NAMO BOMB से यूरोपियन दुश्मनों के उड़ाएंगे छक्के, OFK से पहली खेप एक्सपोर्ट, जानिए पूरा मामला
आयुध निर्माणी क्षेत्र में जबलपुर की 1942 की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सेना के लिए लगातार आयुध सामग्री का निर्माण करते आ रही है। फैक्ट्री प्रोडक्शन में अब L-70 बम का नया वर्जन भी जुड़ गया है।NAMO BOMB: Europeans will blow sixes
जबलपुर, 12 जुलाई: अंग्रेजों के ज़माने की आयुध निर्माणी खमरिया (OFK) फैक्ट्री ने ऐसे बमों का अपग्रेड वर्जन तैयार किया है, जो 30-40 किलोमीटर दूर दुश्मनों के परखच्चे उड़ाएंगा। 'नमो' नाम के एंटी एयरक्राफ्ट इन बमों को पहली बार भारत यूरोपियन देश स्वीडन को एक्सपोर्ट करने जा रहा है। सप्लाई होने जा रहे करीब 44 हजार बमों में से 200 कार्टेज केस फैक्ट्री ने स्वीडन रवाना किए।
इन बमों को ‘नमो’ कहने का मतलब
आयुध निर्माणी क्षेत्र में जबलपुर की 1942 की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सेना के लिए लगातार आयुध सामग्री का निर्माण करते आ रही है। फैक्ट्री प्रोडक्शन में अब L-70 बम का नया वर्जन भी जुड़ गया है। इसे 'नमो' बम इसलिए कहा जा रहा है, क्योकि नार्डिक एमुनेशन कंपनी (Nammo) ने इसके उत्पादन और तकनीक का मटेरियल प्रदान किया है। जानकारी के मुताबिक 2019 तक नई तकनीक के इन बमों का निर्माण होना था, लेकिन कोरोनाकाल के कारण उत्पादन में ग्रहण लग गया था। जब शुरुआती दौर का प्रोडक्शन कम्प्लीट हुआ तो उसकी पहली खेप स्वीडन एक्सपोर्ट की जा रही है।
इन बमों को ‘नमो’ कहने का मतलब
आयुध
निर्माणी
क्षेत्र
में
जबलपुर
की
1942
की
ऑर्डिनेंस
फैक्ट्री
सेना
के
लिए
लगातार
आयुध
सामग्री
का
निर्माण
करते
आ
रही
है।
फैक्ट्री
प्रोडक्शन
में
अब
L-70
बम
का
नया
वर्जन
भी
जुड़
गया
है।
इसे
'नमो'
बम
इसलिए
कहा
जा
रहा
है,
क्योकि
नार्डिक
एमुनेशन
कंपनी
(Nammo)
ने
इसके
उत्पादन
और
तकनीक
का
मटेरियल
प्रदान
किया
है।
जानकारी
के
मुताबिक
2019
तक
नई
तकनीक
के
इन
बमों
का
निर्माण
होना
था,
लेकिन
कोरोनाकाल
के
कारण
उत्पादन
में
ग्रहण
लग
गया
था।
जब
शुरुआती
दौर
का
प्रोडक्शन
कम्प्लीट
हुआ
तो
उसकी
पहली
खेप
स्वीडन
एक्सपोर्ट
की
जा
रही
है।
इन
बमों
की
ये
है
खासियत
सेना
के
लिए
तैयार
इन
बमों
की
कई
विशेषताएं
हैं।
इसे
एल-70
गन
से
जमीन
और
हवा
दोनों
जगहों
से
फायर
किया
जा
सकता
है।
यह
एंटी
एयरक्राफ्ट
का
नया
वर्जन
है।
•
मल्टी
परपस
यूटिलिटी
वाहन
पर
इसे
न
सिर्फ
लोड
किया
जा
सकता
है
बल्कि
बड़ी
आसानी
से
लोड
गन
से
इसे
दागा
भी
जा
सकता
है।
•
ऑटोमेटिक
ग्रेनेड
लॉन्चर
(AGL)
से
भी
इसे
ऑपरेट
किया
किया
जा
सकता
है।
•
वर्तमान
में
सामान्य
बमों
के
समकक्ष
50
गुना
मारक
क्षमता
के
लिए
ये
बम
कारगर
है।
•
लॉन्चिंग
होते
ही
ये
बम
महज
15
सेकेण्ड
में
दुश्मन
के
परखच्चे
उड़ा
सकता
है।
•
यह
35
से
40
किलोमीटर
दूर
दुश्मन
पर
प्रहार
करने
की
क्षमता
रखता
है।
•
एक्यूरेसी
बेहद
सटीक
होने
के
साथ
टाइमिंग
भी
बेजोड़
है।
कम
एनर्जी
लेवल
होने
पर
भी
पूरी
क्षमता
के
साथ
अपना
काम
करने
में
सक्षम
है।
टेस्टिंग में उतरा खरा
ओएफके में तैयार 40 एमएम एल-70 बम जिसकी स्वीडन को सप्लाई की जा रही है, उसकी पहले ऑडिट हुई। फिर टेस्टिंग के सारे पैरामीटर जांचे-परखे गए। तकनीकी रूप से हर टेस्ट पर ये बम खरा उतरा तो इसे यूरोपियन देशों की डिमांड पर एक्सपोर्ट करने का फैसला लिया गया। स्वीडन के लिए 200 बमों का पहला लॉट रवाना करने के पहले फैक्ट्री के GM एसके सिन्हा ने इन बमों का पूजन भी किया। भारत स्वीडन को 44 हजार 'नमो बमों' की आपूर्ति करेगा। बमों के उत्पादन के बाद हुई टेस्टिंग से फैक्ट्री प्रशासन बेहद खुश है।
फैक्ट्री के पास 500 किलो वजनी GP Bomb
जबलपुर की आयुध निर्माणी खमरिया फैक्ट्री (OFK) ने इस तरह लगातार बड़े मुकाम हासिल कर रही है। इस फैक्ट्री ने कुछ वक्त पहले 500 वजनी जीपी बमों का निर्माण भी किया है। जो भारतीय वायु सेना को सौपें जा चुके है। इसके अलावा कानपुर में बनी देश की सबसे बड़ी 'सारंग' तोप का सफल परीक्षण भी खमरिया रेंज में हो चुका है। चंद सेकेण्ड में 'सारंग' लगभग 36 किलोमीटर तक मारक क्षमता रखने में सक्षम है।