सचिन पायलट बोले : किसानों, बेरोजगारों, युवाओं और एमएसएमई के लिए बजट में कुछ नया नहीं
जयपुर। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वित्त मंत्री का बजट भाषण निजीकरण को बैंकिंग, बिजली, बीमा, शिपिंग सहित अनेक क्षेत्रों में बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसमें दो सरकारी बैंकों के निजीकरण, बंदरगाह प्रबंधन को निजी हाथों में देने, बिजली वितरण में सरकारी कंपनियों के समानांतर निजी कंपनियों को मौका देने के अलावा बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को आयकर सीमा में किसी प्रकार की छूट न देकर उनके साथ धोखा किया गया है वहीं, किसानों, बेरोजगारों, युवाओं और एमएसएमई के लिए बजट में कुछ नया न होने से इस बजट से यथास्थितिवाद ही रहेगा।
उन्होंने कृषि क्षेत्र में कर्ज की सीमा 15 लाख करोड़ से 16.25 लाख करोड़ को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि राज्यों की सहकारी बैंकों को नाबार्ड से यह राशि भी पिछले वर्षों में समय पर नहीं मिलने के कारण किसानों को परेशानी हुई है। बजट में किसानों के कर्ज, एमएसपी की गारंटी पर कुछ नहीं कहा गया है। पायलट ने एमएसपी की खरीद के सरकारी आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यूपीए सरकार की नीतियों के कारण किसान को एपीएमसी में एमएसपी से अधिक या बराबर मूल्य मिलता था क्योंकि व्यापार और उद्योग-धंधे फल-फूल रहे थे जबकि भाजपा शासन में व्यापार व उद्योग की हालत खराब है।
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उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, पोषण, शहरी जल-जीवन मिशन, शहरी स्वच्छ मिशन को लेकर 5 साल के लिए जो घोषणाएं की गई हैं, उनके क्रियान्वयन हेतु राज्यों के पास संसाधनों की कमी एक बड़ी समस्या होगी। उन्होंने कहा कि बजट से बेरोजगारी कम नहीं होगी क्योंकि नए निवेश को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है।
पायलट ने कहा कि राजस्थान को इस बजट से निराशा ही मिली है क्योंकि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, लम्बित रेल परियोजनाओं, नए राष्ट्रीय राजमार्गों के बारे में पूरी तरह चुप्पी साधी गई है। वित्तीय घाटे के 9.5 प्रतिशत तक पहुंच जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार की पूंजीगत व्यय की घोषणाएं पूरी होना इसलिए कठिन दिखती हैं कि सरकार ने लोक लुभावन तरीके से पूंजीगत व्यय में 34 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जबकि वित्तीय घाटा एफआरबीएम सीमा से 4 प्रतिशत अधिक दिखाया है।