राजस्थान का सियासी मौसम : पायलट गुट के 5 विधायकों को तोड़ने की रणनीति बनाने में जुट गई गहलोत सरकार
जयपुर, 11 जून। मानसून ने भले ही अभी तक राजस्थान में दस्तक न दी हो, मगर इन दिनों सूबे का सियासी मौसम कई रंग दिखा रहा है। जयपुर मेयर प्रकरण 20 करोड़ की डील तक पहुंच गया। वहीं, राजस्थान सियासी संकट 2021 के बादल भी मंडराते दिख रहे हैं।
दो विधायक ने पाला बदला
मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक दावा किया जा रहा है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट के पांच विधायकों को तोड़ने की रणनीति बनाने में जुट गई है। पूर्वी राजस्थान में दो विधायक तो टूट भी चुके बताए।
खान के लिए बदला गुट
एक विधायक ने अपनी खान के लिए पाला बदला है। ये वो विधायक हैं, जो पायलट के समर्थन में कुछ भी बोल दिया करते थे। अब इनकी प्राथमिकता अपनी माइंस हैं। वहीं, दूसरे विधायक के कहने पर राज्य सरकार की ओर से कई बड़े एक्शन लिए जा रहे हैं, जिससे विधायक का पूरा परिवार परेशान है।
पायलट से मिले पांच विधायक
इधर, सुबह जयपुर में सचिन पायलट आवास पर खासी हलचल रही। पूर्व मंत्री व डीग विधायक विश्वेंद्र सिंह सबसे पहले पायलट से मिलने पहुंचे। इसके बाद पांच और विधायक भी उनके आवास पर पहुंच गए। इनमें विधायक मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, वेद प्रकाश सोलंकी ने सुलह कमेटी द्वारा दस माह बाद भी कोई नतीजा नहीं निकालने पर नाराजगी जताई। पायलट ने इन विधायकों से इंतजार करने को कहा। अब इस इंतजार के सियासी मायने समझ से परे है।
प्रियंका गांधी ने किया सचिन पायलट को फोन
खबर यह भी है कि गुरुवार देर शाम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट से फोन पर बात की और उन्हें समाधान का भरोसा दिलाया। बताया जा रहा है कि गांधी परिवार सीएम अशोक गहलोत के भी सम्पर्क में है ताकि इस पायलट-गहलोत विवाद का जल्द से जल्द निपटारा किया जा सके।
सीएम अशोक गहलोत के पास तीन विकल्प
1. राजनीतिक नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार कर कुछ पायलट समर्थकों को मौका देने में दिक्कत यह है कि असंतुष्ट खेमे की नाराजगी और बढ़ सकती है, क्योंकि सचिन पायलट इस फॉर्मुले को शायद ही मानें।
2. मतभेद खत्म करके खुद फैसला लेकर मंत्रिमंडल का विस्तार कर तो लें लेकिन इसमें भी दिक्कत ये है कि उन गहलोत समर्थकों के नाराज होने का डर रहेगा जिन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिलने की आस है।
3. सीएम अभी ये कर रहे हैं कि कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे। सुलह कमेटी की रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।
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सचिन पायलट के पास तीन विकल्प
1. सचिन पायलट के पास विकल्प है कि वे न कांग्रेस में रहें और ना ही भाजपा में जाएं। अपना अलग तीसरा मोर्चा बना लें, लेकिन इसमें दिक्कत ये है कि नई पार्टी खड़ी करने में बहुत वक्त व पैसा और संसाधान चाहिए।
2. सीएम अशोक गहलोत से समझौता कर दिल्ली में कोई पद ले लें। इस विकल्प में दिक्कत ये है कि सचिन पायलट पांच साल तक राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष और ढाई साल से राजस्थान सरकार में मेहनत कर रहे हैं। दिल्ली जाने से इनके व्यर्थ होने का डर है।
3. सचिन पायलट ने फिलहाल तीसरे विकल्प को अपना रखा है। पायलट सुलह कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि आलाकमान उनसे किया गया वादा निभाएगा और उनके समर्थक को पार्टी में उचित स्थान दिया जाएगा।