NEW UP MSME ACT: उद्योग शुरू करने के लिए 72 घंटे के अंदर नोडल एजेंसी देगी हरी झंडी, क्लियरेंस के लिए 1000 दिन की मोहलत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों (MSME-micro small medium enterprises) को बढ़ावा देने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने अहम फैसला लिया है। एमएसएमई (इस्टैब्लिशमेंट एंड ऑपरेशंस) एक्ट 2020 को कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है। इसके तहत लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों की शुरुआत के लिए आवेदन देने के 72 घंटे के अंदर ही हरी झंडी दे दी जाएगी। इसके बाद आवेदक उद्योग की ईकाई स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
72 घंटे के अंदर नोडल एजेंसी देगी स्वीकृति
इस एक्ट के तहत उद्यमियों के लिए एक प्रक्रिया बनाई गई जिसके तहत एमएसएमई यूनिट को स्थापित करने से संबंधित विस्तृत आवेदन जिला स्तर की नोडल एजेंसी को देना होगा। इस आवेदन में यह बताना होगा कि उद्यमी क्या करना चाहते हैं? आवेदन मिलने के 72 घंटे के अंदर नोडल एजेंसी की तरफ से स्वीकृति पत्र मिलने पर उद्यमी यूनिट स्थापित कर सकते हैं। इस एक्ट के तहत उद्योग स्थापित करने के लिए पहली अनुमति के बाद उद्यमी के पास 1000 दिन का समय होगा जिसके अंदर उसे बाकी आवश्यक क्लियरेंस लेने पड़ेंगे। इस एक्ट के बनने के साथ ही उद्यमियों के लिए अब धंधा शुरू करना आसान हो जाएगा। अभी जो एक्ट है उसके मुताबिक, उद्यमी को एक एमएसएमई यूनिट स्थापित करने के लिए 29 अलग-अलग विभागों से क्लियरेंस लेने की जरूरत पड़ती है। अब इस झंझट से उद्यमियों को मुक्त किया गया है। यूनिट स्थापित करने की कवायद शुरू करने के बाद उनके पास एक हजार दिन रहेंगे जिसके भीतर वे इन विभागों से क्लियरेंस ले पाएंगे।
ताकि प्रदेश में उद्योगों के रास्ते से बाधा हटे...
इस बारे में एमएसएमई के अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि अभी तक उत्तर प्रदेश के पास ऐसा अपना कोई एक्ट नहीं था। अब तक केंद्रीय कानून के तहत ही काम हो रहा था। एमएसएमई के रास्ते में जो सबसे बड़ी बाधा है वो भूमि के उपयोग और सीलिंग से संबंधित है। जिला स्तरीय नोडल एजेंसी में जिलाधिकारी समेत राजस्व व अन्य विभागों के अधिकारी रहेंगे जो एमएसएमई के लिए दिए गए आवेदन पर फैसला लेंगे। यह नोडल एजेंसी किसी आवेदन को अस्वीकृत भी कर सकती है। नोडल एजेंसी बनाने का मकसद यह है कि किसी भी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में आसानी हो।
इन उद्योगों को नहीं मिलेगा लाभ
इस एक्ट का लाभ नई यूनिट स्थापित करने की चाह रखने वाले उद्यमी उठा सकते हैं। वे भी इसका लाभ ले सकते हैं जो उद्योग का विस्तार करना चाहते हैं लेकिन उनके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। तंबाकू, गुटखा, पान मसाला जैसे उत्पाद, एल्कोहल, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, पटाखे, प्लास्टिक थैले जैसे उद्योगों को इस एक्ट के बाहर रखा गया है। उत्तर प्रदेश ने जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है या जिनको प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खतरनाक कैटेगरी में रखा है, वैसे उद्योग भी इस एक्ट का लाभ नहीं ले पाएंगे।