लखनऊ: दारूल उलूम नदवा मदरसे में पहुंची सर्वे टीम, 12 बिंदुओं पर की जांच
लखनऊ: दारूल उलूम नदवा मदरसे में पहुंची सर्वे टीम, 12 बिंदुओं पर की जांच
लखनऊ, 15 सितंबर: दारूल उलूम नदवा मदरसे का सर्वे करने के लिए 15 सितंबर की सुबह उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन और जिला प्रशासन की एक टीम पहुंची। इस दौरान सर्वे टीम ने दारूल उलूम नदवा मदरसे से 12 बिंदुओं पर जानकारी ली। इस दौरान सर्वे टीम ने पूरे कैंपस से जुड़ी जानकारी प्रबंधकों से ली। साथ ही, छात्रों की व्यवस्था और लाइब्रेरी में जांच भी की। आपको बता दें कि नदवा मदरसा देश के बड़े मदरसों में शुमार है।
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सर्वे टीम का हिस्सा रहे जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सोन कुमार ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान नदवा के लोगों का काफी सहयोग मिला। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 12-सूत्रीय प्रोफार्मा के अनुसार जानकारी एकत्र की गई है। जिसमें मदरसा चलाने वाले संगठनों के नाम और विवरण, स्थापना का वर्ष, बिजली, पेयजल जैसी सुविधाएं, छात्रों की संख्या, पाठ्यक्रमों की पेशकश की जानकारी मांगी गई है। साथ ही वित्त पोषण के स्रोत की भी जानकारी ली गई है। इस दौरान उन्होंने बताया कि नदवा मदरसे की लाइब्रेरी में लगभग 4.5 लाख किताब हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण की घोषणा के बाद से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में इसे लेकर वार-पलटवार चल रहा है। अभी तक राजनीतिक दलों के नेताओं और कुछ मुस्लिम संगठनों की तरफ से बयानबाजी आ रही थी। अब उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा.इफ्तेखार जावेद स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने साफ किया कि सर्वेक्षण कोई जांच नहीं है। सर्वेक्षण को लेकर सरकार की मंशा भी स्पष्ट की। कहा कि उत्तर प्रदेश में कुल 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से 560 मदरसों को सरकार उनके शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन देती है।
प्रदेश में ऐसे कितने मदरसे हैं जिनकी मान्यता नहीं है, उनकी गिनती नहीं हो पा रही है। समय-समय पर जब मदरसों पर उंगलियां उठती हैं तो फिर सवाल उठते हैं कि यह कौन-सा मदरसा है? क्या यह मान्यता प्राप्त मदरसा है या ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसा है या फिर अनुदान से चलने वाला मदरसा है?