कुर्सी के बाद सचिन पायलट का सरकारी बंगला चर्चा में, खाली नहीं किया तो रोजाना 10000 का जुर्माना
जयपुर। राजस्थान की गहलोत सरकार की कुर्सी हिला देने और सचिन पायलट से कुर्सी छीन लेने वाला सियासी संकट तो टल गया, मगर अब कुर्सी के बाद सरकारी बंगलों को लेकर सियासत शुरू हो गई।
14 सितंबर को पूरी हो रही मियाद
खुद डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट, पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को आवंटित किए गए सरकारी बंगलों को खाली करने की मियाद 14 सितंबर को पूरी हो रही है। ऐसे में अब नियमानुसार राजस्थान सरकार तीनों से ही सरकारी बंगले खाली करवाएगी या नहीं। प्रदेश में इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया व राज्यसभा डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से सरकारी बंगला खाली करवाया जा चुका है जबकि इस मामले में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को राहत दी गई थी।
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प्रतिदिन का जुर्माना लगेगा
अब देखने वाली बात यह है कि सचिन पायलट समेत दो पूर्व मंत्री मीणा व सिंह से बंगले खाली करवाए जाते हैं या इन्हें पूर्व सीएम राजे की राहत मिलती है। अगर राहत नहीं मिलने की स्थिति में ये बंगले खाली नहीं करते हैं तो इन्हें प्रतिदिन दस हजार रुपए का जुर्माना देना होगा।
इसलिए बंगले खाली करवाने की नौबत
बता दें कि राजस्थान में विधायकों की खरीद फरोख्त की कथित साजिश के एसओजी का नोटिस मिलने नाराज तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने खेमे के करीब बीस विधायकों को साथ लेकर हरियाणा के एक होटल में डेरा डाल लिया था। इधर, अशोक गहलोत सरकार सियासी भंवर में फंस गई। अल्पमत में आ जाने की आशंका पैदा होने लगी। कई प्रयास के बावजूद पायलट नहीं तो 14 जुलाई 2020 को डिप्टी सीएम और मीणा व सिंह को कैबिनेट मंत्री के पद से हटा दिया था। इसलिए उन्हें बतौर मंत्री आवंटित बंगले खाली करवाने की नौबत आई है।
सिर्फ विधायक आवास में रह सकते हैं
सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह अब राजस्थान में सिर्फ विधायक हैं। इसलिए ये विधानसभा के विधायक आवास में ही रह सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के बंगलों में नहीं सकते हैं, क्योंकि ये बंगले सिर्फ मंत्रियों को आवंटित किए जाते हैं। सचिन पायलट व विश्वेंद्र सिंह का बंगला सिविल लाइंस व रमेश का बंगला गांधी नगर में है।
ऐसे दी थी राजे को राहत
इससे पहले राजस्थान की ही अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी बंगले के मामले में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को राहत प्रदान की थी। यह मामला सुर्खियों में भी रहा। उस समय राजस्थान सरकार ने राजे के बंगले समेत चार बंगलों को सामान्य प्रशासन विभाग से विधानसभा के पूल में डाल दिया था। ताकि ये बंगले उन नेताओं को आवंटित किए जा सके जो पूर्व सीएम, केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे या राज्य मंत्री और तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे या फिर राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और दो बार विधानसभा सदस्य रहे या फिर दो बार सांसद रहे। राजस्थान हाईकोर्ट ने 2019 में पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करवाने का आदेश दिया था। इसमें वसुंधरा राजे का सरकारी बंगला भी शामिल था। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने बंगला खाली नहीं करवाया।
पहाड़िया व मीणा को नहीं मिली थी राहत
हालांकि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया से बंगला खाली करवा लिया गया था। जबकि वे भी पूर्व सीएम होने के नाते इन नियमों के दायरे में आते थे। इनके अलावा राज्य सभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से भी सरकारी बंगला खाली करवाया गया। हालांकि जिन नियमों के तहत राजे को विधानसभा पूल में बंगला दिया गया है उनमें पायलट व विश्वेंद्र सिंह भी आते हैं। सचिन पायलट केंद्र में मंत्री, सांसद, कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं व मौजूदा विधायक भी हैं। विश्वेंद्र सिंह भी 3 बार सांसद, 6 बार विधाायक व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और माैजूदा विधायक भी हैं। लेकिन रमेश मीणा सिर्फ कैबिनेट मंत्री रहे हैं और विधायक हैं। इसलिए वे विधानसभा पूल के नियमों में भी नहीं आते। हालांकि विधानसभा पूल में बंगला शामिल करने के लिए भी इन्हें सरकार के सामने आवेदन करना होगा।
नाेटिस मिला ताे 12 घंटे में खाली कर दूंगा बंगला-सिंह
पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि मुझे अब तक काेई नोटिस नहीं मिला है। मेरी सीएमओ बात भी हुई है वहां से भी यही कहा गया है कि किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं हो रहा है। फिर भी अगर नोटिस मिलता है तो मैं 12 घंटे में ही बंगला खाली कर दूंगा।
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