WHO ने कहा- 'Remdesivir का ना हो कोरोना के इलाज में इस्तेमाल', जानिए क्यों?
जेनेवा। पूरा विश्व इस वक्त कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है, ऐसे में हर किसी को बस कोरोना की वैक्सीन का इंतजार है, इसी बीच बहुत सारी दवाएं भी कोरोना को इलाज को लेकर सुर्खियों में हैं, ऐसी ही एक दवा का नाम है रेमडेसिविर (Remdesivir), जिसको लेकर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने बहुत बड़ा बयान दिया है। WHO ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा कोरोना के मरीजों पर असर कर रही है इसलिए इस ताकतवर दवा का प्रयोग कोरोना के मरीजों पर नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दवा के बहुत सारे साइड इफेक्ट हैं, जो कि कमजोर मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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समाचार एजेंसी सिन्हुआ में छपी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप (जीडीजी) ने कहा है कि हमें शोध करने के बाद ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे हम कह सकें कि रेमडेसिविर (Remdesivir) कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सही है या इस दवा से कोरोना के मरीजों की मृत्युदर में कोई कमी नहीं आई है। जीडीजी ने ये बात 7000 अस्पतालों मे हो रहे इलाज के 4 ट्रायल के बाद कही है।
डोनाल्ड ट्रंप को भी दिया गया था रेमडेसिविर
मालूम हो कि अमेरिका ने पिछले महीने ही कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए इलाज के लिए रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। रेमडेसिविर पहली दवा है, जिसके इस्तेमाल को अमेरिका में मंजूरी मिली है, अमरीकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने दवा को मंजूरी देते हुए अपने बयान में कहा था कि हमने क्लिनिकल ट्रायल में पाया है कि इसके इस्तेमाल से बीमारी से उबरने के समय को पांच दिन तक कम किया जा सकता है और मौत का रिस्क 30 फीसदी तक कम होता है। गौरतलब है कि रेमडेसिविर दवा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी दी गई थी जब वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए थे और अस्पताल में भर्ती थे।
इबोला का इलाज करने के लिए विकसित हुआ था रेमडेसिविर
आपको बता दें कि रेमडेसिविर को इबोला का इलाज करने के लिए विकसित किया गया था। कोरोना महामारी आने के बाद से लगातार ये दवा चर्चा में रही है। कई डॉक्टरों ने पहले इसे ये कहते हुए खारिज किया था कि कोई खास फर्क इससे मरीज पर नहीं पड़ता है। इसके बाद एफडीए ने इमर्जेंसी की स्थिति में इसके इस्तेमाल की इजाजत दी थी। फिलहाल WHO के इस बयान के बाद एक बार फिर से इस दवा पर बहस छिड़ गई है।
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