अखिलेश के लिए कुछ खास है हिलेरी क्लिंटन के रणनीतिकार स्टीव के पास
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनावों के लिए अखिलेश यादव भी अब पीआर एजेंसी की मदद लेंगे। उसके लिए पार्टी ने विदेशी पीआर एजेंसी को हायर किया है जो पार्टी का आगामी चुनाव में प्रचार करने में मदद करेगी। सपा ने चुनाव प्रचार के लिए जाने माने चुनावी रणनीतिकार व हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीव जॉर्डिंग को चुना है। जॉर्डिंग आगामी चुनाव में पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे यूपी की अमेरिका की राजनीति से इतर यूपी की राजनीति में स्टीव अपना हाथ आजमाते हैं।
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पीके की तर्ज पर चलेंगे स्टीव
मौजूदा समय में प्रशांत किशोर मौजूदा समय में कांग्रेस की रणनीति को बनाने में जुटे हैं और वह राहुल की किसान यात्रा को गांव-गांव तक पहुंचाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। कुछ इसी तर्ज पर जॉर्डिंग भी सपा के चुनावी अभियान को लोगों तक पहुंचाएंगे।
अखिलेश की नीतियों को लोगों तक पहुंचाना है
जॉर्डिंग हाल में ही सपा के चुनावी अभियान को अपने हाथ में लिया है। उनका कहना है कि हमारा मुख्य मकसद अखिलेश यादव की नीतियों को गांव-गांव तक पहुंचाया जाए। उनका कहना है कि लोग अभी राज्य सरकार की नीतियों को केंद्र सरकार की मानते हैं। लोगों के इस भ्रम को खत्म करना जरूरी है और हम इसकी पूरी कोशिश करेंगे।
सपा उम्मीदवारों को देंगे बात करने की ट्रेनिंग
सपा की चुनावी रणनीति के लिए जॉर्डिंग उम्मीदवारों को ट्रेनिंग देने की भी योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि अखलिेश यादव लोगों मे लोकप्रिय हैं और खासतौर पर युवा उन्हें पसंद करता है। सपा के उम्मीदवारों को जॉर्डिंग लोगों से बात करने का एक खास तरीका भी सिखाएंगे कि वह कैसे लोगों के बीच मुद्दों को उठाएं।
विद्या बालन को ब्रांड अंबेसडर बनाने के पीछे स्टीव
आपको बता दें कि हाल ही में समाजवादी पेंशन योजना के लिए विद्या बालन को ब्रांड अंबेसडर बनाया गया था वह जॉर्डिंग की ही रणनीति का हिस्सा था। माना जा रहा है कि विद्या बालन को ब्रांड अंबेसडर बनाने के लिए जॉर्डिंग ने ही सुझाव दिया था।
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लंबा अनुभव है स्टीव जॉर्डिग का
गौरतलब है कि स्टीव जॉर्डिंग हार्वर्ड विश्वविद्यालय में 1980 से पढ़ा रहे हैं, मुख्य रूप से पब्लिक पॉलिसी को पढ़ाते हैं। इससे साथ ही वह अमेरिका के डेमोक्रेटिक प्रेसिडेंशियल हिलेरी क्लिंटन का भी चुनावी अभियान संभाल रहे हैं। क्लिंटन के अलावा वह अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर व स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानों रेजोय का भी अभियान संभाल चुके हैं।
2014 से शुरु हुआ है एजेंसी हायर करने का चलन
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही चुनाव के लिए पीआर एजेंसी को हॉयर करने का चलन शुरु हुआ था। पहले जहां भाजपा ने नरेंद्र मोदी के प्रचार के लिए पीके को नियुक्त किया था, तो बिहार में नीतीश कुमार और अब यूपी में कांग्रेस ने भी बतौर पीआर पीके की सेवाएं ली हैं।