यूपी: नवजात ने नहीं छोड़ी जीने की जिद, कोरोना को हराकर 18 दिन बाद लौटा घर
वह 1 अप्रैल पैदा हुआ था और 25 अप्रैल को उसे कोरोना हो गया। उस नन्हे से बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी और अंत में कोरोना को उसके सामने घुटने टेकने पड़े।
लखनऊ, 19 मई। वह 1 अप्रैल पैदा हुआ था और 25 अप्रैल को उसे कोरोना हो गया। उस नन्हे से बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी और अंत में कोरोना को उसके सामने घुटने टेकने पड़े। लगातार 18 दिन तक कोरोना से जंग लड़ने के बाद वह ठीक हो गया और 13 मई को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह इतना भी आसान नहीं था। मेरठ के नुटेमा अस्पताल में जब वह पैदा हुआ तो वह लगभग बेदम था, उसे तेज बुखार था और उने निमोनिया हो गया था। बच्चा कोरोना से संक्रमित है इस बात का भी तुरंत पता नहीं चल सका था। निकित नाम का यह बच्चा विकास दुहान और सर्वेश दुहान के घर पैदा हुआ था।
बच्चे को नया जीवन देने वाले डॉक्टरों की टीम में शामिल डॉ. अमित उपाध्याय ने बताया कि जब उसे अस्पताल लाया गया तो उसके फेंफड़ों में संक्रमण था। इसके बाद उसे रेमडेसिविर का इंजेक्शन दिया गया और उसे स्टेरॉड्यस दिए गए। उसके ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करने के लिए उसे दवाइयां दी गईं। उसका ब्लड प्रेशर बहुत कम था, इसके बाद उसे 7 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
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डॉक्टर उपाध्याय ने कहा कि नवजात के कोरोना से ठीक होने के बाद यह कहा जा सकता है कि कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित मरीज को यदि समय पर बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाए तो वह पूरी तरह ठीक हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इलाज के समय उसका ऑक्सीजन लेवल 50 था, लेकिन उचित और समय पर उपचार के साथ वह बच गया। बच्चे के ठीक होने के बाद मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं है। वे काफी खुश है। नवजात के पिता ने कहा कि, 'बीते 18 दिन हमारे लिए बेहद कठिन थे, लेकिन अब वह ठीक हो चुका है। हम बहुत खुश हैं।' उन्होंने आगे कहा कि हमारा पूरा परिवार बच्चे के ठीक होने की दुआ कर रहा था।