सपा के भीतर कोहराम की अगली किश्त की झलक दिखी रजत जयंती कार्यक्रम में
समाजवादी पार्टी के भीतर सबकुछ अभी भी बेहतर नहीं है, पार्टी के रजत जयंती कार्यक्रम में अमर सिंह, आजम खान रहे नदारद और कई विवादित झलकियां साफ दिखीं
अंकुर सिंह। समाजवादी पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर तमाम जनता दल के नेताओं सहित बड़े-बड़े दिग्गजों को लखनऊ में बटोरकर यह दिखाने की कोशिश की गई की पार्टी के भीतर अब सबकुछ सही है और अब आगामी चुनाव के लिए पार्टी एकजुट है तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर ही भीतर दहक रहे ज्वालामुखी की झलक एक बार फिर से साफ देखने को मिली।
अमर सिंह सिंह हुए बाहरी
चाचा-भतीजे के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह रहे अमर सिंह इस कार्यक्रम से नदारद रहे। जिस तरह से शिवपाल यादव ने खुलकर उनका समर्थन किया था और अखिलेश ने सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ मोर्चा खोला था उसे देखते हुए अमर सिंह का कार्यक्रम से इसलिए दूर रखा गया ताकि कार्यक्रम में किसी भी तरह की अप्रिय घटना ना हो।
लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कबतक अमर सिंह को इस तरह से दूर रखा जाएगा। अमर सिंह को पार्टी ने राज्यसभा भेजा है और वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी है, लिहाजा लंबे समय तक यह लुकाछिपी आने वाले समय में एक बार फिर से नए विवाद की वजह बन सकती है।
आजम खान ने बनाई दूरी
सपा के भीतर मचे घमासान के बाद से ही आजम खान तमाम बड़े कार्यक्रमों से दूर है, पहले वह 3 नवंबर को अखिलेश के विकास रथ कार्यक्रम में नहीं दिखे तो वह आज भी रजत जयंती के कार्यक्रम से नदारद दिखे। इसकी बड़ी वजह एक बार फिर से उनकी शिवपाल व अमर सिंह से दूरी मानी जा रही है।
आजम खान पहले भी यह कह चुके हैं कि हारने वालों के साथ मुसलमान नहीं आएंगे, ऐसे में जिस तरह से वह सपा के बड़े कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं, वह पार्टी के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकती है। हालांकि खबरों की मानें तो आजम उमरा करने के लिए बाहर गए हैं, लेकिन ऐसे समय में उनका बाहर जाना जब पार्टी के अहम कार्यक्रम हों कई सवाल खड़े करता है।
चाचा भतीजे ने एक दूसरे पर साधा निशाना
चाचा-भतीजे ने सार्वजनिक मंच पर एक दूसरे के साथ बेहतर रिश्ते दिखाने की यूं तो बहुत कोशिश की लेकिन इन कोशिशों की पोल तब खुल गई जब दोनों ने मंच पर माइक संभाला।
एक
तरफ
जहां
शिवपाल
ने
कहा
कि
आप
चाहे
जितना
बदनाम
करें,
जितनी
बार
बर्खास्त
करें
पर
मेरे
विभागों
में
आपके
विभागों
से
कम
काम
नहीं
हुआ
है।
उन्होंने
कहा
कि
मुझे
मुख्यमंत्री
नहीं
बनना
है
मैं
अपना
खून
तक
देने
को
तैयार
हूं।
उन्होंने
यहां
तक
कह
दिया
कि
कुछ
लोगों
को
बिना
कुछ
किए
विरासत
में
सबकुछ
मिल
जाता
है।
वहीं जब अखिलेश यादव ने माइक संभाला तो बोले कि किसी की परीक्षा की जरूरत नहीं है, हमने अपनी मेहनत पर यह मुकाम हासिल किया है। अखिलेशय यादव ने यह तक कह दिया कि यह सही समय नहीं है कई सवालों के जवाब देने का।
बर्खास्त मंत्रियों को मंच की जिम्मेदारी
इस कार्यक्रम में यह बात काफी दिलचस्प थी कि एक तरफ जहां अखिलेश समर्थकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया और उन्हें आज के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने दिया तो दूसरी तरफ जिन मंत्रियों को अखिलेश यादव ने मंत्रीमंडल से बाहर निकाला था उन्हें मंच संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें कैबिनेट से बर्खास्त मंत्री शादाब फातिमा, नारद राय और ओम प्रकाश सिंह शामिल थे। यही नहीं अखिलेश समर्थक जावेद आब्दी ने जब अखिलेश के समर्थन में माइक पर बोलना शुरु किया तो शिवपाल यादव ने उन्हें मंच से धकेल दिया।
गायत्री प्रजापति बने संचालक
इस पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी कैबिनेट से बर्खास्त मंत्री गायत्री प्रजापति को दी गई थी। मंच पर जिस तरह से हर तरफ गायत्री प्रजापति की मौजूदगी थी उससे अखिलेश किस तरह से असहज थे वह उनके इस बयान से समझा जा सकता है जब उन्होंने कहा कि गायत्री ने मुझे तलवार दी और चाहते हैं कि तलवार नहीं चलाऊं।