भारत जोड़ो यात्रा: आरएसएस के स्कूल पहुंचे राहुल गांधी, पाकिस्तानी मदरसों से कर चुके है शिशु मंदिर की तुलना
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ समय पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भारत की शिक्षा व्यवस्था कब्जाने का आरोप लगाया था। राहुल ने आरएसएस के स्कूलों की तुलना पाकिस्तान में जिहादी पाठ पढ़ाने वाले मदरसों से की थी। राहुल का संघ के स्कूलों की तुलना पाकिस्तानी मदरसों से करना बीजेपी को बिल्कुल रास नहीं आया था। ऐसे में आरएसएस के शिशु मंदिर की तुलना पाकिस्तान के मदरसों से करने वाले राहुल गांधी का उसी स्कूल के छात्रों ने जोरदार स्वागत किया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के चलते वह आज मध्य प्रदेश के नेपानगर विधानसभा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचे जहाँ छात्रों एवं स्कूल प्रबंधन ने राहुल गांधी का जोरदार स्वागत किया।
निभाई अतिथि देवो भव: की परंपरा
बता दें कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश पहुंच चुकी है। सुबह 7 बजे राहुल नेपानगर विधानसभा के बोदरली गांव पहुंचे। यहां पहुंचते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल का जोरदार स्वागत किया। इस दौरान उनकी आरती भी उतारी गई। ख़ास बात यह है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जो RSS के शिशु मंदिर की तुलना पाकिस्तान में जिहाद सिखाने वाले मदरसों से करते है, आज उसी आरएसएस के स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर के छात्रों एवं स्कूल प्रबंधन ने ही राहुल गांधी का स्वागत किया है। सरस्वती शिशु मंदिर बोदरली में भारत जोड़ो यात्रियों के लिए 2 दिन के रात्रि विश्राम का इंतजाम भी किया गया था। अतिथि देवो भव की परंपरा को निभाते हुए स्कूल समिति ने 18 कमरों को तैयार करवाना शुरू कर दिया था।
प्रियंका गांधी वाड्रा भी होंगी शामिल
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के बोदरली गांव से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आज से शुरू हो गई। बोदरली से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसमें शामिल होने के लिए बुरहानपुर आएंगी। 24-25 नवंबर को वह इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ जाएंगी। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी जय प्रकाश अग्रवाल, छिंदवाड़ा के सांसद नकुल नाथ समेत सभी विधायक शामिल हो रहे हैं। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं में उत्साह है और वे बार-बार उनके साथ चलने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन सुरक्षा कारणों की वजह से सीमित लोग ही उनके पास पहुंच रहे हैं।
आरएसए के स्कूलों का क्या है इतिहास
आरएसए
नेता
कृष्ण
चंद्र
गांधी
ने
भाउराव
देवरस
और
नाना
जी
देशमुख
के
साथ
मिलकर
1
जुलाई
1952
को
गोरखपुर
के
पक्की
बाग
में
देश
के
पहले
'सरस्वती
शिशु
मंदिर'
की
आधारशिला
रखी
थी।
यह
उनके
प्रयोगवादी
कार्यों
का
ही
एक
उदाहरण
था।
आज
यह
स्कूलों
की
बड़ी
चेन
बन
चुका
है।
इसके
लिए
पांच
रुपये
मासिक
किराया
दिया
जाने
लगा।
इससे
पहले
1946
में
हरियाणा
के
कुरुक्षेत्र
में
गीता
विद्यालय
की
स्थापना
हो
चुकी
थी।
जिसकी
स्थापना
संघ
प्रमुख
एम.एस.
गोलवलकर
ने
की
थी।
उसके
बाद
यूपी
में
भी
धीरे-धीरे
और
स्कूल
खुलते
गए।
इन
स्कूलों
को
चलाने
के
लिए
1958
में
शिशु
शिक्षा
प्रबंध
समिति
का
गठन
हुआ।
जब
अन्य
प्रदेशों
में
भी
ऐसे
स्कूल
खुले
तो
उनमें
भी
समितियों
का
गठन
हुआ।
पंजाब
एवं
चंडीगढ़
में
सर्वहितकारी
शिक्षा
समिति
और
हरियाणा
में
हिंदू
शिक्षा
समिति
बनी।
फिर
इसे
राष्ट्रीय
स्वरूप
देते
हुए
1977
में
विद्या
भारती
संस्था
का
गठन
किया
गया।