बोरिस नेम्त्सोव : क्या पुतिन के इशारे पर हुई थी रूस के कद्दावर नेता की हत्या?
एक पड़ताल से जानकारी हुई है कि हत्या के क़रीब एक साल पहले से रूस का एक जासूस बोरिस नेम्त्सोव का पीछा कर रहा था. वो जासूस राजनीतिक हत्या करने वाले एक समूह से जुड़ा हुआ था.
रूस के प्रमुख विपक्षी नेता ओर पूर्व उप प्रधानमंत्री बोरिस नेम्त्सोव की 27 फ़रवरी 2015 को मॉस्को में हत्या कर दी गई थी. उन्हें क्रेमलिन से चंद क़दम की दूरी पर गोली मारी गई थी.
काफ़ी समय से चल रही एक पड़ताल से जानकारी मिली है कि गोली मारे जाने के क़रीब एक साल पहले से रूस का एक जासूस उनका चुपचाप पीछा कर रहा था. वो जासूस राजनीतिक हत्या करने वाले एक समूह से जुड़ा हुआ था.
व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद से हुईं राजनीतिक हत्याओं में नेम्त्सोव की हत्या का केस सबसे हाई-प्रोफ़ाइल रहा है. हालांकि रूस के अधिकारी इस मामले में अपनी किसी भूमिका से साफ़ इनकार करते हैं.
इस बारे में पड़ताल करने पर बेलिंगकैट, द इनसाइडर और बीबीसी को पुख़्ता सबूत मिले हैं कि बोरिस नेम्त्सोव की हत्या से पहले उनकी 13 यात्राओं के दौरान उनका चोरी छिपे पीछा किया गया.
बोरिस नेम्त्सोव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के घोर विरोधी थे. वो 1990 के दशक में तेज़ी से उभरे और तब के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के अधीन उप प्रधानमंत्री के तौर पर काम किया.
तब ये माना जाने लगा था कि वो ही येल्तसिन के उत्तराधिकारी होंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. उनके बजाय व्लादिमीर पुतिन देश के अगले नेता बने. उसके बाद बोरिस नेम्त्सोव देश की राजनीति में हाशिए पर धकेल दिए गए.
भ्रष्टाचार उजागर करने और 2014 में पूर्वी यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने को लेकर वो सरकार विरोधी प्रमुख चेहरा बन गए थे. बोरिस नेम्त्सोव उस युद्ध के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले थे. लेकिन फ़रवरी 2015 में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
उसके बाद, चेचन मूल के 5 लोगों को हत्या करने के आरोप में जेल भेज दिया गया. हालांकि सरकार की जांच ने एक सबसे ज़रूरी सवाल का जवाब नहीं दिया. वो सवाल था कि आख़िर बोरिस नेम्त्सोव की हत्या करने का आदेश किसने और क्यों दिया?
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बीबीसी ने जुटाए कई सबूत
उस हत्या के क़रीब सात साल बाद बीबीसी इस बात का सबूत दे सकती है कि नेम्त्सोव की हत्या किए जाने के कई महीने पहले से सरकार का एक जासूस उनका पीछा कर रहा था. इस जासूस का देश भर में राजनीतिक हत्याएं कराने वाले एक समूह से संबंध था.
जांच करने पर पता चला कि उस जासूस ने ट्रेन और फ़्लाइट के लीक रिज़र्वेशन डेटा से जानकारी लेकर बोरिस नेम्त्सोव का कम से कम 13 यात्राओं के दौरान पीछा किया.
उस जासूस ने नेम्त्सोव का आख़िरी बार पीछा उनकी हत्या के महज 10 दिन पहले 17 फ़रवरी, 2015 को किया था. दस्तावेज़ों के अनुसार, उस जासूस का नाम वालेरी सुखारेव है.
