MP: शिवराज मंत्रिमंडल में चलेगी कैंची ! बीजेपी की कोर कमेटी का महामंथन जल्द करेगा बड़ा धमाका
भोपाल, 05 सितंबर: इलेक्शन मोड कहो, चाहे एक्शन मोड..मध्यप्रदेश में बीजेपी की सिलसिलेवार तीन दिनों तक चली अलग-अलग बैठक का रणनीतिक मंथन तो यही इशारा करता हैं। पार्टी का मसला है तो कोई भी कोर ग्रुप की बैठक में लिए गए कड़े फैसलों का जिक्र नहीं कर रहा। लेकिन सूत्र बताते है कि आने वाले दिनों में शिवराज कैबिनेट पर कैंची चलने जा रही हैं। पुअर परफॉर्मेंस वाले कुछ मंत्रियों और जिला अध्यक्ष की छुट्टी हो सकती हैं। वहीं मंत्रिमंडल में रिक्त पड़े चार पद भी भरे जा सकते हैं। इस बहाने कई असंतुष्ट भी खुश हो जाएंगे।
दो दिन में हुई तीन बैठके
करीब साल भर बाद मप्र में विधानसभा चुनाव के मौसम में रंग जाएगा। उससे पहले बीजेपी अभी से अपना रोड मैप तैयार करने में जुट गई हैं। यही वजह है वक्त जाया न करते हुए पितृ पक्ष के पहले ही बीजेपी जरुरी बड़ी बैठकें करने मजबूर हुई। दो दिन में तीन बैठक हुई। जिसमें छुट्टी के दिन रविवार को पहली बैठक हुई। जिसे कामकाजी बैठक का नाम दिया गया। उसी दिन शाम को पार्टी की कोर ग्रुप की मीटिंग भी रखी गई। इसके बाद सोमवार को बचे हुए नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में मंथन करने बैठक हुई।
चर्चा में कोर ग्रुप की बैठक
जगजाहिर है कि बीजेपी अपने मजबूत संगठन के बलबूते ही किसी भी चुनाव की रणनीति तैयार करती हैं। नगरीय पंचायत निकाय चुनाव के नतीजों में जहां पार्टी कमजोर साबित हुई, वह आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से मंथन का बड़ा हिस्सा है। कोर ग्रुप की मीटिंग में मध्य प्रदेश और दिल्ली में दखल रखने वाले केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय पदाधिकारियों के अलावा सत्ता और संगठन का शीर्ष नेतृत्व ने महामंथन किया। चुनावी रणनीति की दिशा में आगे बढ़ रही पार्टी के के सामने कई चुनौतियां भी हैं, बैठक में इस पर ज्यादा जोर दिया गया।
बेड परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की होगी छुट्टी !
कहा जाता है कि कमलनाथ सरकार को गिराकर दोबारा सत्ता के सिंघासन की बागडोर शिवराज को ही इसलिए भी सौंपी गई थी, कि प्रदेश में इसी चेहरे के सहारे अगले चुनाव का खाका तैयार हो सकें। शिवराज मंत्रीमंडल में सिंधिया खेमे के मंत्रियों को पहले तरजीह दी गई, जिसके सहारे सत्ता में वापिस लौटें। कई पुराने चेहरें भी रिपीट हुए। लेकिन अब तक के परफॉर्मेंस में कई मंत्रियों ने पार्टी के साथ पूरी सरकार की कई बार किरकिरी भी कराई। कोर ग्रुप की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की खबर हैं। जिस पर संगठन ने बातों में उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने का इशारा भी कर दिया हैं। जिस पर कमेटी के मेम्बर्स को भी कोई एतराज नहीं है। साथ ही मंत्री बनने की लालसा रखने वाले जिन विधायकों को पहले जगह नहीं मिली, उन्हें खाली जगहों पर बैठाया जाएगा। ताकि उनकी नाराजगी भी दूर हो सकें।
20 जिला अध्यक्ष बदले जाने की भी चर्चा
बैठक में प्रदेश में पार्टी के जिला अध्यक्षों को लेकर भी मंथन हुआ। जिसमें लगभग 20 जिलों के अध्यक्ष निशाने पर रहे। पद पर रहते हुए उनके नेतृत्व पर सवाल उठे। साथ ही लोकल लेवल से आला कमानों तक पहुंचा उनका फीडबैक संगठन को कड़े फैसले लेने मजबूर कर रहा है। खबर है कि ऐसे अध्यक्षों की कुर्सी भी खतरे में हैं और उन्हें बदला जा सकता है। जिसमें इंदौर शहर, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, दमोह, अशोकनगर, बालाघाट, सीधी, सिंगरौली जिले सबसे पहले हैं।
पार्टी नहीं लेना चाहती कोई रिस्क
दरअसल बीजेपी संगठन किसी भी कीमत पर कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे उसे याद हैं। सूत्र बताते हैं कि अभी से पार्टी उन विधानसभाओं में नए चेहरों की तलाश में है, जहां अपनी सीट गंवाना पड़ी। मौजूदा MLA जिनका फीडबैक ठीक नहीं है, उनके विकल्प भी तलाशे जा रहे है। साथ ही चुनाव के पहले पार्टी की कोशिश है कि वह जनता के बीच अपनी छवि पहले से ज्यादा बेहतर बना सके।
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