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Covid से लखनऊ बेहाल: अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों का अकाल, शमशान घाट फुल, कब्रिस्तानों पर बढ़ा बोझ

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लखनऊ, अप्रैल 14। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते अस्पताल भरे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। सीएम योगी ने अधिकारियों को अस्पतालों में व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं लेकिन संक्रमण इतना तेज फैल रहा है कि अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल हो गया है। हालत तो यह है कि अब सोर्स-सिफारिश भी काम नहीं आ रही है। संक्रमण के साथ ही वायरस के शिकार लोगों की मौत की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालत कितनी बिगड़ गई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शमसान घाटों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

अंतिम संस्कार के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार

अंतिम संस्कार के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार

एक तरफ तो लोगों को अपनों को खोने का गम है तो दूसरी तरफ अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की कमी पड़ रही है।

लखनऊ के बैकुण्ठ धाम और गुलालघाट पर काम करने वाले कर्मचारी शवों के अंतिम संस्कार को पूरा करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। इन दो घाटों पर ही कोविड के मरीजो का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। आलमबाग में कोविड से मौत होने वाले शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है।

राजधानी में कोविड संक्रमण के चलते मौतों की संख्या में पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गई है। भैसाकुंड पर सामान्य दिनों में 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार पारंपरिक तरीके से किया जाता रहा है जबकि विद्युत शवदाह गृह में 5 से 10 शवों का अंतिम संस्कार होता है। गुलालघाट पर 7 से 10 शवों का अंतिम संस्कार होता है जबकि 4 से 6 शव विद्युत शवदाह गृह में जलाए जाते हैं।

रविवार को भैंसाकुंड पर 42 शव अंतिम संस्कार के लिए लाए गए थे और गुलालघाट पर यह संख्या 27 थी। एक दिन बाद सोमवार को भैंसाकुंड पर आने वाले शवों की संख्या बढ़कर 57 हो गई जबकि गुलालघाट पर 29 शवों को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। इनमें से अधिकांश कोविड पॉजिटिव थे।

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लखनऊ के बाहर से भी आ रहे शव

लखनऊ के बाहर से भी आ रहे शव

इनमें से कई शव लखनऊ के बाहर उन स्थानों से भी हैं जहां पर कोविड पॉजिटिव शवों के अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि दूसरी जगहों पर कोरोना से मरने वाले शवों को छूने से ही शमशान घाट के लोग मना कर दे रहे हैं। वहीं लखनऊ में भैसाकुंड और गुलालघाट पर कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है।

लखनऊ नगम निगम ने शवों को सुरक्षित तरीके से शवदाह गृह तक लाने के लिए 100 कर्मचारियों को संविदा पर रखा है। इन सभी को पीपीई किट दी गई है और दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं।

लकड़ियों की हो रही कमी

लकड़ियों की हो रही कमी

कोरोना वायरस के चलते शवों की संख्या बढ़ने से शमशान घाट पर लकड़ियों की कमी पड़ने लगी है। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। ये दुर्भाग्य ही है कि जहां लोग अपनों की मौत के गम से जूझ रहे हैं वहीं उनके अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां जुटाने के लिए कमीशन खिलाना पड़ रहा है।

अपने एक रिश्तेदार के अंतिम संस्कार के लिए घाट पर पहुंची सुमन रावत ने बताया कि उन्हें छह घंटे तक इंतजार कराया गया। सुमन को बताया गया कि घाट पर लकड़ियां नहीं है अगर वे खुद इंतजाम कर लें तो ठीक रहेगा। यही नहीं घाट पर उनसे कहा गया कि अगर वे चाहें तो लकड़ियों का इंतजाम किया जाएगा लेकिन उसके लिए सुमन से 7500 रुपये की मांग की गई। जबकि चिता के लिए लकड़ियों की कीमत 2500 रुपये के ही करीब पड़ती है।

सुमन ने बताया कि उनके परिजन की चिता के लिए लकड़ी लगाने के लिए भी 500 रुपये की मांग की गई।

प्रशासन का लकड़ी की कालाबाजारी से इनकार

प्रशासन का लकड़ी की कालाबाजारी से इनकार

नगर आयुक्त अजय द्विवेदी हालांकि लकड़ियों की कमी की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन अधिक पैसे लेने के आरोपों को इनकार किया है। द्विवेदी ने मीडिया को बताया कि घाट पर दो क्षेत्र बनाए गए हैं। इनमें कोविड क्षेत्र में 50 प्लेटफॉर्म अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए हैं। इसके साथ ही 5 और विद्युत शवदाह गृह तैयार किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कोविड क्षेत्र में किसी तरह की कोई देरी नहीं हो रही है और जो भी शव आ रहे हैं उनका तेजी से दाह संस्कार किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि कोविड क्षेत्र में लकड़ियां मुफ्त दी जा रही हैं जबकि सामान्य शवों के दाह संस्कार के लिए 550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लकड़ियां दी जा रही हैं। जब उनसे कमीशन की बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है लेकिन निगम इसके लिए एक अधिकारी की तैनाती कर रहा है जो इस तरह की किसी भी घटना को रोकने के लिए निगरानी करेगा।

शमशान घाट पर वाहनों की बढ़ती संख्या

शमशान घाट पर वाहनों की बढ़ती संख्या

घाट पर बढ़ती शवों की संख्या के साथ ही भैसाकुंड के पास वाहनों की पार्किंग की भी समस्या सामने आ रही है। लोगों को घंटों इंतजार कर रहे हैं इस दौरान बाहर खड़े वाहनों पर नगर निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कई लोग जब अंतिम संस्कार के बाद बाहर निकल रहे हैं तो बाहर उनके वाहन उन्हें नहीं मिल रहे हैं। बाद में पता चल रहा है कि नगर निगम की गाड़ी उनके वाहनों को उठाकर ले गई है। कई लोगों ने वसूली का आरोप भी लगाया है।

कब्रिस्तानों में भी वैसा ही है हाल
सिर्फ शमशान घाट ही नहीं मुस्लिम और ईसाई कब्रिस्तानों में भी संख्या बढ़ रही है। शहर के सबसे बड़े ऐशबाग कब्रिस्तान में पिछले 10 दिनों में 200 शवों को दफनाया गया है। इनमें सिर्फ सोमवार को ही 30 शव दफनाए गए। यही हाल ईसाई कब्रिस्तान का भी है जहां पर पिछले 10 दिनों में 12 शवों को दफनाया गया है।

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English summary
coronavirus situation in lucknow cremation ground on waiting list
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