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नई मुसीबत में दुनिया, अफ्रीका से निकलकर मंकीपॉक्स ब्रिटेन पहुंचा, चेचक जैसी बीमारी पर जानिए सबकुछ

इंडियन यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द और थकावट से होती है, लेकिन ये चेचक बिल्कुल भी नहीं है...

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नई दिल्ली, मई 02: पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से पहले ही परेशान है और लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, इस बीच अफ्रीका से निकली चेचक जैसी एक नई बीमारी ने वैज्ञानिकों को चेतावनी जारी करने पर मजबूर कर दिया है। इस बीमारी को मंकीपॉक्स कहा जा रहा है और इस बीमारी की वजह भी वायरस ही है, जो कितना खतरनाक साबित हो सकता है, इसको लेकर अभी भी जांच चल रही है। आइये जानते हैं, मंकीपॉक्स बीमारी को लेकर हर जानकारी, जिन्हें जानना जरूरी है।

क्या है मंकीपॉक्स वायरस?

क्या है मंकीपॉक्स वायरस?

मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है, जो चेचक ग्रुप के कई और वायरसों के जीन्स के मिलने की वजह से बना है, जिसमें वेरियोला वायरस भी शामिल है, जिसकी वजह से चेचक जैसे लक्षणों के साथ दाने निकलने शुरू होते हैं। इसके साथ ही इस वायरस में वैक्सीनिया वायरस, जिसका उपयोग चेचक के टीके में किया गया था, लो भी मिला हुआ है। मंकीपॉक्स चेचक के समान लक्षणों का कारण बनता है, हालांकि वे कम गंभीर होते हैं। हालांकि, मजबूत टीकाकरण के चलते साल 1980 में दुनिया भर में गंभीर चेचक का उन्मूलन किया, लेकिन मध्य और पश्चिम अफ्रीका के देशों में मंकीपॉक्स का प्रकोप जारी है, और एक बार फिर ये लोगों के बीच फैलने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दो अलग-अलग क्लैड की पहचान की गई है, एक वेस्ट अफ्रीकन क्लैड और दूसरा कांगो बेसिन क्लैड, जिसे सेंट्रल अफ्रीकन क्लैड के रूप में भी जाना जाता है।

प्राणीजन्य रोग

प्राणीजन्य रोग

मंकीपॉक्स एक जूनोसिस है, यानी एक बीमारी जो संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, उष्णकटिबंधीय वर्षावनों वाले क्षेत्रों में ये बीमारी फैल सकते हैं और पालतू जानवर इस बीमारी के सबसे बड़े वाहक बन सकते हैं। गिलहरी, गैम्बियन शिकार चूहों, डॉर्मिस और बंदरों की कुछ प्रजातियों में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण का पता चला है। अभी तक की जांच में पता चला है कि, मानव-से-मानव के बीच इस वायरस के फैलने की संभावना सीमित है और इसके संक्रमण फैलने की श्रृंखला 6 पीढ़ियों की है। यानि, एक वक्ति, जो मूल रूप से इस वायरस शिकार हुआ है, वो पहले पांच लोगों को संक्रमित नहीं कर पाया, बल्कि छठवां व्यक्ति उससे संक्रमित हुआ। लिहाजा, इसके फैलने की रफ्तार काफी कम है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) में क्लिनिकल एंड इमर्जिंग इंफेक्शन के निदेशक डॉ कॉलिन ब्राउन ने शनिवार को कहा कि, 'इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि मंकीपॉक्स लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है और आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है'।

कैसे फैलता है ये वायरस?

कैसे फैलता है ये वायरस?

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस वायरस का ट्रांसमिशन तब होता है, जब बीमार व्यक्ति के शरीर में निकले दानों से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में कोई आ जाए। इसके साथ ही बीमार व्यक्ति की सांस से निकले तरल पदार्थ, उसके द्वारा इस्तेमाल किए गये सामानों के संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स वायरस फैलता है।

लक्षण और इलाज

लक्षण और इलाज

इंडियन यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द और थकावट से होती है। यह लिम्फ नोड्स (लिम्फाडेनोपैथी) को भी सूजने का कारण बनता है, जो चेचक नहीं करता है। डब्ल्यूएचओ ने रेखांकित किया है कि, चेचक, खसरा, जीवाणु त्वचा संक्रमण, खुजली, उपदंश और दवा से संबंधित एलर्जी को लेकर मंकीपॉक्स के साथ भ्रमित नहीं होना है। यानि, मंकीपॉक्स मरीज को भी इन्हीं बीमारियों जैसे लक्षण हो सकते हैं, लेकिन इसका इलाज अलग तरह से होता है। मंकीपॉक्स वायरस के संपर्क में आने के बाद इसके लक्षण 7 से 14 दिनों में दिखने लगते हैं, लेकिन कई मामलों में 5 से 21 दिनों का वक्त भी लगता है।

कैसे पता करें, मंकीपॉक्स है?

कैसे पता करें, मंकीपॉक्स है?

आमतौर पर बुखार शुरू होने के एक दिन से 3 दिनों के भीतर, रोगी के शरीर में कुछ दाने निकलने शुरू होते हैं। शुरूआत में दाने चेहरे पर निकलने शुरू होते हैं और फिर दाने शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही, त्वचा के फटने का चरण 2 से 4 सप्ताह के बीच रह सकता है, जिसके दौरान घाव सख्त हो जाते हैं और दर्दनाक हो जाते हैं। इसके साथ ही घाव से तरल पदार्थ निकलने लगता है और फिर उनमें मवाद भी भर जाता है, और फिर पपड़ी विकसित हो जाती है।

कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स?

कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मरने वाले रोगियों का अनुपात 0 से 11% के बीच अलग अलग है, हालांकि, बच्चों में ये संक्रमण ज्यादा खतरनाक साबित होता है और बच्चों के लिए वयस्क के मुकाबले ज्यादा जानलेवा साबित हो सकता है। मंकीपॉक्स का अभी तक कोई सुरक्षित और प्रमाणित इलाज नहीं है। डब्ल्यूएचओ लक्षणों के आधार पर सहायक उपचार की सिफारिश करता है। संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जागरूकता जरूरी है और बीमार व्यक्ति के संपर्क में नहीं आना चाहिए। (सभी तस्वीर-फाइल)

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English summary
What is the monkeypox virus that reached Britain after leaving Africa and what are the symptoms in patients suffering from this virus, know everything
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