दूसरी पार्टियों के नेता भाजपा के लिए यूपी में बड़ी चुनौती
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी तैयारियों में जुटी है। लेकिन पार्टी के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है प्रदेश में उम्मीदवारों को टिकटों का बंटवारा। पार्टी पिछले चुनावों की तुलना में इस बार के चुनाव में टिकटों के बंटवारे में खासी एहतियात बरत रही है।
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आगामी यूपी विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही भाजपा प्रदेश में तमाम पार्टियों के दिग्गज नेताओं को अपनी पार्टी में मिलाने की कोशिशों में भी जुट गयी है। इसी कड़ी में पार्टी ने बसपा के बृजेश पाठक स्वामी प्रसाद मौर्या को भाजपा में एंट्री दी है। यही नहीं पार्टी ने 350 नेताओं को भाजपा में शामिल कराने का लक्ष्य भी रखा है।
पिछले चुनावों में 16 उम्मीदवारों को मिला था टिकट
विधानसभा चुनाव 2012 में पार्टी ने तमाम दलों के नेता जोकि भाजपा में शामिल हुए थे को टिकट दिया था। 2012 में भाजपा ने 16 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिये थे जो दूसरे दल से भाजपा में आये थे। इनमें मुख्य रूप से कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह जिन्होंने पार्टी अपने प्रतिद्वंदी हर्षवर्धन बाजपेयी को भारी मतों से हराया था।
पुराने नेताओं को डरा रहा है दरकिनार होने का डर
लेकिन इस बार के चुनाव मे भाजपा के सामने चुनौतियां बड़ी है। दूसरे दल से जिस तरह से नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं वह पुराने नेताओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं और उन्हें पार्टी में मिली अहम जगह छिन जाने का संकट सता रहा है।
संघ के करीबी भी टिकट की कतार में
भाजपा में दूसरे दलों से आ रहे नेताओं के बीच तमाम ऐसे नेता हैं जो टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से 14 नेता शामिल हैं। संघ के करीबी प्रभा शंकर पांडेय, शिव रक्षा द्विवेदी, हर्षवर्धन, केशव के पार्थ।
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कई बड़े नाम टिकटों के लिए लगा रहे चक्कर
वहीं भाजपा के पूर्व दिग्गज नेता भी इस लिस्ट में शामिल हैं जो टिकटों के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह गौर, राधाकांत ओझा। वहीं सपा से भाजपा में शामिल हुए शशांक त्रिपाठी, कमाल सिंह, बीबी अग्रवाल, रईश चंद्र शुक्ला, एसएल ओझा, भूपेश चौबे, राघवेंद्र सिंह भी टिकटों की सेंधमारी में लगे हैं।
दूसरे दल के सिर्फ 30 फीसदी नेताओं को मिलेगा टिकट
हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने साफ किया है कि दूसरे दलों से आये सिर्फ 30 फीसदी नेताओं को आगामी चुनाव में टिकट दिया जाएगा। लेकिन पार्टी के इस ऐलान के बाद भाजपा के अंदरखाने में दूसरे दलों से आये नेताओं के बीच बगावत होने की भी सुगबुगहाट है।
बिहार का हाल ना कर दे भाजपा को बेहाल
बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि क्या भाजपा लोकसभा चुनाव की तर्ज पर यूपी में एकतरफा हवा चला पाने में कामयाब होती है या फिर बिहार की तरह पार्टी को जाति समीकरण के सामने मुंह की खानी पड़ती है।