कोआपरेटिव बैंक फ्राड : पुलिस ने मास्टरमाइंड रवि को धर दबोचा, 50 हजार के इनामी ने किया था 146 करोड़ का फ्राड
इंटरनेट की दुनिया ने लोगों के जीवन को काफी सरल बना दिया है, लेकिन दुनियाभर में इंटरनेट का दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। अनेक देशों में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साइबर अपराध किसी भी बड़ी कम्पनी, राजनीतिक पार्टियों और किसी भी आम व्यक्ति के साथ किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भारत ऐसा देश हैं जहां सबसे अधिक साइबर अपराध के मामलों सामने आए हैं। ऐसे ही बड़े में मामले में हजरतगंज स्थित उत्तर प्रदेश कोआवरेटिव बैंक से 146 करोड़ फ्राड के आरोप में साइबर क्राइम की टीम ने 50 हजार रुपये के इनामी साइबर हैकर रवि को साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
कोआवरेटिव बैंक से 146 करोड़ का फ्राड
इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार यादव के मुताबिक इस पूरी घटना को एक पूर्व बैंक कर्मचारी आरएस दुबे की मदद से अंजाम दिया गया। पूर्व बैंक कर्मचारी ही रवि को लेकर बैंक गया था। जहां रवि ने बैंक में हैकिंग डिवाइस/डोंगल और की-लॉगर की मदद से बैंक के गोपनीय डेटा को हैक कर अपने साथियो को रिमोट एक्सिस कंट्रोल पर दे दिया। जिसके बाद बैंक का पैसा अन्य लोगों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि समय रहते खाते फ्रीज करने से पैसा कोई निकाल नहीं सका था। जिसके बाद मुख्य आरोपी आरएस दुबे और उसके साथी सागर चौहान समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इससे पहले उसके साथी साइबर एक्सपर्ट सतीश कुमार को गिरफ्तार किया था। इनके साथी ज्ञानदेव पाल और उमेश कुमार गिरी के विषय में जानकारी जुटाई जा रही है।
योजना के तहत शनिवार का दिन चुना
एसपी
साइबर
क्राइम
प्रो.
त्रिवेणी
सिंह
के
मुताबिक
UPCB
से
15
अक्तूबर
को
ऋण
अनुभाग
के
खाते
से
146
करोड़
रुपये
बैंक
कर्मचारी
विकास
पांडेय
और
प्रबंधक
मेवालाल
की
आईडी
और
पासवर्ड
से
सात
खातों
में
ट्रांसफर
किये
गये
थे।
जांच
में
सामने
आया
कि
कोआपरेटिव
बैंक
के
खाते
से
यह
रकम
भूमिसागर
कंस्ट्रक्शन
और
सागर
सोलर
प्राइवेट
लिमिडेट
फर्म
के
खातों
में
भेजी
गई
है।
जिसमें
मुख्य
रूप
से
इंदिरानगर
के
सेक्टर-11
निवासी
पूर्व
प्रबंधक
आरएस
दुबे
और
गोमतीनगर
विरामखंड-3
निवासी
सागर
सोलर
प्राइवेट
लिमिटेड
कंपनी
का
मालिक
सुखसागर
सिंह
चौहान
था।
इन
लोगों
ने
योजना
के
तहत
घटना
के
लिए
शनिवार
का
दिन
चुना।
जिससे
अगले
दिन
रविवार
होगा
और
जब
तक
लोगों
को
जानकारी
होगी
तब
तक
पैसे
एक
खाते
से
दूसरे
खातों
में
ट्रांसफर
कर
लेंगे।
सात खातों से आठ बार में ट्रांसफर हुई रकम
बैंक प्रबंधन के मुताबिक 15 अक्टूबर को दोपहर तीन बजे के करीब जिला सहकारी बैंकों के सात खातों से आठ बार में 146 करोड रुपये अवैध तरीके से ट्रांसफर हुए थे। जिसमें 72 करोड़ रुपये आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक लखनऊ के खाताधारकों के खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर हुए थे। जिसेसे बैंक कर्मचारी विकास पांडेय और प्रबंधक मेवालाल की आईडी से भेजा गया। हालांकि इन लोगों ने इस तरह से पैसे के लेनदेन से इंकार कर दिया है।
भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी
सीईआरटी-इन (इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारत में सबसे अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए हैं। सीईआरटी साइबर सुरक्षा हमलों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है, जो सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के तहत काम करती है। 2022 के पहले दो महीनों में 2,12,285 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इसकी तुलना में साल 2018 में 2,8,456 साल 2019 में 3,94,499 घटनाएं 2020 में 11,58,208 और 2021 में 14,2,809 घटनाएं दर्ज की गयी हैं। ये आंकड़े बताते हैं इन तीन बर्षों में साइबर क्राइम के मामले लगभग 7 गुना और कोविड के दौरान अधिक तेजी से बड़े हैं।
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