चीन की ‘Wolf Warrior’ डिप्लोमेसी क्या है? शी जिनपिंग क्यों कहते हैं, चीनी अधिकारी खींच लें तलवारें
कम्युनिस्ट पार्टी की अखबार पीपुल्स डेली, जिसकी बिक्री चीन में सबसे ज्यादा है, उसने दिसंबर 2020 के एक लेख में लिखा है कि, "देश और लोगों के हितों की रक्षा करना चीन की कूटनीति के महान मिशन के रूप में कार्य करता है।
China's 'Wolf Warrior' Diplomacy: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस रविवार (16 अक्टूबर) से चल रही है और आज बैठक का दूसरा दिन है। बैठक में चीन के नये राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है और करीब करीब तय है, कि शी जिनपिंग ही लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनेंगे। लेकिन, क्या आप जानते हैं, कि ऐसी क्या खास बात है, शासन की ऐसी क्या अनूठी शैली है, जो सही मायनों में चीन की राजनीति को दूसरे देशों से अलग बनाती है। पिछले कुछ सालों में चीन पर वैश्विक दवाब में लगातार इजाफा हुआ है, लेकिन चीन अपने इरादे से एक इंच भी टस से मस नहीं हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दों से निपटने के लिए चीन ने आक्रामकता के साथ अपनी बात को आगे बढ़ाया है। लेकिन, क्या चीन ऐसा अपनी खास रणनीति के तहत करता है? बिल्कुल। चीन में इस खास रणनीति को 'वुल्फ वॉरियर' डिप्लोमेसी यानि 'भेड़िया योद्धा' डिप्लोमेसी कहा जाता है और चीन में बकायदा इस विदेश नीति को तैयार किया जाता है।
‘Wolf Warrior’ डिप्लोमेसी क्या है?
वुल्फ वैरियर डिप्लोमेसी, एक ऐसा शब्द जिसने पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में काफी लोकप्रियता हासिल की है, खासकर शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद। "वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी" चीनी सरकार के लिए चीन से परे अपनी विचारधारा का विस्तार करने, पश्चिमी देशों का मुकाबला करने और अपनी रक्षा करने की एक रणनीति है। यह संचार की अत्यधिक आक्रामक और टकराव की शैली के लिए एक अनौपचारिक शब्द है, जिसे चीनी राजनयिकों ने पिछले एक दशक में लगातार अपनाया और इस्तेमाल किया है। साल 2015 में चीन में एक फिक्शन फिल्म आई थी, 'वुल्फ वॉरियर' और इसके सीक्वल ने इस शब्द के चलन को काफी ज्यादा बढ़ा दिया और चीनी राजनीति के लिए प्रेरणा का काम किया। ये फिल्म चीनी राष्ट्रवादियों के हिसाब से थीं और चीनी लड़ाकों पर ध्यान केन्द्रित कर बनाई गई थी, जिसमें चीनी सैनिक पश्चिमी देशों के भाड़े के सैनिकों का सामना करते हैं।
शी जिनपिंग के विचारों से जुड़ा है शब्द
फाइनेंशियल टाइम्स के 2020 के एक लेख में बताया गया है, कि कैसे यह शब्द सीधे तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों से जुड़ा है। लंदन में SOAS चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टीव त्सांग के हवाले से कहा गया है कि,"शी जिनपिंग ने कई बार कहा है कि, चीनी अधिकारियों और राजनयिकों को चीन की गरिमा की रक्षा के लिए तलवारें खींच लेनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि, "वुल्फ वॉरियर सिर्फ शी जिनपिंग के हथियारों के आह्वान पर काम कर रहे हैं।" और पिछले कुछ सालों में चीन की डिप्लोमेसी को देखने पर यही पता भी चलता है, जब चीनी विदेशमंत्री अटलांटिक बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री से दो-दो हाथ करने में पीछे नहीं रहते हैं।
"वुल्फ वॉरियर" डिप्लोमेसी की क्या जरूरत है?
