विरोधी नेताओं का कैसे सफाया करते है शी जिनपिंग? जानिए चीनी राष्ट्रपति के अद्भुत कला की कहानी
शी जिनपिंग के लिए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान सबसे बड़ा हथियार है और ज्यादातर नेताओं से लेकर उद्योगपतियों का शिकार वो इसी हथियार से करते हैं। उद्योगपति जैक मा को भी शी जिनपिंग ने ऐसे ही सजा दी।
हांगकांग, जनवरी 24: साल 2022 वैसे तो दूरी दुनिया के लिए अहम है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के नजरिए से देखें तो चीन के लिए साल 2022 काफी अहम साबित होने वाला है। अगले महीने यानिस 4 फरवरी से चीन, बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी करने जा रहा है और उसके ठीक बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की 20वीं पार्टी कांग्रेस की बैठक होगी, जिसमें देश के अगले राष्ट्रपति के नाम पर आखिरी मुहर लगेगी। लिहाजा, साल के शुरूआत में चीन में तय किया जाना है, कि कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान के तहत अगले पांच सालों तक देश का नेतृत्व किसके हाथ में दिया जाना है और अगले पांच सालों के लिए देश की नीतिगत प्राथमिकताएं क्या होने वाली हैं।
शी जिनपिंग की फिर ताजपोशी
चीन के साथ साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए भी ये साल काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस की बैठक में उम्मीद इसी बात को लेकर है, कि शी जिनपिंग को ही लगातार तीसरा कार्यकाल दिया जाएगा और निश्चित तौर पर शी जिनपिंग इस बार राजनीतिक स्थिरता को खोजने की कोशिश करेंगे, यानि, पार्टी के अंदर विरोधियों को पूरी तरह से समाप्त करने की कोशिश की जाएगी। विश्व पॉलिटिक्स में चीन और चीन की राजनीति में शी जिनपिंग को लेकर अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में एक वेबनायर का आयोजन किया गया, जिसका मुद्दा था, 'टुआर्ड्स शी जिनपिंग थर्ड टर्म: चायना 20th पार्टी कांग्रेस एंड वियॉंड', जिसमें वाशिंगटन डीसी स्थित ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट ने विभिन्न अकादमिक दिग्गजों को अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया था। जिसमें चीन और शी जिनपिंग की राजनीति को काफी करीब से जानने का मौका मिला।
खुद को 'शहंशाह' मान रहे शी जिनपिंग
बैठक में बोलते हुए जॉन एल. थॉर्नटन चाइना सेंटर के निदेशक चेंग ली ने कहा कि, ''बीजिंग कठिन खेल खेल रहा है''। उन्होंने कहा कि, ''शी जिनपिंग का मामना है कि वर्तमान वैश्विक हालात के बीच मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में चीन को सबसे ज्यादा फायदा है। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी को लगता है कि, शिनजियांग में उसकी स्थिति मजबूत हो रही है और हांगकांग पर उन्हें अब किसी भी तरह का समझौता नही करना है। और ताइवान के ऊपर वो लगातार दवाब बनाते रहेंगे और सैन्य अभियान जारी रहेगा।'' उन्होंने कहा कि, ''चीन और शी जिनपिंग का ये मामना है, लेकिन चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अभिजात वर्ग के सामने कुछ प्रमुख समस्याए भी हैं, जिनका वो सामना कर रहे हैं। जिसमें एक ये है कि, शी जिनपिंग काफी कठोरता से अपनी नीतियों को बनाते है और उसमें सभी को समेटने की कोशिश करते है।
तीन वजहों का किया जिक्र
विश्लेषक चेंग ने शी जिनपिंग के ऐसा करने के तीन तरीकों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि, पहला तरीका यह है कि, शी जिनपिंग का मानना है कि उसने सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, ग्रीन डेपलपमेंट, टेक्नोलॉजी सेक्टर और आर्मी मॉडर्नाइजेशन में काफी काम करते हुए पर्याप्त राजनीतिक पूंजी हासिल कर ली है। दूसरी बात ये कि, शी जिनपिंग ने हालिया समय में कुछ लोकलुभावन योजनाओं का जनता के सामने लाया है और उनका मानना है कि, उनकी आक्रामक विदेश नीति जनता के बीच लोकप्रिय कदमों में से एक हैं। और तीसरी बात ये, कि कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर जिन नेताओं को प्रमोशन मिला है और वो जिस, ग्वांडडोंग जैसे क्षेत्र से आते हैं, ये नेता अपनी अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव की वजह से जाने जाते है, लिहाजा ये शी जिनपिंग के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
घरेलू मुद्दों से कैसे पाएंगे पार ?
