अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिली एक और बड़ी कामयाबी, NSG में शामिल होने का दावा मजबूत
वियना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन और पाकिस्तान को झटका देने के बाद भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। रूस ने गुरूवार को स्पष्ट कर दिया था कि वो भारत को NSG (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) की सदस्यता को लेकर भारत का समर्थन करेगा और इस बीच भारत वासेनार समझौते (Wassenaar Agreement) का भी हिस्सा बन गया है। वासेनार समझौते के समूह वाले देश में शामिल होने वाला भारत 42वां देश बन गया है। विकसित देशों के इस बेहद एक्सक्लूसिव क्लब में शामिल होना भारत के लिए कड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।
वासेनर देशों में शामिल हुआ भारत
वासेनार अरेंजमेंट जो पारंपरिक हथियारों पर नियंत्रण और इससे जुड़ी तकनीक, कारोबार पर निगरानी व इसके सहयोग से जुड़ी हुई है। इसके अलावा पारंपरिक हथियारों व ड्यूल गुड्स और टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण में पारदर्शिता और बड़ी जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में वासेनार व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे पहले रयाबकोव ने मुख्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के साथ भारतीय की सदस्यता का समर्थन करते हुए उम्मीद जताई थी कि जल्द से जल्द भारत वासेनार समझौते (wassenaar agreement) का हिस्सा बनेगा, लेकिन तुरंत ही वासेनार के सदस्यीय देशों ने भारत को भी शामिल कर दिया है।
वासेनार होकर NSG में प्रवेश करेगा भारत
इस उपलब्धि के बाद भारत के लिए अब NSG के रास्ते लगभग खुल चुके हैं। वासेनार समझौते में शामिल होने के बाद सदस्य देश भारत को NSG में शामिल करने में मदद करंगे। रूस पहले ही भारत का समर्थन कर चुका है। वासेनार में शामिल होने के बाद भारत NPT (Non-Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद भी NSG का सदस्य बन जाएगा।
इससे पहले MTCR में शामिल हुआ था भारत
भारत पिछले साल मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजिम (MTCR) के समूह वाले देश में शामिल हुआ था। MTCR की व्यवस्था मिसाइल तकनीक व बेहद खतरनाक हथियारों के नियंत्रण से जुड़ी हुई है। आपको बता दें कि MTCR में भारत के शामिल होने के बाद अब भारत अपनी ब्रह्मोस जैसी उच्च तकनीकी मिसाइलें मित्र देशों को बेच सकेगा, अमेरिका से ड्रोन विमान खरीद सकेगा आदि।
चीन हैरान
इस बात को मानना पड़ेगा कि भारत ने अंतरारष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपनी जड़े काफी मजबूत कर ली है। वासेनर से पहले भारत MTCR और द ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में शामिल हो चुका है। चीन को झटका इसलिए लगा है क्योंकि वासेनार में बीजिंग शामिल नहीं है और भारत के लिए अब यहां से होकर NSG में प्रवेश करने में कोई अड़ंगा नहीं डालेगा।