यूपी में PFI पर लग सकता है प्रतिबंध, सिमी से तार जुड़े होने का शक
लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हिंसक-प्रदर्शन हुआ था, जिसकी जांच पुलिस लगातार कर रही है। बता दें कि लखनऊ में हिंसा भड़काने में पॉपुलर फ्रंट इंडिया नाम के संगठन का नाम सामने आया। पुलिस ने संगठन के प्रेसिडेंट वसीम अहमद, खजांची नदीम और पदाधिकारी अशफाक को गिरफ्तार कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने यूपी के अलग-अलग ज़िलों से अब तक दर्जन भर से ज़्यादा पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। बताया ये भी जा रहा है कि पीएफआई में शामिल वो लोग हैं, जो सिमी (SIMI) संगठन के प्रतिबंधित होने के बाद फिर से सक्रिय होने के लिए नए नाम से बने पीएफआई में काम करने के लिए इकट्ठे हो गए हैं।
यूपी पुलिस ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की भूमिका संदिग्ध है। पुलिस और सरकार ने दावा किया है कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के लोग पीएफआई नाम के संगठन में शामिल हुए और इन लोगों ने नियोजित तरीक़े से हिंसा करने के लिए लोगों को उकसाया। न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक, आईजी रेंज लखनऊ एसके भगत ने बताया कि सिमी के बैन होने के बाद इस संगठन को खड़ा किया गया। लखनऊ में पीएफआई के 3 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इनके पास से आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुई हैं। इस मामले में अन्य तथ्यों की जांच की जा रही है। भगत ने कहा कि पीएफआई की उत्पत्ति के बाद रेडिक्लाइज़्ड लोग शामिल रहे हैं। सिमी पर बन्द होने के बाद सिमी में सक्रिय लोगों का पीएफआई में होने की बात सामने आ रही है।
जांच
के
बाद
होगी
कार्रवाई:
श्रीकांत
शर्मा
वहीं,
यूपी
सरकार
के
प्रवक्ता
श्रीकांत
शर्मा
ने
भी
माना
कि
सिमी
की
तरह
ही
पीएफआई
की
भूमिका
सामने
आ
रही
है।
उन्होंने
कहा
कि
हर
एंगल
से
मामले
की
जांच
की
जा
रही
है।
पीएफआई
पर
प्रतिबंध
के
सवाल
पर
श्रीकांत
शर्मा
ने
सीधे-सीधे
हां
तो
नहीं
किया
लेकिन
इशारों
में
ये
ज़रूर
कहा
कि
जांच
पूरी
होने
के
बाद
ज़रूरी
कदम
उठाए
जाएंगे।
उन्होंने
कहा
कि
जो
लोग
पहले
सिमी
संगठन
में
थे,
उन्होंने
एक
नया
संगठन
बनाया
है।
जांच
में
यह
बात
सामने
आई
है
कि
इन
लोगों
का
हिंसा
में
हाथ
है
हम
जांच
कर
कार्यवाही
करेंगे।