चीन की विदेश नीति की रणनीति में बदलाव को कई कारणों से जिम्मेदार ठहराया गया है। जैसे कि पहले के नेताओं की तुलना में शी जिनपिंग की अधिक सत्तावादी प्रवृत्ति, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तहत अमेरिका-चीन संबंधों का बिगड़ना, चीन पर कोरोनावायरस महामारी संबंधी आरोप जैसे कई मुद्दे हैं, जिसे अपने आप को बचाने के लिए चीन ने काफी आक्रामक रूख अपनाया। इसे एक तरह से उस भारतीय मुहावरे से भी जोड़ सकते हैं, जिसमें कहा जाता है, कि 'चोर अपनी चोरी छिपाने के लिए जोर से बोलता है।' चीन भी हल्ला मचाकर अपने विरोधियों को शांत करने की कोशिश करता है। हालांकि, चीनी अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम केवल पश्चिमी हस्तक्षेप के खिलाफ खड़े होने को लेकर है। द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने दिसंबर 2020 में चीन के उप-मंत्री विदेश ले युचेंग के हवाले से कहा कि, यह शब्द "टिट-फॉर-टेट" (जैसे को तैसा) है।
'हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं'
चीन के उप-मंत्री विदेश ले युचेंग ने चीन के एक यूनिवर्सिटी में बोलते हुए कहा था, कि इस टर्म के जरिए "चीन की कूटनीति की गलतफहमी" को दर्शाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "अब जब वे हमारे दरवाजे पर आ रहे हैं, हमारे पारिवारिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, लगातार हमें सता रहे हैं, हमारा अपमान और हमें बदनाम कर रहे हैं, तो हमारे पास अपने राष्ट्रीय हितों और गरिमा की मजबूती से रक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी की अखबार पीपुल्स डेली, जिसकी बिक्री चीन में सबसे ज्यादा है, उसने दिसंबर 2020 के एक लेख में लिखा है कि, "देश और लोगों के हितों की रक्षा करना चीन की कूटनीति के महान मिशन के रूप में कार्य करता है। चीन की गरिमा का अपमान नहीं होना चाहिए और उसके हितों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। यदि कोई देश चीन की न्यायिक संप्रभुता का उल्लंघन करता है, तो चीन को दृढ़ता से उसका मुकाबला करना चाहिए, जो कि चीन की कूटनीति की आखिरी रेखा है।" पीपुल्स डेली ने कहा कि, "चीनी लोगों की नजर में यह न्याय की आवाज होगी... जैसा कि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, उन्हें उस 'वुल्फ वॉरियर' की उपाधि के साथ रहने में कोई समस्या नहीं दिखती, जब तक कि हम चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों, राष्ट्रीय गरिमा और सम्मान, और अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय के लिए लड़ रहे हैं"।
चीन कैसे करता है इसका इस्तेमाल?
चीनी अधिकारी बेझिझक अपनी इस पॉलिसी का इस्तेमाल करते हैं और सोशल मीडिया पर चीनी अधिकारियों की भाषा शैली देखकर इसका अंदाजा काफी आसानी से लगाया जा सकता है। चीनी अधिकारी हमेशा पश्चिमी देशों के किसी भी आरोप का काफी आक्रामक अंदाज में जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उदाहरण के लिए, साल 2021 में चीनी सरकार के प्रवक्ता लिजियन झाओ ने एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक की एक बच्चे की हत्या की डिजिटल रूप से संशोधित तस्वीर ट्वीट की, जिसमें दावा किया गया कि ऑस्ट्रेलियाई सेना अफगानिस्तान में बच्चों को मार रही है। उनके इस ट्वीट ने ऑस्ट्रेलिन प्रधानमंत्री को यह घोषणा करने के लिए उकसाया, कि चीन आधिकारिक तौर पर इसके लिए माफी मांगे, लेकिन चीन एक इंच भी नहीं हिला। चीन की यह विदेश नीति सिर्फ पश्चिमी देशों के लिए ही सीमित नहीं है, बल्कि दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान, सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के निदेशक सी राजा मोहन ने द इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि, "नई 'भेड़िया योद्धा कूटनीति' सार्वजनिक क्षेत्र में चीन की किसी भी आलोचना का सामना करती है। वे मेजबान सरकारों को व्याख्यान देते हैं और विदेशी कार्यालयों द्वारा 'बुलाए जाने' पर हमेशा दिखाई नहीं देते हैं। नई दिल्ली के साथ भी उसने यही किया है, खासकर डोकलाम और लद्दाख के हालिया संकटों के दौरान।"
क्या यह शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल में जारी रहेगा?
यह कहना मुश्किल है क्योंकि चीनी राजनयिकों की टिप्पणियों को अभी तक किसी भी देश ने खुलकर चुनौती नहीं दी है। वे सहयोगियों के बीच चीन की धारणा को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। जून 2021 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के आधिकारिक मीडिया और राजनयिकों को "विश्वसनीय, प्यारा और सम्मानजनक चीन" की छवि दुनिया के सामने पेश करने के लिए कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चीनी राष्ट्र्पति ने कहा था, कि 'दोस्त बनाएं, एकजुट हों और अंतर्राष्ट्रीय जनमत की जब बाती है, तो बहुमत हासिल करने के लिए दोस्तों के दायरे को विस्तार करना जरूरी है'। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है, कि चीन के लिए अब ऐसा करना काफी मुश्किल होने वाला है, क्योंकि उसके आने वाले वक्त में जो प्रोजेक्ट्स हैं, वो जियो- पॉलिटिक्स में तनाव को और ज्यादा बढ़ाएगा ही, लिहाजा चीन अपने बचाव के लिए और खुलकर आक्रामक होगा, जैसा उसने पिछले दिनों ताइवान में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की यात्रा के समय किया था।