इसके साथ ही राजनीतिक विश्लेषक चेंग का मानना है कि 'चीनी नेताओं में रिटायरमेंट की निश्चित उम्र ने हमेशा से निष्पक्षता और स्थिरता की भावना को बढ़ाया है, लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए शी जिनपिंग इसे बदल चुके हैं और सवाल ये है, कि क्या दूसरे अधिकारियों के लिए यह जारी रहेगा?' चेंग को उम्मीद है कि इस बार पीपुल्स रिपल्बिक ऑफ चायना का केवल एक सदस्य ही सेवानिवृत्त होगा, लेकिन दूसरों के लिए यह तय करने का कोई उद्देश्य मानदंड नहीं है कि कौन रहेगा और कौन सेवानिवृत्त होगा और इसके पीछे की वजह "संभावित रूप से गंभीर नाराजगी और प्रतिरोध का कारण" है। हाल ही में शी जिनपिंग ने पार्टी नेतृत्व के भीतर एकता के महत्व पर जोर दिया है। जिसके बाद डर से ही सही, मगर हालात में सुधार हुआ है, क्योंकि शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय समिति के 376 सदस्यों में से केवल दो को ही निष्कासित किया गया था, जबकि उनके पहले कार्यकाल में 42 को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
खुद को कैसे बचाएंगे शी जिनपिंग?
रिटायरमेंट को लेकर विश्लेषक चेंग का मानना है कि, शी जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी के सामने कुछ तर्क दे सकते हैं। जिसमें उनका सबसे प्रभावी तर्क ये हो सकता है कि, देश की आर्थित स्थिति को बेहतर रखने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ शीर्ष सेनाओं को रिटायरमेंट की उम्र से परे रखना होगा और कुछ टॉप सदस्यों को कम्युनिस्ट पार्टी में रिटायरमेंट के बाद भी रहना होगा। इसके अलावा चेंग ने कहा कि, ''शी जिनपिंग साल 1690 के बाद पैदा हुए युवा नेताओं को तेजी से पार्टी में आगे बढ़ाएंगे, ताकि यह संकेत दिया जा सके, कि पार्टी के अंदर एक पीढ़िगत परिवर्तन चल रहा है और पार्टी की जिम्मेदारियों में युवाओं को स्थान दिया जा रहा है।
प्रांतीय सरकारों के लिए सख्त नियम
वहीं, इस तरह का बदलाव प्रांतीय-सरकार के स्तर पर पहले से ही स्पष्ट है जहां अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आयु को सख्ती से लागू किया जाता है। चीन के 31 प्रांतीय राज्यपालों में से एक को छोड़कर सभी का जन्म 1960 के दशक में हुआ था, और 94% की नियुक्ति पिछले कुछ वर्षों में हुई थी। चेंग ने अनुमान लगाया कि कम्युनिस्ट पार्टी की नई केंद्रीय समिति में 85% सीटें 1960 या उसके बाद पैदा हुए लोगों के पास होंगी। (वर्तमान में 52% की तुलना में)। ऐसा करने का उद्येश्य साफ है, कि कोई भी प्रांतीय नेता आगे बढ़कर शी जिनपिंग के सामने चुनौती बनकर खड़ा ना हो सके।
विरोधी नेता को कैसे हटाते हैं जिनपिंग?
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में चाइना ग्लोबल रिसर्च सेंटर के निदेशक एंड्रयू मेथा कहते हैं कि, शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार को एक हथियार की तरफ अपने विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया है। जिसके तहत नियम ये कर दिया है, कि पार्टी के वरिष्ठ पदों पर वही नेता आ सकेंगे, जिनके खिलाफ एक भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हों। और इसके लिए वो गंभीर नैतिक मूल्यों का जिक्र करते हैं, लेकिन इसकी आड़ में ज्यादातर विरोधी खेमे के नेताओं को ठिकाने लदा दिया गया। विश्लेषकों का मानना है कि, शी जिनपिंग ने चीन की राजनीति में खुद को शीर्ष पर रखने और बाकी नेताओं को साफ करने के लिए जिस कौशलता का उदाहरण दिया है, उसे लोगों में अभी भी कम करके आंका गया है।
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