Phoolan Devi Birthday : जानिए क्यों खौल उठा था फूलन देवी का खून, 22 ठाकुरों को मारने की असली वजह ?
जालौन, 10 अगस्त: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में जन्मी एक लड़की, जो एक कांड की वजह से देशभर में मशहूर हो गई। एक खतरनाक डकैत, जिसकी जिंदगी पर फिल्म तक बन गई। दो बार चुनाव जीती और संसद पहुंची। वो लड़की जो अपनी मौत के 20 साल बाद भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में 'सक्रिय' है। हम बात कर रहे हैं फूलन देवी की, जिनकी आज यानि 10 अगस्त को जयंती (बर्थ एनिवर्सिरी ) है।

बचपन से झेला लड़की और पिछड़ी जाति होने का दर्द
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश में जालौन के घूरा का पुरवा में एक गरीब और 'छोटी जाति' वाले परिवार में हुआ था। पिता मल्लाह देवी दीन थे। फूलन अपने छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। लड़की और पिछड़ी जाति होने के दर्द फूलन ने बचपन से ही झेला। फूलन बचपन से ही गुस्सैल स्वभाव की थीं, उसने अपनी मां से सुना था कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली थी। इस वक्त फूलन की उम्र 10 वर्ष थी। उसने जमीन के लिए धरना दे दिया। चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी।

11 साल की उम्र 30 साल के व्यक्ति से करा दी गई शादी, सहे जुल्म
फूलन को इस गुस्से की सजा मिली। फूलन का शादी 11 साल की उम्र में ही 30 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्ति से करा दी गई। एक गाय की कीमत पर फूलन का सौदा किया गया था। शादी के बाद पति ने फूलन पर जुल्म किए। वह फूलन से मारपीट करता था। परेशान होकर वह किसी तरह अपने पति के चंगुल से छूटकर भाग निकली। कुछ दिन बाद उसके भाई ने उसे वापस ससुराल भेज दिया। ससुराल पहुंचने पर फूलन को पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। पति और उसकी नई पत्नी ने फूलन की बेइज्जत किया, जिसके बाद उसे घर छोड़कर आना पड़ा।

'शायद किस्मत को यही मंजूर था'
इसके बाद फूलन डाकुओं के गैंग से जुड़े कुछ लोगों के साथ उठने-बैठने लगी। फूलन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- शायद किस्मत को यही मंजूर था। फूलन क उम्र 18 साल थी, जब बेहमई गांव में ऊंची जाति के अपराधियों के एक समूह ने उसका गैंगरेप किया। बेहमई गांव में फूलन को दो हफ्ते तक बंधक बनाकर रखा गया और तब तक गैंगरेप किया गया, जब तक उसने होश नहीं खो दिए।

फूलन ने 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मार दी गोली
इसके बाद फूलन ने वो काम किया जिसकी वजह से वह देशभर में चर्चा में आ गई। फूलन डाकुओं के गैंग में शामिल हो गई। पुलिस और रिश्तेदारों की साजिशों की शिकार होने के बाद फूलन एक रिश्तेदार की मदद से बागी बन गई। छोटे-मोटे अपराधों से शुरू हुआ सिलसिला 22 लोगों की एक साथ हत्या तक पहुंच गया। डकैतों के ग्रुप में शामिल होकर फूलन उसकी मुखिया बन बैठी। साल 1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी और उसने उन दो लोगों की पहचान कर ली, जिसने उसके साथ रेप किया था। उसने दोनों से बाकी लोगों के बारे में पूछा। जब किसी ने कुछ नहीं बताया तो फूलन ने गांव से 22 ठाकुरों को निकालकर एक लाइन में खड़ा किया और गोली मार दी। यही वो हत्याकांड था, जिसने फूलन देवी की छवि एक खूंखार डकैत की बना दी। ऊंची जाति के लोग फूलन को वहशी हत्यारिन घोषित करने में जुटे थे, और इधर पिछड़ों के लिए फूलन, देवी दुर्गा का अवतार बन गई थी। उन्हें दस्यु सुंदरी, दस्यु रानी जैसे नाम भी दिए जाने लगे थे।

सरेंडर, 11 साल जेल, फिर बाहर आईं फूलन
इस हत्याकांड ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का ध्यान भी आकर्षित किया। सरकार ने बीहड़ में डाकू की समस्या समाधान निकालने की कार्रवाई शुरू कर दी। आखिर में डकैत फूलन देवी सरेंडर को राजी हुई, लेकिन कुछ शर्तें रखीं। फूलन ने शर्त रखी कि उनकी गैंग के सदस्यों को फांसी नहीं दी जाएगी। पिता की जमीन उसे वापस की जाएगी और उसके भाई-बहनों को सरकारी नौकरी दी जाए। लंबे वक्त तक चले मुकदमे के बाद 1994 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर मुकदमे वापस लिए और फूलन जेल से बाहर आईं।

दो बार चुनाव जीतीं, दिल्ली में कर दी गई हत्या
फूलन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के मामले थे। फूलन 11 साल जेल में रहीं, इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार ने 1993 में उन पर लगे सारे आरोप वापस लेने का फैसला किया। 1994 में फूलन देवी जेल से छूट गईं। इसके बाद उनकी शादी उम्मेद सिंह से हो गई। 1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं। फूलन मिर्जापुर से सांसद बनीं और दिल्ली के अशोका रोड के आलीशान बंगले में रहने लगी। फूलन दलितों की मसीहा के तौर पर पहचानी गईं। 25 जुलाई 2001 को तीन नकाबपोशों ने फूलनदेवी को उनके दिल्ली के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी।