उत्तर प्रदेश गरीब का गरीब पर नेता बन रहे करोड़पति
यह असल में एक छोटे से कर्मचारी के शब्द नहीं थे, आम जनता के शब्द थे जो हमेशा से गरीब बनी हुई है, एक-एक पैसा जोड़ने में उसके पसीने छूट जाते हैं, एक छोटा सा मकान बनाने में पैरों में छाले पड़ जाते हैं, त्वचा काली पड़ जाती है। उत्तर प्रदेश का हाल कुछ ऐसा है कि लखनऊ के अलावा कोई भी शहर दुरुस्त नहीं। यूं कहिये कि गरीबी का आलम चरम पर है। परंतु अगर 2009 और 2014 के चुनावों में प्रत्याशियों की संपत्ति की तुलना करें तो ऐसा प्रतीत होगा कि नेताओं का सैलरी हाइक हर साल नहीं, बल्कि हर दिन य हर घंटे लगता है।
नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार 2009 की तुलना में 2014 में करोड़पति प्रत्याशियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ये पार्टी के नये प्रत्याशी नहीं हैं, बल्कि वही प्रत्याशी हैं जो 2009 में जीत कर आये और पांच साल में लखपति से करोड़पति बन गये।
पार्टी वार देखें तो 2009 में कितने प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पति थे और इस चुनाव में पहले दूसरे और तीसरे चरण के कितने करोड़पति हैं यह आप टेबल में देख सकते हैं।
पार्टी |
यूपी फेज 3 |
यूपी फेज 1,2 |
उन्हीं सीटों पर 2009 में |
भाजपा | 92% | 91% | 63% |
बसपा | 100% | 100% | 61% |
कांग्रेस | 67% | 85% | 64% |
सपा | 100% | 94% | 56% |
आप | 42% | 50% | ----- |