9/11 हमले का कोई आतंकी नहीं, ट्रंप के बैन किए देशों से
27 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया है सात मुसलमान देशों पर बैन। हैरानी की बात है कि 9/11 हमलों में शामिल एक भी हमलावर इन सात देशों से संबंधित नहीं था।
वॉशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 जनवरी को जो एग्जिक्यूटिव ऑर्डर साइन किया है उसमें सात मुसलमान देशों पर बैन लगा दिया है। ईरान, इराक, सीरिया, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन से आने वाले लोगों को अमेरिका में एंट्री नहीं मिलेगी। हैरानी की बात है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने आतंकवाद को रोकने की बात कहते हुए यह बैन लगाया है। शायद उन्हें यह बात नहीं मालूम कि अमेरिका में 9/11 हमले से जुड़ा कोई भी देश इस बैन लिस्ट में है ही नहीं।
कहां से आए थे 9/11 के आतंकी
राष्ट्रपति
ट्रंप
ने
उन
सात
देशों
को
इस
बैन
लिस्ट
में
शामिल
किया
है
जिनका
अमेरिका
पर
हुए
सबसे
बड़े
हमले
में
कोई
रोल
हीं
नहीं
था।
9/11
में
शामिल
सभी
आतंकवादी
या
तो
सऊदी
अरब
से
थे
या
फिर
इजिप्ट
से
या
फिर
पाकिस्तान
से
आए
थे।
9/11
को
19
आतंकवादियों
ने
अंजाम
दिया
था।
इनमें
से
15
आतंकवादी
सऊदी
अरब
से
थे,
दो
आतंकवादी
यूनाइटेड
अरब
एमीरेट्स
से,
एक
इजिप्ट
से
और
एक
लेबनान
से
था।
9/11
के
बाद
अमेरिका
में
जो
13
आतंकी
हमले
हुए
उनमें
से
तीन
आतंकवादी
अफ्रीकन-अमेरिकन,
तीन
पाकिस्तान
परिवारों
से
ताल्लुक
रखने
वाले,
दो
फिलीस्तीनी,
दो
रूसी,
एक
इजिप्ट
से,
एक
अफगानिस्तान
और
एक
कुवैत
से
था।
दूसरे देशों के रास्ते अमेरिका आ सकते हैं आतंकी
ट्रंप के आदेश से साफ है कि वह आईएसआईएस और अल कायदा को निशाना बना रहे हैं। आईएसआईएस इराक में काफी मजबूत है और अल कायदा अभी तक यमन में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। अगर अल कायदा और आईएसआईएस के पैटर्न पर नजर डाली जाए तो कभी भी आतंकवादियों को मजबूत पकड़ वाली जगहों से दूसरे देशों में नहीं भेजा गया है। इराक और सीरिया में आईएसआईएस के आतंकवादी सऊदी अरब, मोरक्को, ट्यूनीशिया, रूस और इजिप्ट से आए हैं। ये सभी देश बैन लिस्ट में है हीं नहीं और ऐसे में आईएसआईएस इन देशों के रास्ते अपने आतंकवादियों को अमेरिका भेज सकता है। सुरक्षा विशेषज्ञों को लगता है कि इन देशों पर भी कुछ कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं दूसरा मुद्दा यह है कि ट्रंप प्रशासन को अमेरिका में पनप रहे आतंकवाद पर भी ध्यान देना होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यह काफी अच्छा मौका है जब लोन वोल्फ अटैकर्स और आक्रामक हो सकते हैं। वहीं इस बात की भी संभावना है कि अमेरिका में मौजूद लोकल मॉड्यूल्स सक्रिय हो जाएं और अमेरिका में पल रहे आतंकवाद की आड़ में अपने मंसूबों को अंजाम देने में सफल हो जाए।