ब्राजील में बच्चों पर क्यों टूटा कोरोना का कहर? भारत को है सबक लेने की जरूरत
रियो डी जेनेरियो, 19 मई। कोरोना महामारी ने जिन देशों में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है उनमें ब्राजील भी शामिल है। लेकिन एक बात ने ज्यादा परेशान किया है कि ब्राजील में महामारी के चलते बड़ी संख्या में छोटे बच्चों और शिशुओं की मौत हुई है जिसे विशेषज्ञ समझने की कोशिश कर रहे हैं।
मौतों की आधिकारिक संख्या काफी कम
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक 5 वर्ष और उससे कम उम्र के 832 बच्चे वायरस से मर चुके हैं। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोना वायरस से 4 साल और उससे कम उम्र के 139 बच्चों की मौत हुई है। ऐसा तब है जब अमेरिका की आबादी ब्राजील के मुकाबले कहीं ज्यादा है और वहां पर कोविड-19 से मौतें भी ज्यादा हुई हैं।
न्यूयार्क टाइम्स ने साओ पाउलो विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. फातिमा मारिन्हो के हवाले से बताया है कि ब्राजील में बच्चों की मौतों की आधिकारिक संख्या काफी कम है क्योंकि देश में व्यापक मामलों की कमी है जिसके चलते कई मामले सामने नहीं आ पाते हैं।
डॉ. मारिन्हों देश में संदिग्ध और पुष्ट दोनों मामलों के आधार पर मरने वालों बच्चों की संख्या का अध्ययन कर रही हैं। उनका अनुमान है कि महामारी की शुरुआत से अब तक 5 वर्ष से कम उम्र के 2200 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें एक वर्ष से कम उम्र के 1,600 से अधिक बच्चे शामिल हैं। डॉ. मारिन्हो के मुताबिक कोरोना महामारी ने ब्राजील में बच्चों पर जिस तरह से असर डाला है ऐसा पूरी दुनिया में कहीं नहीं देखा गया है।
गर्भवती महिलाओं में भी वायरस का असर ज्यादा
इस बात पर ब्राजील, यूरोप और अमेरिका के विशेषज्ञ सहमत हैं कि ब्राजील में कोविड-19 से बच्चों की मौत की संख्या अन्य के मुकाबले काफी अधिक है।
डॉ शान ओलेरी कोलराडो विश्वविद्याल में बाल संक्रामक रोग विशेषज्ञ और संक्रामक रोगों पर अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कमेटी के उपाध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि "ये आश्चर्यजनक संख्या (मौतों की) है। हम अमेरिका में जो देख रहे हैं यह उससे बहुत अधिक है।"
वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के वेरिएंट युवा, स्वस्थ वयस्कों में कोविड के अधिक गंभीर मामले सामने आ रहे हैं और ब्राजील में शिशुओं और बच्चों पर मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि इसके अभी कोई सबूत नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि वेरिएंट गर्भवती महिलाओं में उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है।
संक्रमित बच्चों का जन्म
साओ लियोपोल्डो मैंडिक कॉलेज के एक महामारी वैज्ञानिक डॉ. आंद्रे रिकार्डो रिबास फ्रीटास ने कहा कि कोविड से पीड़ित कुछ महिलाएं पहले से ही वायरस से संक्रमित, मृत या समय से पहले के बच्चों को जन्म दे रही हैं।
उन्होंने बताया कि "हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि गर्भवती महिलाओं में पी.1 संस्करण अधिक गंभीर है। कई बार यदि गर्भवती महिला में वायरस है तो बच्चा जीवित नहीं रह सकता है या वे दोनों मर सकते हैं।"
विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार बीमार बच्चों को सही से उपचार न मिलने पर मौतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। शुरुआत में सही इलाज मिलने पर संक्रमित बच्चों को बचाया जा सकता है। ब्राजील में संक्रमण की पुष्टि करने में डॉक्टरों को अक्सर देर हो जाती है।
जनवरी में पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि ब्राजील और लैटिन अमेरिका के चार अन्य देशों में कोविड-19 ने बच्चों में अधिक गंभीर रूप विकसित किया है।
ब्राजील में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल
महामारी शुरू होने से पहले ही गरीब क्षेत्रों में रहने वाले लाखों ब्राजीलियाई लोगों की बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच थी। हाल के दिनों में बढ़ती संख्या के चलते व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। क्रिटिकल केयर यूनिट मरीजों से भर गई है और मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी हो रही है।
ये भी सामने आया है कि वायरस से मरने वाले कुछ बच्चों में पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं जिसके चलते वह अधिक संवेदनशील हो गए थे। चूंकि यह आशंका जताई गई है कि वायरस की अगली लहर बच्चों पर ज्यादा असर करेगी ऐसे में भारत को भी बच्चों को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
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