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परमाणु बम बनाने से कितना दूर है ईरान

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नतांज में संवर्धन का काम बहुत तेजी से चल रहा है.

नई दिल्ली, 23 फरवरी। ईरान और अमेरिका के बीच 2015 के परमाणु करार को दोबारा लागू कराने के लिएमध्यस्थों के जरिए बातचीततो हो रही है लेकिन कई अहम मसलों पर अभी सहमति नहीं बन सकी है. फिलहाल तो यह भी कहना मुश्किल है कि करार दोबारा लागू हो सकेगा या नहीं.

2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समझौते से बाहर निकल कर ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान ने करार में तय कई सीमाओं को तोड़ा है.दुनिया के ताकतवर देशों ने ईरान को परमाणु बम बनाने से दूर करने के लिए ये सीमाएं तय की थीं. कोशिश यह की गई कि थी कि अगर ईरान पर्याप्त संवर्धित यूरेनियम तैयार करके अगर 2-3 महीने में बम बनाने के काबिल हो तो कम से कम उसे इससे एक साल दूर कर दिया जाए. तब इस समय को "ब्रेकआउट टाइम" नाम दिया गया था.

राजनयिकों का कहना है कि अब अगर ये करार हो भी जाता है तो इस "ब्रेकआउट टाइम" को एक साल करना संभव नहीं हो सकेगा. ईरान ने करार टूटने के बाद यूरेनियम संवर्धन करने में जो प्रगति की है उसी के आधार पर राजनयिक यह बात कह रहे हैं. हालांकि इतना जरूर है कि अगर अमेरिका और ईरान के बीच करार हो जाता है तो फिलहाल जो "ब्रेकआउट टाइम" है उसे लंबा करने में जरूर मदद मिलेगी.

ईरान के साथ पश्चिमी देश फिर से करार पर लौटने की कोशिश में हैं.

ईरान का कहना है कि वह केवल शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है. जानकारों को उसके दावे पर संदेह है. वो मानते हैं कि ईरान ने विकल्प खुले रखे हैं या फिर वह समझौते में फायदा उठाने के लिए परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच जाना चाहता है.

ब्रेकआउट टाइम

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए ने ईरान की परमाणु गतिविधियों पर पिछले तिमाही की रिपोर्ट नवंबर में जारी की थी. इसके मुताबिक विशेषज्ञों ने मोटे तौर पर ब्रेकआउट टाइम तीन से छह महीने बताया है. हालांकि उनका कहना है कि हथियार बनाने में कुछ समय और लगेगा यानी कुल मिला कर लगभग दो साल.

इस्राएल के वित्त मंत्री ने नवंबर में कहा कि ईरान अगले पांच सालों के भीतर परमाणु हथियार बना लेगा. ब्रेकआउट टाइम का आकलन करने का आधार पूरी तरह से वैज्ञानिक नहीं है और यह कहना तो और भी मुश्किल है कि समझौते के अंदर यह किस हाल में होगा क्योंकि समझौते की शर्तें तो अभी तय ही नही हुई हैं. हालांकि राजनयिकों और विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल यह ब्रेकआउट टाइम तकरीबन छह महीने है.

यूरेनियम का संवर्धन

परमाणु करार में ईरान के लिए यूरेनियम 3.67 प्रतिशत शुद्धता तक संवर्धित करने की सीमा तय की गई थी. यह परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90 प्रतिशत की शुद्धता से बहुत कम है. करार से पहले ईरान 20 प्रतिशत की शुद्धता तक संवर्धन करने में सफल हो चुका था. अब ईरान कई स्तरों तक यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है जिसमें सबसे ऊंचा स्तर 60 प्रतिशत का है.

नतांज के संयंत्र में बड़ी संख्या में सेंट्रीफ्यूज लगाए गए हैं.

करार में यह भी तय किया गया था कि ईरान एक परमाणु रिएक्टर में 5000 से कुछ ज्यादा पहली पीढ़ी के सेंट्रीफ्यूजों में ही संवर्धित यूरेनियम जमा या फिर पैदा कर सकता है. इसके लिए नतांज की भूमिगत फ्यूल इनरिचमेंट प्लांट का नाम तय हुआ था.

