J&K: क्या है TRF ? जो श्रीनगर में हिंदुओं और सिखों को बना रहा है निशाना
श्रीनगर, 7 अक्टूबर: कश्मीर में जिस तरह से पिछले दो वर्षों में आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों पर लगाम लगा है, दहशतगर्दों ने अपनी हिंसा का पैटर्न बदल लिया है। अगर पिछले एक हफ्ते की आतंकी वारदातों को देखें तो पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने कम से कम 7 नागरिकों को निशाना बनाया है, उनमें से 4 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। इस दौरान आतंकी संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) भी अचानक कुख्यात हो गया है, जिसने मंगलवार को तीन हत्याओं की जिम्मेदारी खुद कबूल की है। अब सवाल है कि टीआरएफ क्या है ? इसके पीछे कौन लोग हैं, इनका मकसद क्या है और इन्होंने ढूंढ़-ढूंढ़ कर ज्यातर हिंदुओं और सिखों को मारना क्यों शुरू किया है ? क्या यह 1989 दोहराने की बड़ी साजिश का हिस्सा है ?
'द रेसिस्टेंस फ्रंट' ने मचाया कोहराम
कश्मीर में आम नागरिकों को निशाना बनाने की घटनाएं अचानक जिस तरह से बढ़ गई हैं, उसकी वजह से आतंकी संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) सुर्खियों में आ गया है। इसने प्रमुख कश्मीरी पंडित और बिजनेसमैन माखन लाल बिंद्रू समेत दो और नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है। पुलिस के मुताबिक श्रीनगर के बिंद्रू मेडिकेट के 68 वर्षीय मालिक बिंद्रू को मंगलवार शाम 7 बजे तब प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई, जब वह अपनी फार्मेसी दवाइयां देने में लगे हुए थे।
लगभग एक ही समय तीन हत्याओं को दिया अंजाम
बिंद्रू के कत्ल के कुछ ही मिनट बाद आतंकियों ने सड़क किनारे गोलगप्पे और भेलपुरी बेचने वाले वेंडर वीरेंद्र पासवान की भी गोली मारकर हत्या कर दी। वह बिहार के भागलपुर जिले का रहने वाला था और सड़क किनारे मिले रोजगार के जरिए किसी तरह अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाता था। जिस वक्त उसे मारा गया लगभग उसी दौरान उत्तर कश्मीर में बांदीपोरा के नैदखायी में लोकल टैक्सी स्टैंड के अध्यक्ष मोहम्मद शाफी लोन की भी हत्या कर दी। इन सभी हत्याओं की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है।
एक हफ्ते में 3 हिंदू और 1 सिख की हत्या हुई
दहशतगर्दों की बंदूकें फिर भी शांत नहीं हुईं और गुरुवार को उन्होंने श्रीनगर के गवर्नमेंट स्कूल के दो टीचरों की हत्या कर दी। ये दोनों भी सिख और हिंदू समुदाय से थे। कश्मीर में पिछले एक हफ्ते में आतंकियों ने 7 नागरिकों को मारा है, जिनमें से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं- तीन हिंदू और एक सिख। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल आतंकियों ने राजनीति से जुड़े लोगों समेत कुल 25 नागरिकों की हत्या कर दी है।
टीआरएफ के पीछे कौन हैं और इसका मकसद क्या है?
जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों का मानना है कि द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) असल में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट है। इनके मुताबिक इस आतंकी संगठन का सिर्फ नाम बदला गया है, ताकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को स्थानीय लोगों की ओर से चलाया जाने वाला 'स्वदेशी' आंदोलन का रूप दिखाया जा सके। सूत्रों की मानें तो घाटी में टीआरएफ के जमीनी आतंकियों को हाल ही में हत्याओं को अंजाम देने के लिए मुख्य कैडर में तब्दील किया गया है।
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क्या 1989 दोहराने की बड़ी साजिश का हिस्सा है ?
उधर न्यूज 18 के एक सूत्र ने उसे बताया है, 'हम हिंसा के पैटर्न में बदलाव को देख सकते हैं। वे एक बहुत ही स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि गैर-मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इन आतंकी समूहों को नए डोमिसाइल एक्ट और नई चुनावी प्रक्रिया से परेशानी है। ये बहुत सॉफ्ट टारगेट होते हैं। ये वो लोग हैं जो समाज और कश्मीर के लिए काम कर रहे हैं।' अगर इतिहास को टटोलें तो तीन दशक पहले कश्मीर से इसी तरह से कश्मीरी पंडितों को उजाड़ दिया गया था।