US Election 2020: कोरोना वायरस के डर के चलते टूट रहे अर्ली वोटिंग के रिकॉर्ड, फिर भी बाइडेन की राह मुश्किल
वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों को अब बस 9 दिन बचे हैं और इलेक्शन डे से पहले यहां अर्ली वोटिंग ने नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। रविवार को एक पोल ट्रैकर के मुताबिक साल 2016 की तुलना में साल 2020 में चुनावों से पहले बैलेट ने नया रिकॉर्ड बना लिया है। 3 नवंबर को इलेक्शन डे है और जनता अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। इस बार मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट जो बाइडेन के बीच है।
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पोलिंग बूथ पर भीड़ से डरे वोटर्स
कोरोना वायरस महामारी के चलते बहुत से मतदाताओं को डर है कि इलेक्शन डे पर पोलिंग बूथ पर भारी भीड़ होगी। इस वजह से वो पोलिंग बूथ पर भीड़ के समय जाने से बच रहे हैं। इस वजह से ही मतदाता या तो मेल के जरिए अपना बैलेट पेपर पोस्ट कर रहे हैं या फिर खुद ही जाकर अपना वोट डाल रहे हैं। यूएस इलेक्शन प्रोजेक्ट जिसे फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी की तरफ से संचालित किया जा रहा है, उसकी तरफ से बताया गया है कि रविवार तक 59 मिलियन से ज्यादा मतदाताओं ने अपना वोट डाला है। जबकि यूएस असिस्टेंस कमीशन की वेबसाइट के मुताबिक साल 2016 में इतने समय तक 57 मिलियन लोगों ने ही अर्ली वोटिंग में अपना वोट डाला था। डेमोक्रेट्स को इस अर्ली वोटिंग से काफी प्रोत्साहन मिल रहा है। पार्टी अर्ली वोटिंग में लीड कर रहे हैं लेकिन विश्लेषकों की मानें तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि बाइडेन आसानी से चुनाव जीत सकते हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने किया धांधली का दावा
राष्ट्रपति ट्रंप पिछले कई माह से दावा करते आ रहे हैं कि डाक मतपत्रों में जमकर धांधली होती है। हालांकि इस बात को साबित करने के लिए उन्होंने अभी तक कोई सुबूत पेश नहीं किया है। ऐसे में कई रिपब्लिकंस इलेक्शन डे वाले दिन ही वोट करेंगे, इस बात की संभावना कई गुना बढ़ गई है। अमेरिका में लगातार कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा हो रहा है। इस बात को भी चुनाव विश्लेषक नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर माइकल मैकडॉनल्ड ने इस रणनीति को खतरनाक करार दिया है। माइकल ही इलेक्शन प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं। इलेक्शन प्रोजेक्ट के मुताबिक इस वर्ष 150 मिलियन लोग वोटिंग कर सकते हैं जबकि साल 2016 में यह आंकड़ा 137 मिलियन था।