरे का प्रकाशन समाचार पत्र और टीवी चैनलों में कराना होगा। अपराध का क्रम रिवर्स ऑर्डर में होगा। यानी हाल ही में दर्ज हुए अपराध या प्रकरण पहले नंबर पर रहेंगे।
तीन
अलग
फॉर्मेट
में
देना
होगा
ब्यौरा
इधर,
जिला
निर्वाचन
अधिकारी
डॉ
सुदाम
पी
खाडे
ने
राजनीतिक
पार्टियों
के
प्रतिनिधियों
की
एक
बैठक
ली।
बैठक
में
उन्होंने
हाल
ही
में
सुप्रीम
कोर्ट
के
निदेर्शों
के
बारे
में
जानकारी
दी।
उन्होंने
बताया
कि
राजनीतिक
दल
और
उनके
प्रत्याशियों
को
अपने
आपराधिक
रिकॉर्ड
3
अलग-अलग
फॉर्मेट
में
उपलब्ध
कराने
होंगे।
यह
हैं
फॉर्मेट
-सी-1
है,
जिसके
तहत
यह
रिकॉडज़्
समाचार
पत्रों
और
टीवी
चैनलों
में
प्रसारित
कराना
होगा।
-
सी-
2
राजनीतिक
दलों
के
लिए
है।
इसमें
दलों
को
अपने
प्रत्याशियों
की
जानकारी
अपनी
वेबसाइट,
समाचार
पत्र
और
टीवी
में
सार्वजनिक
करना
होगा।
-सी-3 में रिटर्निंग अधिकारी आपराधिक मामलों के बारे में घोषणा प्रकाशित कर दिए जाने वाले इन दिशा-निदेर्शो के बारे में लिखित जानकारी भी देंगे।
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