जबलपुर में बदलेगी डॉक्टर की कुर्सी ! स्वयंसेवक से भाजपा के टिकट का सफ़र, जानिए कौन है वो महापौर प्रत्याशी
डॉ जामदार महाराष्ट्रियन परिवार से आते है। उनकी स्कूली शिक्षा जबलपुर में ही पूरी हुई है। शहर के पंडित लज्जाशंकर झा विद्यालय में विधार्थी के रूप में उन्होंने बुलंदियों के कई झंडे गाड़े।
जबलपुर, 14 जून: मप्र में नगर सत्ता के महासंग्राम में आखिरकार बीजेपी की ओर से टिकट को लेकर चले आ रहे सस्पेंस पर ब्रेक लग ही गया। राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक चली माथापच्ची के बाद जबलपुर समेत प्रदेश के 13 नगर-निगम महापौर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी गई। जबलपुर से बीजेपी के डॉ जितेन्द्र जामदार का महापौर चुनाव लड़ने का सपना साकार होता नजर आया आ रहा है। चुनावी मैदान में इस चेहरे को लेकर चली लंबी चर्चा की कई वजह होगी, लेकिन टिकट के आधार का एक हिस्सा उनकी प्रोफाइल भी रही। इंदौर, ग्वालियर और रतलाम की टिकट अभी होल्ड है।
शैक्षणिक योग्यता का मॉडल
डॉ जामदार महाराष्ट्रियन परिवार से आते है। उनकी स्कूली शिक्षा जबलपुर में ही पूरी हुई है। शहर के पंडित लज्जाशंकर झा विद्यालय में विधार्थी के रूप में उन्होंने बुलंदियों के कई झंडे गाड़े। शुरुआत से ही मेरिट शब्द जैसे उनकी डिक्सनरी में शामिल हो, उसी के मुताबिक स्कूल शिक्षा के हर क्षेत्र में अव्वल आते रहे। जबलपुर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जामदार कॉलेज की शिक्षा के लिए महाराष्ट्र पुणे चले गए। परिवार के लोगों ने उनका वही फग्यूर्सन कॉलेज में एडमिशन कराया। जिसके बाद उन्होंने बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून हॉस्पिटल से चिकित्सा की शिक्षा, प्रेक्टिस पूरी कर वह डॉक्टर बने। 1977 में बेस्ट आउटगोइंग स्टूडेंट के रूप में अतुर फाउंडेशन ट्रॉफी भी जीती। अस्थि रोग में विशेष प्रावीण्य सूची में अपना स्थान ग्रहण कर 1982 में जबलपुर लौटे। जिसके बाद चिकित्सा क्षेत्र में भी उन्होंने अपना अलग मुकाम हासिल किया है।
संघ के स्वयंसेवक का सफ़र
जबलपुर के सुप्रसिद्ध डॉ जितेन्द्र जामदार अब चुनावी मैदान में महापौर प्रत्याशी के रूप में नजर आएंगे। कट्टर संघी परिवार से वास्ता रखने वाले वाले डॉ जामदार का अतीत यूँ तो कई उपलब्धियों से भरा हुआ है, लेकिन चुनावी मैदान में उतरने पर उनकी पृष्ठभूमि को गहराई से जानना ज्यादा जरुरी है। बचपन में ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपना लिया था। संघ की परंपरा, उद्देश्यों का उनके मन मस्तिष्क पर ऐसा असर हुआ, कि उन्हें राष्ट्रभक्ति, हिंदुत्व की दहलीज के बाहर झाँकने की कभी फुर्सत नहीं मिली। माता-पिता के संस्कारों की छाप भी रही। इनकी माँ श्रीमती उर्मिला जामदार जिन्हें प्यार से 'ताई' के नाम से पुकारा जाता था, वह विश्व हिन्दू परिषद् से भी जुड़ी रही। परिषद् में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपीं थी। जब देश में बीजेपी के अटल-आडवानी का दौर था और राजनीति करवट ले रही थी, तो राम जन्मभूमि आंदोलन के वक्त जामदार की माँ उर्मिला जामदार ने भी अपनी भूमिका अदा की। अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया के साथ 'ताई' कंधे से कंधा मिलाकर चली।
संघ से भाजपा तक जिम्मेदारियां
डॉ. जितेन्द्र जामदार ने संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह वर्ष 2000 से वर्ष 2013 तक किया। कई वर्षों तक जबलपुर महानगर के संघचालक फिर उसके बाद विभाग और प्रांत संपर्क प्रमुख की जिम्मेदारी निभाई। 2014-15 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित प्रशिक्षण महाभियान के संयोजक के रूप में भूमिका अदा की। इस दौरान BJP के सभी स्तरों के प्रशिक्षण पूरे प्रदेश में आयोजित किये गए थे । इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले नर्मदा सेवा यात्रा आयोजन में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। अब मौजूदा वक्त में उन्हें नगर निगम महापौर प्रत्याशी के रूप में BJP ने टिकट दिया है।
समाज और चिकित्सा क्षेत्र में भी उपलब्धियां
जामदार सामाजिक क्षेत्रों के कई बड़े कार्यक्रमों में भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहे। चिकित्सा क्षेत्र में एसोसियेशन ऑफ़ स्पाईन सर्जन, इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का राष्ट्रीय अधिवेशन , विश्व विख्यात महानाटक जाणता राजा का आयोजन, श्रीगुरु जी जन्मशताब्दी महोत्सव, संकल्प महाशिविर अरु ABVP के राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर अध्यक्ष के रूप में जामदार ने शहर का नाम रौशन किया।