क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'बहुत ज्यादा चिंता है, लेकिन...' विश्व बैंक ने श्रीलंका को कर्ज देने से किया इनकार, सारी उम्मीदें खत्म!

विश्व बैंक ने कहा है कि, श्रीलंका को जो मौजूदा कर्ज मिला हुआ है, उसी में जरूरी संसाधनों, दवा, रसोई गैस, उर्वरक, बच्चों के लिए दूध पाउडर और कमजोर परिवारों के लिए आर्थिक मदद जैसी व्यवस्था करनी चाहिए।

Google Oneindia News

कोलंबो, जुलाई 29: विश्व बैंक ने श्रीलंका की स्थिति को चिंताजनक मानते हुए भी लोन देने से साफ इनकार कर दिया है। गुरुवार को विश्व बैंक ने अपर्याप्त मैक्रोइकॉनॉमिक पॉलिसी फ्रेमवर्क का हवाला देते हुए कहा कि, मौजूदा आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका को कोई नई वित्तीय मदद देने की उसकी कोई योजना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने कहा कि, वह श्रीलंका के लोगों पर गंभीर संकट के प्रभाव के बारे में 'गहराई से चिंतित' है।

विश्व बैंक ने अपने बयान में क्या कहा?

विश्व बैंक ने अपने बयान में क्या कहा?

विश्व बैंक ने श्रीलंका को लेकर जो बयान जारी किया है, उसमें कहा गया है कि, 2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले द्वीप राष्ट्र को संरचनात्मक सुधारों को अपनाने की आवश्यकता है, जो आर्थिक स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसकी स्थिति के मूल कारणों से निपटते हैं, जिसकी वजह से श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है और जिसने श्रीलंका में भोजन की गंभीर कमी को उत्पन्न कर दिया है। विश्व बैंक ने माना है कि, श्रीलंका में पेट्रोल और ईंधन की सख्त कमी होने के साथ साथ दवाओं की भी भारी किल्लत हो गई है है। विश्व बैंक ने कहा कि, "विश्व बैंक समूह गंभीर आर्थिक स्थिति और श्रीलंका के लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में गहराई से चिंतित है ...लेकिन, जब तक पर्याप्त व्यापक आर्थिक नीति ढांचा नहीं बनता है, विश्व बैंक श्रीलंका को नए वित्तपोषण की पेशकश करने की योजना नहीं बनाएगा''।

'जो लोन दिया है, उसी में काम चलाओ'

'जो लोन दिया है, उसी में काम चलाओ'

विश्व बैंक ने कहा है कि, श्रीलंका को जो मौजूदा कर्ज मिला हुआ है, उसी में जरूरी संसाधनों, दवा, रसोई गैस, उर्वरक, बच्चों के लिए दूध पाउडर और कमजोर परिवारों के लिए आर्थिक मदद जैसी व्यवस्था करनी चाहिए और कमियों को दूर करना चाहिए। विश्व बैंक ने ये बी कहा है कि, वह श्रीलंका की सरकार के साथ निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रण और प्रत्ययी निरीक्षण स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहा था। आपको बता दें कि, श्रीलंका में पिछले कई महीनों से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार वित्तीय संकट का सामना करने में विफल रही है।

देश में राजनीतिक उठापटक

देश में राजनीतिक उठापटक

देश के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जो राष्ट्रपति बनने से पहले देश के प्रधान मंत्री थे, उन्होंने 13 जुलाई से देश में आपातकाल लागू किया हुआ है और विरोध प्रदर्शन को उन्होंने सैन्य शक्ति से कुचलने की कोशिश की है। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्ष श्रीलंका से फरार होने के बाद मालदीव के रास्ते सिंगापुर फरार हो चुके हैं। इससे पहले जून में, गोटाबाया राजपक्षे ने कहा था कि, विश्व बैंक 17 मौजूदा परियोजनाओं का पुनर्गठन करेगा और वित्तपोषण ऋण पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत के बाद और सहायता का पालन करेगा।

श्रीलंका ने चीन से फिर मांगी मदद

श्रीलंका ने चीन से फिर मांगी मदद

वहीं, जो श्रीलंका चीन की वजह से आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, उसने एक बार फिर से चीन से ही आर्थिक मदद मांगी है। श्रीलंका के बीजिंग दूतावास में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में पालिता कोहोना ने कहा कि कोलंबो चाहता है कि, चीन अपनी कंपनियों को अधिक श्रीलंकाई काली चाय, नीलम, मसाले और वस्त्र खरीदने के लिए कहे। इसके साथ ही पालिता कोहोना ने कम्यूनिस्ट सरकार से चीनी आयात नियमों को अधिक पारदर्शी बनाने की भी अपील की है। श्रीलंकाई राजदूत ने कहा कि बीजिंग कोलंबो और हंबनटोटा में चीन समर्थित विशाल बंदरगाह परियोजनाओं में और निवेश करके भी मदद कर सकता है। कोहोना ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रमुख चीनी निवेश योजनाएं अमल में नहीं आई थीं। इसके अलावा, श्रीलंका अधिक चीनी पर्यटकों की चाहत रखता है। 2018 में श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या 265,000 थी, जो कि 2019 में आत्मघाती हमलों और कोरोना महामारी के बाद लगभग नगण्य हो गई है।

चीन के चाटुकार माने जाते हैं विक्रमसिंघे

कोहोना ने कहा कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की व्यापार, निवेश और पर्यटन सहित अन्य मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा करने के लिए चीन की यात्रा करने की योजना है। राजपक्षे परिवार चीन का करीबी हुआ करता था लेकिन श्रीलंका के वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी चीन के लिए अजनबी नहीं हैं। रॉयटर्स के पत्रकार, दूतावास के जिस कमरे में उनका इंटरव्यू कर रहे हैं वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी हाथ मिलाते हुए एक तस्वीर है। यह तस्वीर 2016 में प्रधानमंत्री के रूप में बीजिंग का दौरा किया तब की है।

क्या एक देश बिक सकता है और श्रीलंका बिकेगा तो भारत के लिए मौका है?क्या एक देश बिक सकता है और श्रीलंका बिकेगा तो भारत के लिए मौका है?

Comments
English summary
Expressing serious concern over the Sri Lankan economic crisis, the World Bank has categorically refused to give new financial help.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X