क्या रूस कर रहा है 'फॉल्स फ्लैग' ऑपरेशन की तैयारी? जानिए क्यों पुतिन के 'प्लान' से डरा है अमेरिका
यूक्रेन की सेना पिछले 7 सालों से रूस के साथ दो मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। एक तरह यूक्रेन की सीमा पर रूस के एक लाख से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं, तो एक सीमा पर रूस समर्थक विद्रोही भी यूक्रेन की नाक में दम किए हुए हैं।
वॉशिंगटन/मॉस्को, जनवरी 15: क्या रूस वास्तव में यूक्रेन पर हमला करने वाला है और क्या अगले एक से दो महीने में हमारी धरती पर भीषण जंग होने जा रहा है, कम से कम अमेरिका ने तो इसकी पुष्टि कर दी है और व्हाइट हाउस की तरफ से पहली बार बताया गया है, कि अमेरिका आखिर किस तरह से यूक्रेन पर हमला करने वाला है। अमेरिका ने कहा है कि, यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस सिर्फ एक मौके की तलाश में है और यूक्रेन रूस को कोई भी मौका नहीं दे रहा है, लिहाजा रूस अब खुद ही उस मौके को बनाएगा।
क्या है 'फॉल्स फ्लैग' ऑपरेशन
अमेरिका ने बहुत बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि, उसके पास खुफिया जानकारी है, कि यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस बहाने की तलाश में है और रूस अब यूक्रेन पर हमला करने के लिए पूर्वी यूक्रेन से अपनी ही सेना पर 'फॉल्स फ्लैग' अभियान की योजना बना रहा है। जिसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर हमला करने का फौरन आदेश दे देंगे। हालांकि, अमेरिका की तरफ से अपने दावों की पुष्टि के लिए किसी भी तरह के सबूत पेश नहीं किए गये हैं, लेकिन, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि, ऐसे गुर्गों को ट्रेन किया गया है, जो यूक्रेन के अंदर से रूसी सैनिकों पर हमला कर सकते हैं और उनपर बम फेंक सकते हैं, ताकि युद्ध का आगाज हो जाए।
हमला करने की जमीन बना रहा रूस?
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा कि, "रूस आक्रमण के बहाने बनाने के लिए विकल्पों की तलाश कर रहा है और अपने विकल्पों को आधार दे रहा है"। व्हाइट हाउस की तरह से कहा गया है कि, पूर्वी यूक्रेन से रूसी सेना पर एक हमला किया जाएगा और फिर रूस की तरफ से उस हमले के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और फिर रूस कहेगा कि, वो बदले की कार्रवाई कर रहा है''। व्हाइट हाउस प्रवक्ता ने कहा कि, ''रूसी सेना ने सैन्य आक्रमण से कई सप्ताह पहले इन गतिविधियों को शुरू करने की योजना बनाई थी, जो जनवरी के मध्य से फरवरी के मध्य में शुरू हो सकती है।'' यानि, अमेरिका का कहना है कि, अगले एक महीने में रूस किसी ना किसी बहाने यूक्रेन पर हमला कर देगा।
रूस ने खारिज किए दावे
अमेरिका ने कहा कि, मास्को उसी प्लेबुक का उपयोग कर रहा है, जैसा उसने 2014 में किया था, जब रूस ने यूक्रेन के एक हिस्से क्रीमिया को यूक्रेन से छीन लिया था। वहीं, पेंटागव के प्रवक्ता ने कहा है कि, उनके पास इस बाबत काफी 'पुख्ता' जानकारी है। वहीं, अमेरिकी दावों को रूस ने साफ तौर पर खारिज कर दिया है। रूसी समाचार एजेंसी TASS से रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि, अमेरिकी रिपोर्ट निराधार हैं। आपको बता दें कि, यूक्रेन पर बहुत बड़ा साइबर हमला भी किया गया है, जिससे यूक्रेन में बिजली और पानी संकट पैदा हो गया है और यूक्रेन की स्थिति काफी खराब हो गई है।
यूक्रेन पर अमेरिका बनाम रूस
