लाख की जॉब छोड़कर ताइवानी तरबूज की खेती में जुटा आकिल, आधुनिक खेती से बढ़ाया मुनाफा
कौशांबी, जून 01: खेती छोड़कर इस समय गांव के युवा नौकरियों की तरफ भाग रहे हैं, तो वहीं, लाखों की नौकरी छोड़कर आकिल अपने गांव में आधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहा हैं। बता दें कि आकिल कई देशों में जाकर मल्टीनेशनल कंपनियों में फाइनेंशियल विभाग में नौकरी कर चुका है। लेकिन अब वो अपने गांव वापस आ गया और परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक तरीके से खेती शुरू की। ताकि मुनाफा बढ़िया हो, उसका यह प्रयोग सफल भी हो रहा है।
Recommended Video
आकिल की मेहनत एवं लगन को देखकर अब आसपास के गांव के किसान भी आधुनिक तरीके से खेती करने की योजना बना रहे हैं। आकिल की मानें तो उसने ताइवान से तरबूज के बीज मंगवाए और तरबूज की हरी-भरी खेती की है। साथ ही वो जिले के लोगों को ताइवानी तरबूजे का स्वाद भी दे रहे है। इसके अलावा कमाई में इजाफा कैसे किया जाए इसके बारे में भी आकिल ने किसानों के साथ अपने अनुभव साझ किए। आकिल की मानें तो वो भविष्य में स्ट्राबेरी सहित अन्य तमाम फलों एवं सब्जियों की खेती करने की योजना बना रहे है। खास बात यह है कि उसने खेती के लिए आसपास के गांव के किसानों से जमीन लीज पर ले रखी है।
आकिल मंझनपुर मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर एक छोटा से गांव तैयबपुर मंगौरा में रहते है। आकिल ने विश्व की कई मल्टी नेशनल कंपनियों में फाइनेंसियल कार्य देखा है। वो अमेरिका, लंदन, दुबई, कनाडा सहित कई देशों में रहकर लाखों रुपए महीने की कमाई कर चुके है। इस दौरान आकिल ने इन देशों में जाकर तमाम किसानों से भी मुलाकात की और वह आधुनिक तरीके से खेती कर कैसे बढ़िया कमाई करते हैं। इसके बारे में भी उनसे जानकारी हासिल की। आकिल अपने गांव की मिट्टी को चेक कराने के लिए दुबई भी ले गया। जहां के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत की मिट्टी में तमाम तरीके की खेती की जा सकती है। यहां की मिट्टी खेती के लिए बहुत ही अनुकूल है।
आकिल की मानें तो तकरीबन 2 साल पहले वह अपने वतन वापस आया। आकिल ने अपने गांव सहित आसपास के तमाम गांव के किसानों को परंपरागत खेती करते देखा। उसे अपने देश की मिट्टी से इतना प्यार हुआ कि उसने वापस विदेशों में जाकर नौकरी करने की योजना को समाप्त कर दिया और अपने गांव में ही रुक कर आधुनिक तरीके से खेती करने की योजना बना डाली। आकिल ने बताया कि उसने शुरुआती दौर में केले की खेती की। जिसके बाद से बढ़िया मुनाफा हुआ। इस दफा गर्मी के सीजन में ताइवान से तरबूज का बीज मंगवाया और तरबूज की खेती भी मल्चिंग सिस्टम से किया।
खेती में पानी की खपत कम हो और पानी बर्बाद भी ना हो, इसके लिए उसने उद्यान विभाग से संपर्क किया तो विभाग ने युवक की मेहनत एवं लगन को देखकर अनुदान पर स्प्रिंकल प्रदान किया। आकिल ने अपने साथ गांव के तमाम लोगों को खेती के कार्य में लगा के रखा है। ताकि ग्रामीणों को रोजगार के लिए भी न भटकना पड़े। उसके ताइवान के तरबूज की खेती काफी अच्छी है और फल भी अन्य तरबूज की खेतों की अपेक्षा बहुत ही अच्छे आए हैं। हालांकि बारिश की वजह से थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन आकिल का कहना है कि वह इसकी भरपाई तरबूज की खेती से ही कर लेंगे।