UP: बिना एग्रीमेंट मकान मालिक नहीं रख सकेंगे किराएदार, मनमाने तरीके से किराया भी नहीं बढ़ा सकेंगे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अध्यादेश 2021 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से मंजूरी मिल गई है। अब बिना कॉन्ट्रेक्ट या एग्रीमेंट के कोई भी मकान मालिक किराएदार नहीं रख सकेंगे। यही नहीं, मनमाने तरीके से मकान मालिक किराया भी नहीं बढ़ा सकेंगे। इस नए कानून से किराएदारी से जुड़े विवादों में कमी आएगी। वहीं, अब ऐसे विवादों का निपटारा रेट अथॉरिटी एवं ट्रिब्यूनल करेगा। बताया जा रहा इस नए कानून से मकान मालिक और किराएदार दोनों के हित संरक्षित हो संकेगे।
मकान
मालिक
और
किराएदार
के
बीच
उत्पन्न
विवादों
के
निस्तारण
में
होती
थी
कठिनाई
प्रदेश के शहरों में भवनों को किराए पर देने, उनके किराए और किराएदारों की बेदखली करने के लिए उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराए पर देने किराए तथा बेदखली का विनियमन) अधिनियम 1972 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 13 सन 1972) लागू था। इससे मकान मालिक और किराएदार के बीच उत्पन्न विवादों के निस्तारण में कठिनाई हो रही थी। काफी संख्या में मामले कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान किराएदारी और भविष्य की किराएदारी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में वर्तमान में लागू उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराए पर देने, किराए और बेदखली का विनियमन) अधिनयम 1972 को खत्म करते हुए उसके स्थान पर एक नई विधि व्यवस्था बनाए जाने का फैसला किया गया है।
इस विधेयक से किराएदारी के विवाद कम होंगे
राज्यपाल ने इस विधेयक को 9 जनवरी 2021 को मंजूरी दी थी। इसके आधार पर 9 जनवरी को ही गजट प्रकाशित कराया गया। इसे 11 जनवरी 2021 से लागू किया गया, लेकिन राज्य विधान मंडल की निर्धारित अवधि को अपरिहार्य परिस्थितियों में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने से विधेयक पुन: स्थापित यानी पारित नहीं कराया जा सका। इसीलिए पुन: उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किराएदारी विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश के माध्यम से प्रतिस्थापित कराया गया है। इससे प्रदेश में किराएदारी के विवाद कम होंगे और पुराने मामलों में किराए पुनिरीक्षण किया जा सकेगा।
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