करार में ईरान को रिसर्च के लिए यूरेनियम के संवर्धन की मंजूरी मिली थी लेकिन संवर्धित ईरान को जमा करके रखने की नहीं. उसे छोटी संख्या में ही उन्नत सेंट्रीफ्यूजों का इस्तेमाल करने की अनुमति थी. ये सेंट्रीफ्यूज पहली पीढ़ी के सेंट्रीफ्यूजों की तुलना में दोगुने सक्षम होते हैं.

ईरान फिलहाल सैकड़ों उन्नत सेंट्रीफ्यूजों में नतांज के भूमिगत प्लांट और जमीन के ऊपर बने पायलट फ्यूल इनरिचमेंट प्लांट में यूरेनियम का सवर्धन कर रहा है. इसके अलवा वह 1000 से ज्यादा पहली पीढ़ी के सेंट्रीफ्यूज के साथ फोर्दो में भी यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है. यह प्लांट पहाड़ों के नीचे बने है और यहां पहले से ही 100 से ज्यादा उन्नत सेंट्रीफ्यूज मौजूद हैं.

यूरेनियम का भंडार

आईएईए ने नवंबर में जारी अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि ईरान का संवर्धित यूरेनियम भंडार 2.5 टन से नीचे है. परमाणु करार में तय सीमा यानी 202.8 किलोग्राम से यह तकरीबन 10 गुना ज्यादा है. करार से पहले के भंडार से भी यह करीब पांच गुना ज्यादा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान करार से पहले 20 प्रतिशत से ज्यादा के स्तर पर संवर्धन कर रहा था लेकिन अब उससे बहुत ज्यादा स्तर पर संवर्धन कर रहा है और उसने करीब 17.7 किलोग्राम यूरेनियम को 60 फीसदी से ज्यादा संवर्धित कर लिया है. जाहिर है कि यह हिस्सा परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90 फीसदी की शुद्धता के करीब है. परमाणु बम बनाने के लिए करीब 25 किलो, 90 फीसदी संवर्धित यूरेनियम की जरूरत होती है. करार हुआ तो अतिरिक्त संवर्धित यूरेनियम को या तो हल्का किया जाएगा या फिर उसे रूस भेजा जाएगा. ईरान को करार के 3.67 संवर्धन की सीमा पर ही वापस आना होगा.

आईएईए ने ईरान के परमाणु संवर्धन केंद्रों की निगरानी के लिए कैमरे लगाए हैं.

निरीक्षण और निगरानी

करार के तहात ईरान को आईएईए के तथाकथित एडिशनल प्रोटोकॉल को लागू करना होता है. इसके तहत अघोषित ठिकानों के तत्काल निरीक्षण की मंजूरी देनी होती है. इसके साथ ही आईएईए की कैमरे और दूसरे उपकरणों की मदद से निगरानी का दायरा भी बढ़ जाता है और मूल गतिविधियों को छोड़ बाकी सारी चीजें इसमें शामिल हो जाती हैं. ईरान ने आईएईए के साथ जो कंप्रिहेंसिव सेफगार्ड एग्रीमेंट किया है उसके तहत होने वाले निरीक्षण भी इसमें जारी रहेंगे.

ईरान ने एडिशनल प्रोटोकॉल को लागू करना बंद कर दिया था और वह अतिरिक्त निगरानी को भी सिर्फ ब्लैक बॉक्स जैसी व्यवस्था के जरिए होने दे रहा है. इसके तहत कैमरे और दूसरे उपकरणों का डाटा जमा करके सुरक्षित तो रखा जा रहा है लेकिन आईएईए उस तक नहीं पहुंच सकता. कम से कम फिलहाल तो वह इसे नहीं देख सकता. यह व्यवस्था एक साल के लिए बनाई गई है.

हथियार बनाने की क्षमता

करार के तहत प्रतिबंध लगे होने के बावजूद ईरान ने 20 प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम तैयार कर लिया है. इसने पश्चिमी देशों को चिंता में डाल दिया है क्योंकि यूरेनियम धातु परमाणु बम बनाने की दिशा में एक अहम कदम है. अब तक किसी देश ने यह नहीं किया है कि वह यूरेनियम का इतना अधिक संवर्धन कर ले और फिर आखिर में परमाणु बम ना बनाए.

ईरान की दलील है कि वह परमाणु ईंधन पर काम कर रहा है. उसके मुताबिक उसे ऊर्जा की जरूरत है और हथियार बनाना उसका मकसद नहीं है.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

Source: DW

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English summary
where is Iran stand on nuclear bomb?
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