MP में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या : जानिए काले हिरणों की पूजा क्यों करता है राजस्थान का बिश्नोई समाज?
मध्य प्रदेश में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जानिए राजस्थान में बिश्नोई समाज क्यों पूजता काले हिरण
जयपुर, 14 मई। देश में काले हिरणों का शिकार फिर सुर्खियों में है। शनिवार तड़के मध्य प्रदेश के गुना के आरोन में शिकारियों के साथ हुई मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या की गई है। काले हिरणों को बचाने के प्रयास में मध्य प्रदेश पुलिस के एसआई राजकुमार जाटव, आरक्षक नीरज भार्गव व संतराम को जान गंवानी पड़ी है।
सलमान पर लगा था हिरण शिकार का आरोप
काले हिरणों के शिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले ने काले हिरणों के शिकार से जुड़े सलमान खान केस की याद ताजा कर दी। वर्ष 1998 में अभिनेता सलमान खान पर राजस्थान के जोधपुर जिले के लूणी पुलिस थाना इलाके के गांव कांकाणी गांव में काले हिरणों का शिकार का आरोप लगा था।
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काले हिरणों की रक्षा करता है बिश्नोई समाज
जोधपुर का बिश्नोई समाज इस मामले को राजस्थान हाई कोर्ट तक ले गया था। मध्य प्रदेश में काले हिरणों का शिकार और पुलिसकर्मियों की हत्या की घटनाएं पर जानिए आखिर राजस्थान का बिश्नोई समाज काले हिरणों से इतनी मोहब्बत क्यों करता है?
बिश्नोई समाज जाम्भोजी का उपासक
दरअसल, राजस्थान का बिश्नोई समाज लोकदेवता जाम्भोजी की पूजा करते हैं। बिश्नोई बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है। यानी बिश्नोई समाज 29 नियमों का पालन करता है। इन्हीं नियमों में से एक नियम शाकाहारी रहना और हरे पेड़ नहीं काटना भी शामिल है। जीवों से प्रेम करना है।
कृष्ण मृग अभयारण चूरू तालछापर
यही वजह है कि राजस्थान का बिश्नोई समाज जंगल और जीव की रक्षा के लिए जान तक देने को तैयार रहता है। राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, चूरू, हनुमानगढ़ के आस-पास के इलाकों में काले हिरण खूब पाए जाते हैं। चूरू के तालछापर में तो कृष्ण मृग अभयारण तक बना हुआ है, जहां ढाई हजार से ज्यादा काले हिरण विचरण करते हैं।
गांव-गुवाड़ में हिरण बेखौफ विचरण हैं
श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान के प्रदेश महामंत्री हनुमानगढ़ निवासी अनिल बिश्नोई बताते हैं कि जीवों की रक्षा करना हमारे खून में हैं। बिश्नोई समाज में जानवर को भगवान तुल्य मान जाता है। कई जगहों पर इस समाज के गांव-गुवाड़ में हिरण बेखौफ विचरण करते मिल जाएंगे। बिश्नोई समाज की महिलाएं नवजात हिरण को अपने बच्चे की तरह स्तनपान तक करवाती हैं।
गंगाराम बिश्नोई हुए शहीद
बतात हैं कि बिश्नोई समाज में प्रकृति के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले लोगों को शहीद का दर्जा भी दिया जाता है। बिश्नोई समाज में गंगाराम बिश्नोई समेत कई ऐसे लोग हुए हैं, जिन्होंने जानवरों के लिए अभी जान भी गंवाई है। गंगा राम बिश्नोई ने 26 अप्रेल 2006 को हिरण रक्षार्थ अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
इन जगहों पर अधिक हैं बिश्नोई के लोग
राजस्थान में जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, जालोर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर जिले में बिश्नोई समाज के लोग अधिक पाए जाते हैं। इन्हीं में काले हिरण भी अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली महाराष्ट्र, पंजाब, असम, उत्तर प्रदेश में बिश्नोई समाज के लोग हैं।
काले हिरणों के बारे में अधिक जानकारी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार हिंदू प्राचीन ग्रंथों में काला हिरण भगवान कृष्ण का रथ खींचता नजर आता है। इन्हें वायु, सोम, चंद्र का वाहन माना जाता है। करणी माता को इनका संरक्षण माना जाता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता में ये भोजन का स्रोत रहा है। धोलावीरा और मेहगढ़ जैसी जगह इकी हडिडयों के अवशेष मिल हैं। मुगल सल्तनत में ब्लैक बक की पेंटिंग्स मिलती हैं।
-भारत में काले हिरण राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र व गुजरात में पाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश में काले हिरण को स्टेट एनिमल का दर्जा प्राप्त है।
-नर काले हिरण का वजह 34-45 किलोग्राम होता है और कंधे पर उसकी ऊँचाई 74-88 सेंटीमीटर होती है। मादा 31 से 39 किलोग्राम वजनी होती है। ऊँचाई नर से कम होती है।
-नर काले हिरण रंग भी बदलते हैं। मानसून के अंत तक इनका रंग काला दिखता है, लेकिन सर्दियों में ये रंग हल्का पड़ने लगता है। अप्रैल की शुरुआत तक भूरा हो जाता है।
-ये आमतौर पर घास चरते हैं, लेकिन थोड़ी बहुत हरियाली वाले अर्ध रेगिस्तानी इलाकों में भी पाए जाते हैं।
मध्य प्रदेश में मृतक पुलिसकर्मी
1. राजकुमार जाटव, एसआई
2.
नीरज
भार्गव,
आरक्षक
3.
संतराम,
आरक्षक
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