ट्रेन यात्रा और फ़्लाइट से जुड़े आंकड़े एफ़एसबी के डेटाबेस में दर्ज किए जाते हैं, जिसे 'मैजिस्ट्रल' कहा जाता है. हालांकि यह डेटाबेस न केवल रूसी जासूसों की नज़र में रहने वाले लोगों की गतिविधियों का ध्यान रखती है, बल्कि वालेरी सुखारेव जैसे जासूसों की गतिविधियों पर भी नज़र रखती है.
हालांकि इस तरह की जानकारी अक्सर ब्लैक मार्केट में लीक हो जाती है और पत्रकारों के हाथ लग जाती है.
बेलिंगकैट के कार्यकारी निदेशक क्रिस्टो ग्रोज़ेव इस बारे में कहते हैं, "रूस जैसे भ्रष्ट समाज में मैजिस्ट्रल दोधारी तलवार जैसा है. क्योंकि इसके ज़रिए हमारे जैसे लोग उन जासूसों और एफ़एसबी अधिकारियों का पता लगा सकते हैं."
इस जांच के लिए बेलिंगकैट ने रूस के जासूसों के ज़रिए असली डेटा खरीदा. उन जासूसों ने देश के उन भ्रष्ट अधिकारियों से डेटा हासिल किया, जिनकी पहुंच मजिस्ट्रल तक रही है.
बीबीसी ने मजिस्ट्रल तक पहुंच रखने वाले संपर्क सूत्रों से भी डेटा हासिल किया. हालांकि इन लोगों को डेटा के लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ा था.
बेलिंगकैट ने रूस में हत्या के मामलों की जांच करने के लिए मैजिस्ट्रल डेटा का पहले भी उपयोग किया था.
उपलब्ध सबूतों के अनुसार, सुखारेव ने रूस की मुख्य सुरक्षा एजेंसी एफ़एसबी में काम किया. एफ़एसबी के लिए तय कामों में से एक यह भी है कि वो क्रेमलिन के लिए देश के भीतर के राजनीतिक ख़तरों का दूर करती है. यह समूह पूरे देश में लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखता है.
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ट्रेन और फ़्लाइट बुकिंग के डेटा से किया ट्रैक
इस जांच में एफ़एसबी के भीतर क्रेमलिन के विरोधियों की हत्या करने वाले एक गुप्त दस्ते के होने के सबूत मिले. हालांकि रूस की सरकार ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है.
नेम्त्सोव की हत्या की जांच के लिए हमने सुखारेव द्वारा करवाई गई ट्रेन और फ़्लाइट बुकिंग के डेटा देखे तो पाया कि दोनों की यात्रा एक ही साथ एक ही जगह के लिए हुई थी.
नेम्त्सोव की ज़्यादातर यात्राएं मास्को और वहां से उत्तर-पूर्व दिशा में 272 किमी दूरी पर स्थित यारोस्लाव की थी. वो यारोस्लाव की क्षेत्रीय संसद के सदस्य थे.
दोनों के आने जाने के डेटा को देखने से साफ़ पता चलता है कि रूसी जासूस सुखारेव बोरिस नेम्त्सोव की यात्राओं के बारे में पहले से जानते थे. वो इसलिए कि सुखारेव अक्सर नेम्त्सोव से कुछ मिनट या कुछ घंटे पहले उसी शहर में आते थे.
एक यात्रा के डेटा से पता चलता है कि बोरिस नेम्त्सोव पर बड़ी बारीक़ी से नज़र रखी जा रही थी.
एक बार 2014 की गर्मी के दौरान वो साइबेरिया गए. उन्होंने 2 जुलाई को आधी रात के ठीक बाद अपनी फ़्लाइट ऑनलाइन बुक की. उसके ठीक 10 मिनट बाद सुखारेव ने भी उसी जगह 'नोवोसिबिर्स्क' जाने का एक टिकट ख़रीदा.
ग्रोज़ेव का मानना है कि एफ़एसबी का कोई जासूस इतनी सटीकता के साथ किसी को तभी ट्रैक कर सकता है, जब वो मैजिस्ट्रल का उपयोग करे.
