Preeti Singh Jhala : MBA डिग्रीधारी Sarpanch प्रीति झाला की मौत, बिजनेस करते लड़ा था चुनाव
Preeti Singh Jhala Biography : राजस्थान के कोटा जिले में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी और युवा सरपंच प्रीति सिंह झाला नहीं रहीं। सोमवार को हुए सड़क हादसे में कोटा जिले की सारोला ग्राम पंचायत की सरपंच प्रीति झाला की मौत हो गई। नवाचार करने वाली सरपंच को खो देने से कोटा जिले में शोक की लहर है। परिवार सदमे में है। दिवाली की खुशियों के बीच मातम छा गया।
प्रीति झाला का कोटा के रास्ते में हुआ एक्सीडेंट
सारोला ग्राम पंचायत सरपंच प्रीति झाला सोमवार को अपने पिता के साथ जीप में सवार होकर जा रही थी। रास्ते में कोटा से करीब 10 किलोमीटर आगे आने पर जीप बेकाबू हो गई। प्रीति झाला जीप के अगले पहिए के नीचे आ गई। गंभीर रूप से घायल प्रीति झाला को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
2019 में पहली बार बनी सरपंच
मीडिया से बातचीत में छोटे भाई करणी सिंह ने बताया कि उनकी बहन ने राजस्थान पंचायत चुनाव 2019 में भाग्य आजमाया था और चुनाव जीतकर पहली बार सरपंच बनी थी। पंचायत चुनाव 2019 में सारोला ग्राम पंचायत की सीट जनरल महिला के लिए आरक्षित हुई थी, जिस पर प्रीति सिंह झाला ने जीत दर्ज की थी।
मेयो कॉलेज से की स्नातक
बता दें कि प्रीति का बचपन कोटा जिले में बीता। दसवीं तक की पढ़ाई भी यहीं से की। साल 2008 में अजमेर के मेयो कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। एमबीए की डिग्री पाई। प्रीति को घुड़सवारी का शौक था। इनके पास दो घोड़े हैं। हॉर्स राइडिंग में मेडल जीतने वाली प्रीति घुड़सवारी के साथ साथ प्रीति फोटोग्राफी भी करती थी।
डोरिया साड़ी का बिजनेस शुरू किया
एमबीए की डिग्री पाने के बाद प्रीति सिंह झाला ने साल 2017 में कोटा में डोरिया की साड़ी का बिजनेस शुरू किया। डोरिया साड़ी विदेशों में एक्सपोर्ट करती थी। फिर साल 2019 में पंचायत चुनाव आए तो प्रीति ने राजनीति में उतरकर लोगों की सेवा करने की ठानी। बिजनेस करते करते चुनाव लड़ा। पंचायत चुनाव में एक माह तक ग्राम पंचायत सारोला में कैंपेनिंग की। इनके पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष रहे।
प्रीति जनसुनवाई में करती समस्या का समाधान
बता दें कि सारोला ग्राम पंचायत के अन्तर्गत पांच गांव दरबिची, सारोला, डाबर, मोतीकुआं व कचनावदा आते हैं। सरपंच बनने के बाद प्रीति झाला ने छह करोड़ 38 लाख की लागत से पेयजल योजना स्वीकृत करवाई। डाबर व दरबिची के बीच लिंक रोड ठीक करवाई। प्रीति जनसुनवाई में खुलकर अपनी बात रखती थीं। लोगों की समस्याओं पर स्टैंड लेती थीं। उसे गलती बर्दाश्त नहीं होती थी।
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