‘अब कुछ भी ठीक नहीं रहेगा’, स्वीडन और फिनलैंड के NATO में शामिल होने पर पुतिन की चेतावनी
तुर्की के वीटो वापस लेने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को एक बैठक की शुरुआत में अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तईप एर्दोगन को धन्यवाद दिया।
मॉस्को, जून 30: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी दी है, कि अगर वे अपने क्षेत्र में नाटो सैनिकों और सैन्य बुनियादी ढांचे का स्वागत करते हैं, तो मास्को उसका पूरी तरह से जवाब देगा। तुर्कमेनिस्तान में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि, नाटो सैन्य गठबंधन यूक्रेन संघर्ष के जरिए अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
व्लादिमीर पुतिन की चेतावनी
स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है और अब ये तय हो चुका है, कि ये दोनों देश नाटो का हिस्सा बनेंगे। जिसको लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारी आगबबूला हैं और उन्होंने कहा कि, 'हमें ये स्पष्ट और सटीक तौर पर समझना चाहिए, कि पहले कोई खतरा नहीं है, लेकिन अगर फिनलैंड और स्वीडन में नाटो फोर्स की तैनाती और सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाता है, तो हमे उसका माकूल जवाब देना होगा। हमें उन क्षेत्रों में कदम उठाना होगा, जिन क्षेत्रों में हमारे लिए खतरे पैदा हुए हैं।' रूसी राष्ट्रपति ने ये चेतावनी उस वक्त दी है, जब दोनों नार्डिक देश नाटो गठबंधन में शामिल हो गये हैं।
‘हमें नहीं पड़ता है कोई फर्क’
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि, स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने से रूस को कोई फर्क नहीं पड़ता। पुतिन ने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने से परेशान कर सके। अगर वे इसमें शामिल होना चाहते हैं, तो प्लीज...।" आपको बता दें कि, स्वीडन और फ़िनलैंड दशकों की तटस्थता को औपचारिक रूप से समाप्त करने और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए तैयार हैं, जो गठबंधन के लिए एक ऐतिहासिक सफलता है जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक झटका है। सीएनएन के अनुसार, मंगलवार को तुर्की ने उन दोनों देशों के नाटो में शामिल होने को लेकर अपना वीटो वापस ले लिया है और बड़ी बाधा खत्म हो गई है। नाटो को ये कामयाबी मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान मिली, जो पहले से ही सैन्य गठबंधन के इतिहास में सबसे अधिक परिणामी बैठकों में से एक बन गई है।
बाइडेन ने तुर्की को दिया धन्यवाद
तुर्की के वीटो वापस लेने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को एक बैठक की शुरुआत में अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तईप एर्दोगन को धन्यवाद दिया। बाइडेन ने एर्दोगन से कहा कि, 'फिनलैंड और स्वीडन के संबंध में स्थिति को एक साथ रखते हुए, आपने जो किया, उसके लिए मैं विशेष रूप से आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, और सभी अविश्वसनीय काम जो आप यूक्रेन से अनाज निकालने की कोशिश करने जा रहे हैं, उसके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देता हूं।" मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन में बाइडेन ने कहा कि, 'आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं'। आपको बता दें कि, यूक्रेन से अनाज निर्यात करने को लेकर तुर्की रूस के साथ बातचीत कर रहा है। सीएनएन ने बताया कि, एर्दोगन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कूटनीति यूक्रेन से अनाज निकालने में मदद करेगी। एर्दोगन ने बाइडेन से कहा, 'मैं प्रार्थना करता हूं कि हम कूटनीति के माध्यम से संतुलन को फिर से स्थापित करने में सक्षम होंगे, ताकि सकारात्मक परिणाम हासिल किए जा सकें, खासकर अनाज के संबंध में'।
नाटो में शामिल हुआ स्वीडन और फिनलैंड
इस बीच, मंगलवार को मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन शुरू हुआ, जिससे पश्चिमी सैन्य गठबंधन को मास्को के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा दिखाने और फिनलैंड और स्वीडन के गठबंधन में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिली यह सौदा यूरोप में सुरक्षा गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है क्योंकि नॉर्डिक देश सैन्य गठबंधन में प्रवेश करने के लिए अपनी दशकों पुरानी तटस्थता को छोड़ देते हैं।
रूस की सारी धमकियां बेअसर
इससे पहले फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार धमकी दे चुके हैं। रूस नार्डिक देशों के इस कदम से आगबबूला तो है, लेकिन ऐसा लग रहा है, कि अब रूस विकल्पहीन हो चुका है। रूस ने पहले फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी दी थी, कि उन्होंने नाटो से जुड़ने का ऐलान कर एक 'बहुत बड़ी गलती' कर दी है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने पिछले महीने कहा था, कि फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होना एक गलती है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे और वैश्विक स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। रयाबकोव ने कहा था कि, फिनलैंड और स्वीडन को इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि रूस उनके फैसले को आसानी से स्वीकार कर लेगा। लेकिन, अब लग नहीं रहा है, कि रूस इसके खिलाफ कोई कदम उठाने की स्थिति में भी है, क्योंकि यूक्रेन में पहले ही रूस की सांसे लड़खड़ा चुकी हैं।
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