#USAttackedSyria: कौन हैं सीरिया के 'तानाशाह' बशर अल-असद, जानें उनके बारे में सब-कुछ
सीरिया में पिछले सात वर्षों से जारी हालातों के बीच ही यहां के राष्ट्रपति बशर अल-असद का नाम चर्चा में है। पिछले दिनों सीरिया के डौमा में हुए केमिकल अटैक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने असद को एक जानवर करार दिया था।
दमिश्क। सीरिया में पिछले सात वर्षों से जारी हालातों के बीच ही यहां के राष्ट्रपति बशर अल-असद का नाम चर्चा में है। पिछले दिनों सीरिया के डौमा में हुए केमिकल अटैक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने असद को एक जानवर करार दिया था। असद को पश्चिमी देश एक तानाशाह बुलाने लगे हैं और सीरिया में सदी की सबसे भयानक त्रासदी के लिए उन्हें ही जिम्मेदार मान रहे हैं। असद सीरिया के राष्ट्रपति जरूर हैं लेकिन उन्हें यह पद सिर्फ संयोगवश ही मिला था। विशेषज्ञों की मानें तो असद कभी इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लायक ही नहीं हैं। आइए आज आपको सीरिया के राष्ट्रपति असद के बारे में बताते हैं और यह भी जानिए कि जब उन्हें राष्ट्रपति पद दिया गया था तो लोगों को लगा था कि वह पश्चिमी देशों के साथ सीरिया के संबंध बेहतर कर सकते हैं।
बनना चाहते थे डॉक्टर
असद कभी भी सीरिया के शासक बनने का सपना नहीं देख रहे थे बल्कि वह तो मेडिसन में अपना करियर बनाना चाहते थे। साल 1994 में उनके बड़े भाई बासेल की कार क्रैश में मौत हो गई और उन्हें एक नए करियर को अपनाना पड़ गया। असद लंदन में ऑप्थेमोलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे। भाई की मौत के बाद उनके पिता हाफिज, जो उन दिनों सीरिया के राष्ट्रपति भी थे, ने उन्हें सीरिया वापस बुलाया। असद को वापस बुलाने का मकसद उन्हें राजनीति के दांवपेंच सीखाना था।
बने सीरिया के राष्ट्रपति
साल 2000 में असद के पिता की मौत हो गई और असद को राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी मिल गई। जिस समय असद को राष्ट्रपति बनाया गया तो कई लोगों ने उम्मीद जताई कि शिक्षित और पश्चिमी सोच वाले असद शायद सीरिया में आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता ला पाएंगे जिसकी इस देश को कई दशकों से जरूरत थी। लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सका और आज असद वॉर क्राइम के दोषी हैं। वह विद्रोहियों और आईएसआईएस आतंकियों के बीच हो रहे सिविल वॉर में घिर गए हैं।
मिलिट्री के प्रभाव से परेशान सीरिया के लोग
विशेषज्ञों के मुताबिक न सिर्फ सीरिया बल्कि पश्चिमी देशों को भी असद से काफी उम्मीदें थी। उनके पास अच्छी शिक्षा थी और वह कई देशों के साथ संपर्क बनाने में सहज थे। ऐसा कुछ नहीं हुआ और साल 2011 में शुरू हुई अरब क्रांति ने सीरिया को भी अपने कब्जे में ले लिया। सीरिया के कई नागरिक न सिर्फ देश में बढ़ते मिलिट्री प्रभाव से गुस्से में थे बल्कि वह सरकार के करीबियों की बढ़ती ताकत से भी उनमें काफी निराशा थी। इसी निराशा और गुस्से ने सीरिया को युद्ध की तरफ धकेल दिया।
पत्नी सुन्नी समुदाय की और असद अलावाइत
असद की पत्नी अस्मां भी काफी ग्लैमरस हैं और ब्रिटेन में सीरियन मां-बाप ने उनकी परवरिश की है। असद से शादी होने से पहले आस्मां इनवेस्टमेंट बैंकर के तौर पर काम करती थीं। जिस समय असद ने सीरिया की कमान संभाली उससे कुछ ही समय पहले अस्मां के साथ उनकी शादी हुई थी। आस्मां सुन्नी समुदाय से आती हैं तो असद अलवाइत समुदाय से हैं। सीरिया की फर्स्ट लेडी के तौर पर आज आस्मां को एक स्टाइल आइकॉन माना जाता है और महिलाओं के लिए उनके प्रगतिशील विचारों की वजह से उनकी काफी तारीफ भी होती है। असद और आस्मां के तीन बच्चे हैं।
एक तानाशाह का उदय
असद ने खुद को एक ऐसी जगह पर रखा है जहां पर उन्हें सीरिया में विद्रोहियों और जेहादियों की तुलना में ज्यादा कानूनी और स्थिर माना जाता है। वहीं उनके शासन को मानवाधिकार उल्लंघन करने वाला और विद्रोहियों को चुप कराने वाला माना जाता है। राष्ट्रपति बनने के बाद असद के पहले आदेश ने सीरिया में विद्रोह को हवा दी थी। सीरिया में सब-कुछ सही चल रहा था। सबको बोलने की आजादी थी, राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जा रहा था और आर्थिक सुधारों से जुड़े कई फैसले भी लिए जा रहे थे। साल 2001 में सीरिया के ये अच्छे दिन खत्म हो गए और सरकार ने हर उस राजनीतिक मंच के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया जिसने लोगों को बोलने की आजादी थी।
नागरिकों की हत्या का आरोप
असद ने दमन की पुरानी नीति को अपनाया और सीक्रेट सिक्योरिटी पुलिस की मदद से अपनी मांगों को लोगों को लागू करवाने का काम शुरू किया। इसके साथ ही सीरिया में एक दशक तक दमन और मानवाधिकारों को तोड़ने का काम चला। यहां की मीडिया भी सरकार के नियंत्रण में है और इंटरनेट पर बैन लगा है। सीरिया में आज भी सिर्फ एक पार्टी का ही राज है और वह है असद की बार्थ पार्टी जिसने साल 2014 में पहली बार हुए चुनावों में फिर से अपना नियंत्रण कायम रखा। असद पर कई नागरिकों को मारने के लिए टनों बमों के प्रयोग और सीरिया के इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करने का आरोप है। यह अलग बात है कि असद हर बार इन आरोपों से इनकार करते आए हैं।
13,000 लोगों को फांसी पर लटकाया
साल 2013 में असद पर सीरिन गैस के प्रयोग से 1400 नागरिकों की हत्या का आरोप लगा। साल 2017 में एमेनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि सीरिया में 13,000 लोगों को मिलिट्री के नियंत्रण वाली जेल सायदनाया में चुपके से फांसी दे दी गई थी। असद सरकार पर अप्रैल 2017 में ही सीरिया के इदलिब प्रांत में केमिकल अटैक का आरोप लगा जिसमें 80 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।