NGT ने लगायी अखिलेश सरकार को फटकार, लोगों के जीवन की आपको कद्र नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शुद्ध पेयजल की किस कदर किल्लत है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपनी टिप्पणी में प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए यह तक कह दिया कि इंसानों की जिंदगी का आपके लिए कोई सम्मान नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शुद्ध पेयजल की काफी किल्लत है, इसके अलावा स्वास्थ्य सेवायें काफी बदतर हैं। इस मुद्दे पर एनजीटी ने प्रदेश सरकार के अधिकारियों को आड़े हाथों लेते उन्हें सही तरीके से व्यवहार करने का निर्देश दिया।
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इन जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं बदतर
एनजीटी पैनल ने मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, सहारनपुर के ग्रामीण इलाकों में बदतक स्वास्थ्य सेवाओं पर भी अधिकारियों को फटकार लगाई और यहां मुहैया कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को सही करने के निर्देश भी दिए।
व्यवहार सुधारने की नसीहत
पैनल ने अधिकारियों से पूछा कि इस क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें देने के लिए क्या कदम उठाये गये। इसके अलावा लोगों की बीमारी की जांच के लिए क्या टेस्ट किये गए। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने तल्ख अंदाज में पूछा कि बिना टेस्ट कराये आप कैसे इस बात से आश्वस्त हो सकते हैं कि लोगों में कोई बीमारी नहीं है। आप लोग मानवीय जीवन को ऐसे समझते हैं जैसे टेबल पर रखी कोई ऐरी-गैरी फाइल हो। अच्छा होगा आप लोग अपने व्यवहार को सुधारे।
क्या लोग आपके घर आयेंगे ब्लड सैंपल देने
एनजीटी ने बागपत के सीएमओ को भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए फटकार लगाते हुए पूछा कि पीने का पानी पीने से हुई बीमारियों को लेकर लोगों का किसी तरह का टेस्ट किया गया है या नहीं। बेंच ने पूछा कि क्या आप लोगों ने लोगों का ब्लड सैंपल लिया और जानने की कोशिश कि किस वजह से लोगों के भीतर बीमारी आ रही है। आप लोग क्यों ऐसा नहीं किया, लोग आपके घर नहीं आएंगे अपना ब्लड सैंपल देने के लिए, यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप लोगों के पास जाए, लेकिन आप लोगों के अंदर इंसानी जीवन की कोई कीमत नहीं है।
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21 अक्टूबर से पहले कराएं पानी की जांच
अखिलेश सरकार से एनजीटी ने सेंटर ग्राउंड वाटर अथॉरिटी से भूगर्भ जल की जांच कराने को कहा है। एनजीटी ने 21 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले इस जांच को कराने को कहा ताकि पता चल सके कि क्यों यहां का पानी पीने योग्य नहीं है।
हैंडपंप को हटाने का निर्देश
एनजीटी ने उन तमाम हैंडपंप को हटाने के भी निर्देश दिए हैं जिसमें संक्रमित जल आ रहा है। साथ ही इलाके के प्रशासन से लोगों को पीने के पानी का वैकल्पिक इंतजाम करने को कहा है।
क्या है मामला
आपको बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खराब पेयजल को लेकर वैज्ञानिक सीवी सिंह ने एनजीटी में याचिका दायर की थी जिसमें अनुसाार अंडरग्राउंड वाटर में तय सीमा से 4000 गुना अधिक ऑर्सेनिक पाया गया है। सिंह का कहना है कि लोग यहां जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।