जानिए पुष्कर सिंह धामी का लखनऊ कनेक्शन, जो आज बन जाएंगे उत्तराखंड के सबसे यंग सीएम
लखनऊ, 04 जुलाई: पुष्कर सिंह धामी, आज यानी रविवार को उत्तराखंड के 11वें सीएम के तौर पर शपथ लेने वाले है। शपथ कार्यक्रम शाम छह बजे होगा। शपथ लेने के बार पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के सबसे युवा सीएम भी बन जाएंगे। क्या आप जानते है कि उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत कहा से की। नहीं, तो आज यह बात हम आपको बताने वाले है...
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लखनऊ
विश्वविद्दालय
से
की
थी
राजनीति
की
शुरूआत
उधमसिंह
नगर
जिले
के
खटीमा
से
दो
बार
विधायक
रहे
45
साल
के
पुष्कर
सिंह
धामी
राज्य
के
सबसे
युवा
मुख्यमंत्री
बनने
जा
रहे
है।
लेकिन
पुष्कर
सिंह
धामी
का
लखनऊ
विश्वविद्दालय
से
क्या
कनेक्शन
यह
बात
आज
हम
आपको
बताने
जा
रहा
है।
दरअसल,
90
के
दशक
में
पुष्कर
सिंह
धामी
ने
लखनऊ
विश्वविद्दालय
से
राजनीति
की
शुरुआत
की
थी,
जहां
वो
पर्वतीय
छात्र
परिषद
के
सदस्य
थे।
उत्तराखंड
राज्य
बनने
से
पहले
ही
आ
गए
थे
राजनीति
में
यह
बात
भाजपा
प्रदेश
उपाध्यक्ष
दयाशंकर
सिंह
ने
बताई।
दरअसल,
न्यूज़
18
से
बात
करते
हुए
भाजपा
प्रदेश
उपाध्यक्ष
दयाशंकर
सिंह
ने
बताया
कि
पुष्कर
सिंह
धामी
उत्तराखंड
राज्य
बनने
से
पहले
ही
राजनीति
में
आ
गये
थे
और
उनके
सफर
की
शुरूआत
लखनऊ
विश्वविद्दालय
से
हुई
थी।
पुष्कर
एबीवीपी
के
राष्ट्रीय
अधिवेशन
के
संयोजक
के
पद
पर
भी
कार्य
कर
चुके
हैं।
दयाशंकर
सिंह
ने
आगे
बोलते
हुए
कहा
किपुष्कर
पढ़ाई
में
बहुत
अच्छे
थे
और
बहुत
मेहनत
भी
करते
थे।
मेहनत
का
ही
नतीजा
है
कि
वो
आज
मुख्यमंत्री
के
पद
तक
पहुंच
गये।
धामी
राष्ट्रीय
स्वयं
सेवक
संघ
के
है
काफी
करीबी
छात्र
राजनीति
से
जुड़े
रहे
45
वर्षीय
धामी
महाराष्ट्र
के
राज्यपाल
और
प्रदेश
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
भगत
सिंह
कोश्यिारी
के
काफी
करीबी
है।
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
कोश्यिारी
उन्हें
उंगली
पकड़कर
राजनीति
में
लाए
थे।
उन्हें
राष्ट्रीय
स्वयं
सेवक
संघ
का
भी
काफी
करीबी
माना
जाता
रहा
है।
धामी
साल
2002
से
2008
उत्तराखंड
बीजेपी
युवा
मोर्चा
के
अध्यक्ष
पद
पर
रहे।
उन्होंने
उत्तराखंड
की
खटीमा
सीट
से
लगातार
दो
बार
जीत
हासिल
की।
साल
2012
से
2017
तक
वे
विधायक
रहे
और
फिर
2017
में
हुए
उत्तराखंड
विधान
सभा
चुनाव
उन्हें
जीत
मिली।
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सैनिक
परिवार
में
हुआ
जन्म
पिथौरागढ़
जिले
की
डीडीहाट
तहसील
के
एक
गांव
में
टुण्डी
में
धामी
का
जन्म
एक
सैनिक
परिवार
में
हुआ
था।
उन्होंने
सरकारी
स्कूल
में
ही
अपनी
शिक्षा
पूरी
की।
पढ़ाई
के
दौरान
की
अखिल
भारतीय
विद्यार्थी
परिषद
के
सम्पर्क
में
आए
और
1990
से
लेकर
1999
तक
परिषद
के
कार्यकर्ता
के
रूप
में
काम
किया।
इसके
बाद
उन्होंने
लखनऊ
विश्वविद्दालय
में
छात्र
राजनीति
के
जरिये
सियासत
का
ककहरा
सीखा
और
राजनीति
की
शुरुआत
की।
वह
भारतीय
जनता
युवा
मोर्चा
से
जुड़े
और
2002
से
2008
तक
प्रदेश
में
युवाओं
को
रोजगार
के
मुद्दे
पर
एकजुट
किया।
इस
दौरान
उनकी
बड़ी
सफलता
तत्कालीन
सरकार
से
राज्य
के
उद्योगों
में
युवाओं
के
लिए
70
प्रतिशत
आरक्षण
की
घोषणा
करवाना
रही।