अमेरिकी चुनाव में कश्मीर और धार्मिक आजादी जैसे मुद्दे उठने से किसको नुकसान
नई दिल्ली- एक अमेरिकी थिंक टैंक ने दावा किया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंधों का डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में फायदा मिल सकता है। ट्रंप इस बात को लेकर खुश हो सकते हैं कि पिछले चुनाव में जिस भारतीय अमेरिकी समुदाय का वोट ज्यादातर हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में गया था, इस बार वह उनके पक्ष में आ सकता है। इसकी वजह एक तो पीएम मोदी से उनकी घनिष्ठ मित्रता तो है ही, दूसरा ये भी कि उनकी विरोधी पार्टी ने भारत के कश्मीर और धार्मिक आजादी जैसे मामलों की अब तक खूब आलोचनाएं की हैं। थिंक टैंक को लगता है कि यह गलती डेमोक्रैटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडेन को नुकसान पहुंचा सकता है।
पीएम मोदी का बखान कर वोट बटोरेंगे ट्रंप ?
अटलांटिक काउंसिल नाम के एक अगुवा अमेरिकी थिंक टैंक का दावा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे ताल्लुकातों का फायदा रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार को मिलेगा। क्योंकि, इसकी वजह से ट्रंप भारतीय-अमेरिकियों का ज्यादा समर्थन जुटा सकेंगे। यही नहीं इस थिंक टैंक ने यह भी दावा किया है कि डेमोक्रैट्स ने कश्मीर मुद्दे पर अब तक जिस तरह का स्टैंड लिया है, उसका उसे चुनावों में भारतीय-अमेरिकी वोटों के जरिए खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने प्रचार के दौरान भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बीच पीएम मोदी से अपनी मित्रता का खूब बखान भी कर चुके हैं।
भारतीय-अमेरिकियों में ट्रंप का समर्थन बढ़ा- थिंक टैंक
अटलांटिक काउंसिल का कहना है कि हालांकि भारतीय-अमेरिकी समुदाय किसी भी दल से बंधा हुआ नहीं है और डेमोक्रैट्स को भी इनका समर्थन मिलेगा, लेकिन साथ ही उसने ये भी दावा किया है कि उनकी प्राथमिकता अब बदल चुकी है। 9 सितंबर को 'दि इंडियन अमेरिकन वोटर इन 2020' नाम से छपी इस स्टडी के मुताबिक, '2016 के राष्ट्रपति चुनाव की शुरुआत में भारतीय-अमेरिकियों ने डेमोक्रैटिक टिकट के लिए 1 करोड़ डॉलर से ज्यादा जुटाए थे, पूरे उत्साह के साथ (हिलेरी) क्लिंटन के राष्ट्रपति बनने का समर्थन किया। हालांकि,अमेरिकी राजनीति में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली फंडरेजिंग डेमोग्रैफिक्स में से एक, कुछ भारतीय अमेरिकी दानदाताओं का धीरे-धीरे अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर झुकाव दिखाना शुरू हो गया है।'
कश्मीर की वजह से बाइडेन को होगा नुकसान-रिपोर्ट
अमेरिकी थिंक टैंक ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय में आ रहे इस बदलाव का कारण भी बताया है। इसके मुताबिक, '2019 के सितंबर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान ह्यूस्टन के (उनके हाउडी मोदी कार्यक्रम के) ओपनर में उपस्थित होने से लेकर फरवरी में गुजरात के मोदी के होमटाउन की प्रभावी राजकीय यात्रा तक राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय से जुड़ने और उन तक पहुंचने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए हैं।' यही नहीं अमेरिकी थिंक टैंक ने ये भी दावा किया है कि बराक ओबामा के जमाने से लेकर अब तक काफी बदलाव आ चुका है। इसके मुताबिक, '(इसके अलावा) डेमोक्रैट्स भारत में धार्मिक आजादी और खासकर कश्मीर को लेकर लगातार आलोचनात्मक टिप्पणियां करते रहे हैं।' स्टडी ने इशारा किया है कि शायद इसकी वजह से भारतीय अमेरिकी समुदाय प्रभावित हुआ है।
2016 में हिलेरी क्लिंटन को मिला था भारी समर्थन
वैसे अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में एशियन-अमेरिकी समुदाय ने ऐतिहासिक तौर पर डेमोक्रैटिक पार्टी का समर्थन किया है। 2016 के एग्जिट पोल से मिले संकेतों से पता चलता है कि उस चुनाव में 5 में से 4 (79%) एशियन-अमेरिकियों ने हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में वोट किया था और ट्रंप को सिर्फ 18% वोट मिले थे। अटलांटिक काउंसिल के मुताबिक इनमें भी साउथ एशियंस (ज्यादातर भारतीय अमेरिकी) के 90% वोट डेमोक्रैटिक उम्मीदवार क्लिंटन के पक्ष में गए थे।
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