सपा की पारिवारिक कलह के बीच उभरता ब्रांड अखिलेश
लखनऊ। यूपी की सियासत में अखिलेश यादव ने जिस तरह से खुद को अन्य राजनेताओं से अलग दिखाया है उसी के चलते वह अपनी खास पहचान बनाने में सफल हुए हैं। ताजा घटनाक्रम को देखें तो जिस तरह से अखिलेश यादव ने पारिवारिक विवाद का डटकर सामना किया है उसने उन्हें और परिपक्व और कड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में स्थापित किया है।मंगलवार को यूपी की राजनीति में जबरदस्त घमासान मचा हुआ था, लेकिन इन सब विवादों से इतर जब अखिलेश यादव मीडिया के सामने वह बिल्कुल ही अलग अंदाज में दिखे।
आखिर किस बाहरी पर बरसे अखिलेश, किन फैसलों को बदलने का था दबाव
अभी और तेवर देखने को मिलेंगे
इस कलह के बीच अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वह अब फ्रंट सीट पर बैठकर ड्राइविंग करेंगे। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि वह आने वाले समय में और कितने कड़े और बड़े फैसले ले पाते हैं।
विवादों पर खुद संभाला माइक, अब है फैसले की घड़ी
इस पूरे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के चेहरे पर किसी भी तरह की शिकन देखने को नहीं मिली, वह पूरे कार्यक्रम के दौरान चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ लोगों से बात करते रहे। यूपी की सियासत में ब्रांड अखिलेश के उभरने की एक यह भी काफी अहम वजह है कि तमाम विवादों पर अखिलेश यादव मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं और इस बात का कतई अंदाजा नहीं होने देते हैं कि वह इन मुद्दों को लेकर किसी भी पशोपेश में हैं।
विवादों में भी चेहरे पर नहीं आती शिकन
इन तमाम विवादों के बीच कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि वह किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन उन्होंने अपने आवास पर ही किसान बीमा योजना कार्यक्रम की शुरुआत की और बॉलिवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की मौजूदगी में बीमा कार्ड को भी जारी किया।
रिश्तेदारों के दबाव को किया दरकिनार
मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में माना जा रहा था कि अखिलेश यादव पारिवारिक कलह के बीच तनाव में दिखेंगे। लेकिन इन सब से इतर अखिलेश यादव ने ना सिर्फ कार्यक्रम में हिस्सा लिया बल्कि मीडिया के सवालों का भी बेबाकी से जवाब दिया। उन्होंने साफ कहा कि मेरे लिए यह फैसले की घड़ी है और अब मैं अपने फैसले खुद लुंगा। यही नहीं उन्होंने यह भी साफ किया कि उन्होंने कुछ फैसले नेताजी की मर्जी और कुछ फैसले खुद की मर्जी से लिए हैं।
विवाद से इतर जारी किया किसान बीमा कार्ड
एक तरफ जहां तमाम विवाद चल रहे थे तो दूसरी अखिलेश यादव सपा की रथ यात्रा पर भी पूरी नज़र बनाए हुए थे। उन्होंने पारिवारिक कलह की तरजीह देने की बजाए रथ यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया और खुद इस यात्रा के लिए बनी बस में सवार हुए।