आपको बता दें कि, रूस के एक लाख से ज्यादा सैनिक पिछले 3 महीने से यूक्रेन की सीमा पर भारी हथियारों के साथ मौजूद हैं और आशंका जताई जा रही है कि, कि कभी भी रूसी सैनिक यूक्रेन पर हमला कर सकते है। वहीं, ये भी माना जा रहा है कि, अमेरिका के आरोप साफ तौर पर रूस के यूक्रेन पर किसी भी तरह के संभावित हमले को रोकने के लिए हो सकते हैं, जिसके तहत कई खुफिया जानकारियों को आदान-प्रदान किया गया है। वहीं, यूक्रेन पर हुए साइबर हमले को लेकर यूक्रेन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंकों ने न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगा, कि यूक्रेन पर हुए साइबर हमले के पीछे किसका हाथ है।
नाटो के साथ वार्ता फेल
वहीं, रूस और नाटो के बीच सैन्य वार्ता भी फेल हो चुकी है, जिसके बाद रूस और अमेरिका के बीच के संबंधों में और भी ज्यादा तनाव आ गया है और अमेरिका के एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने रूस पर हमला करने की भी धमकी दे दी है। जबकि, रूस का साफ तौर पर कहना है कि, यूक्रेन में नाटो की सेना का आना और पूर्वी हिस्से की तरफ नाटो की सेना का आना उसे अस्वीकार्य है और रूस तब तक तनाव को कम नहीं करेगा, जब तक नाटो पूर्वी क्षेत्र में अपना विस्तार करना बंद नहीं करता है। रूस का कहना है कि, अमेरिकी नेतृत्व वाला सैन्य संगठन नाटो शीतयुद्ध की तरह ही रूस को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है और रूस इसे कामयाब नहीं होने देगा। रूस के उप विदेश मंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि, नाटो का व्यवहार रूस के लिए खतरनाक है और रूस अपनी रक्षा की तैयारी कर रहा है।
सात सालों से चलता रूस-यूक्रेन में संघर्ष
यूक्रेन की सेना पिछले 7 सालों से रूस के साथ दो मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। एक तरह यूक्रेन की सीमा पर रूस के एक लाख से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं, तो एक सीमा पर रूस समर्थक विद्रोही भी यूक्रेन की नाक में दम किए हुए हैं। आपको बता दें कि, यूक्रेन और रूस समर्थक अलगाववादियों के बीच संघर्ष में अब तक 14 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 3 हजार 393 आम नागरिकों की मौत हुई है। इस बीच, यूक्रेन के लिए एक और सीमा मुद्दा है। हजारों प्रवासी जो महीनों से बेलारूस से यूरोपीय संघ में जाने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी यूक्रेन के लिए एक समस्या बन गए हैं। यूक्रेन ने बेलरून में बड़े पैमाने पर एकत्र हुए प्रवासियों को अपने क्षेत्र में नहीं जाने की चेतावनी देते हुए कहा है कि उन्हें किसी भी हालत में यूक्रेन में नहीं आने दिया जाएगा।
क्या है क्रीमिया को लेकर विवाद?
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से को क्रीमिया कहा जाता है और ये यूक्रेन का हिस्सा था। लेकिन 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इस संघर्ष में इस दौरान 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जिनमें काफी ज्यादा संख्या में यूक्रेन के निवासी थी। इसके साथ ही रूस ने क्रीमिया में अब भी करीब 28 हजार से ज्यादा हथियारबंद को तैनात कर रखा है। ये लोग अलगाववादी हैं, जो रूस का समर्थन करते हैं और जिन्हें रूस का समर्थन हासिल हैं। इन अलगाववादियों को डॉनबास के नाम से जाना जाता है। इन लोगों ने 2015 में यूक्रेन की सरकार के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह का ऐलान कर दिया था और इनकी लड़ाई अब भी जारी है।