लंपी वायरस भगाने के लिए जयपुर मेयर का अजीबोगरीब प्रण, चप्पल और माला नहीं पहनने से भागेगा लंपी वायरस ?
जयपुर, 17 सितंबर। राजस्थान में लंपी वायरस महामारी का रूप ले चुका है। प्रदेश में अब तक 50 हजार से ज्यादा गौवंश इस बीमारी अकाल मृत्यु का ग्रास बन चुके है। इस बीमारी से व्यथित होकर कांग्रेस नेता और जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के अजीबोगरीब प्रण का मामला सामने आया है। मुनेश गुर्जर ने प्रदेश से लंपी वायरस नहीं जाने तक पैरों में चप्पल और माला नहीं पहनने का संकल्प किया है।
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हवन के दौरान किया ऐलान
गायों को लंपी वायरस से बताने के लिए नगर निगम कार्यालय में हवन का आयोजन किया गया। सभी पार्षद और अधिकारी इस हवन कार्यक्रम में शामिल हुए। इसी दौरान मेयर मुनेश गुर्जर ने ऐलान किया कि जब तक इस बीमारी का खेल खत्म नहीं होगा। वह जूते चप्पल नहीं पहनेगी। साथ ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मान के तौर पर माला नहीं पहनेगी।
हिंगोनिया गौशाला पहुंची मेयर
हेरिटेज नगर निगम सीनियर मुनेश गुर्जर अपने साथी पार्षदों और अधिकारियों के साथ हिंगोनिया गौशाला पहुंची। यहां गुर्जर ने लंपी वायरस से पीड़ित गौवंश के स्वास्थ्य की जानकारी ली। साथ ही इस बीमारी से पीड़ित गौवंश को औषधि के लड्डू खिलाए। इस दौरान मेयर मुनेश गुर्जर ने अधिकारियों को गौवंश को समय-समय पर चेकअप और इलाज करने के दिशा निर्देश भी दिए।
क्या है लंपी वायरस
लंपी स्किन डिजीज एक वायरस के जरिए होने वाली बीमारी है। यह बीमारी गायों और भैंसों को होती है। यह वायरस गोट पॉक्स औऱ शिप पॉक्स फैमिली का है। लंपी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़े के जरिए फैलता है। इस वायरस से सबसे ज्यादा गोवंश पीड़ित हो रहा है। इसमें शुरू में हल्का बुखार होता है। इसके बाद पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं। कुछ दाने घाव में बदल जाते हैं। इसके अलावा संक्रमित जानवर की नाक बहती है और मुंह से लार आती है। दूध देना कम हो जाता है।
लंपी वायरस से बेहाल राजस्थान
लंपी वायरस का सबसे ज्यादा असर राजस्थान में दिखा है। राजस्थान में इस वायरस से अब तक 50 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। जबकि 10 लाख से ज्यादा गाय इस वायरस की चपेट में आ चुकी है। राजस्थान के रेगिस्तान गौवंश के कब्रिस्तान बनते जा रहे हैं। हजारों की संख्या में गायों को दफनाया जा रहा है। देश के अन्य राज्यों में भी इसका असर है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी गौवंश इससे प्रभावित हुआ है।