वो कहते हैं, ''यदि आप एफ़एसबी के अधिकारी हैं, तो उस डेटाबेस में लॉग इन करके किसी ख़ास शख़्स पर नज़र रख सकते हैं. आप उन्हें कहीं का टिकट ख़रीदते, या पहले ख़रीदे हुए टिकटों के बारे में भी मालूम कर सकते हैं.''
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ज़हर देकर मारने वाला दस्ता
रूस में सुरक्षा एजेंसियों का वहां के प्रमुख विपक्षी नेताओं पर नज़र रखना कोई असामान्य बात नहीं है.
हालांकि जासूस सुखारेव एफ़एसबी के निचली रैंक के कर्मचारी मात्र नहीं थे. बेलिंगकैट ने अपने पहले की जांचों में उन्हें हत्या के दो प्रयासों में साफ़ तौर पर शामिल होने का सबूत जुटाया था. इन दोनों मामलों में शामिल लोग व्लादिमीर पुतिन के प्रमुख आलोचक थे.
सुखारेव का सबसे पहला निशाना बोरिस नेम्त्सोव के दोस्त और विपक्ष के एक और नेता व्लादिमीर कारा-मुर्ज़ा थे. उन्होंने बाद में क्रेमलिन पर इसके लिए लगातार उंगलियां उठाईं.
मई 2015 में सुखारेव उसी समय रूस के शहर कज़ान गए, जब कारा-मुर्ज़ा वहां गए थे. वहां से मॉस्को लौटने के दो दिन बाद उन्हें सांस लेने में समस्या आई और वो गिर गए. उसके बाद वो कोमा में चले गए, जहां उनके कई अंग फेल हो गए. हालांकि वो ठीक होने में सफल रहे.
उसके बाद, उन्हें फिर से 2017 में ज़हर दिया गया, लेकिन इस बार भी वो बच गए. हालांकि रूस की सरकार इन आरोपों को ख़ारिज करती है कि उनके आदमियों ने कारा-मुर्ज़ा को ज़हर दिया था.
सुखारेव का दूसरा निशाना विपक्ष के नेता एलेक्सी नवेलनी थे. वो फ़िलहाल रूस की जेल में बंद हैं. उनके भ्रष्टाचार विरोधी वीडियो रूस के लाखों लोगों के बीच लोकप्रिय हैं.
नवेलनी को 2020 में नर्व एजेंट 'नोविचोक' देकर मारने की कोशिश की गई. नोविचोक का विकास सोवियत संघ के शासन में हुआ था. फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत यह प्रतिबंधित है.
बेलिंगकैट ने साबित किया कि नवेलनी को देश के पूर्वी शहर टॉम्स्क में ज़हर देने से ठीक पहले एफ़एसबी की एक टीम ने उनका पीछा किया था.
हालांकि सुखारेव ज़हर देने वाली ग्राउंड टीम के सदस्य नहीं थे, लेकिन फोन रिकॉर्ड से पता चला कि सुखारेव ने ग्राउंड टीम के कम से कम 4 सदस्यों के साथ 145 फ़ोन कॉल या संदेशों के ज़रिए संपर्क क़ायम किया था.
वैसे रूस की सरकार का हमेशा से कहना रहा है कि नवेलनी को ज़हर देने में उसकी कोई भूमिका नहीं रही है.
बीबीसी ने अपने पास मौजूद सबूतों पर रूस की सरकार और एफ़एसबी से जवाब मांगा. इस पर एफ़एसबी ने तो कोई जवाब ही नहीं दिया.
वहीं क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "इस सब का रूस की सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. यह एक नए क़िस्म का झूठ है."
- जांच: क्रिस्टो ग्रोज़ेव, योर्डन सालोव, रोमन डोब्रोख़ोतोव
- डॉक्यूमेंट्री प्रोडक्शन: अलियौम लेरॉय, एंटोनी शियरर, बेर्ट्राम हिल, शार्लोट पैमेंट
- एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: डेनियल एडमसन
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