BBC Modi documentary: अमेरिका ने 48 घंटे में बदला अपना स्टैंड, बाइडेन के पलटने से मोदी सरकार होगी हैरान
अमेरिका अकसर भारत में मानवाधिकार और प्रेस फ्रीडम पर सवाल उठाता रहा है, जिसका मोदी सरकार ने तीखा जवाब भी दिया है। वहीं, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को भारत ने प्रोपेगेंडा बताया है।
US on BBC Modi Documentary: प्रधानमंत्री मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर बवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और सबसे हैरान करने वाली बात ये है, कि अमेरिका ने पीएम मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर अपना स्टैंड बदल लिया है। 48 घंटे के अंदर ही अमेरिका के रूख में बड़ा परिवर्तन आ गया है और इस बार अमेरिका ने फ्रीडम ऑफ प्रेस और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का हवाला देकर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का साथ देने की कोशिश की है।
अमेरिका ने 24 घंटे में बदला बयान
अमेरिकी विदेश विभाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर भारत द्वारा प्रतिबंध लगाने को प्रेस की स्वतंत्रता का मामला बताया है और अमेरिका ने कहा है, कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के महत्व को पूरी दुनिया में हाइलाइट करने का सही समय है और ऐसा भारत में भी लागू होता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बुधवार को एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में रेखांकित करते हुए कहा, कि वाशिंगटन दुनिया भर में स्वतंत्र प्रेस का समर्थन करता है, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों को हाइलाइट करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अमेरिका के रूख में क्यों आया परिवर्तन?
डेली मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक प्रश्न के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, कि 'हम दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व का समर्थन करते हैं। हम लगातार डेमोक्रेटिक प्रिंसिपल्स को हाइलाइट करते हैं, जिसमें फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, धार्मिक विश्वास चुनने की आजादी, मानवाधिकार की मजबूती शामिल है, जिससे हमारे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। यह एक प्वाइंट है, जिससे हम दुनिया भर में अपने रिश्ते बनाते हैं। यह निश्चित रूप से एक बिंदु है, जिसे हमने भारत के साथ भी शामिल किया है।" अमेरिका का नया बयान थोड़ा हैरान करने वाला है, क्योंकि इससे ठीक 48 घंटे पहले डेली प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ही, नेड प्राइस ने कहा था, कि हमें इस डॉक्यूमेंट्री के बारे में जानकारी नहीं है और ऐसे कई तत्व हैं जो भारत के साथ अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हैं, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और असाधारण रूप से गहरे लोगों से लोगों के बीच संबंध शामिल हैं।
अमेरिका ने पहले क्या कहा था?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इससे पहले पाकिस्तान के एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए भारत के लोकतंत्र को जीवंत बताया था और कहा था, कि "हम हर उस चीज़ को देखते हैं, जो हमें एक साथ जोड़ती है, और हम उन सभी तत्वों को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं, जो हमें एक साथ बांधते हैं।" इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों को भी रेखांकित किया था। इसके साथ ही उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया, कि अमेरिका भारत के साथ जो साझेदारी साझा करता है, वह असाधारण रूप से गहरी है और दोनों राष्ट्र उन मूल्यों को साझा करते हैं, जो अमेरिकी लोकतंत्र और भारतीय लोकतंत्र के लिए सामान्य हैं। उन्होंने कहा था, कि "मुझे इस डॉक्यूमेंट्री के बारे में जानकारी नहीं है, जिसकी आप बात कर रहे हैं, लेकिन मैं मोटे तौर पर कहूंगा, कि ऐसे कई तत्व हैं, जो वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित करते हैं, जो हमारे भारतीय भागीदारों के साथ है।"
ब्रिटेन ने किया था पीएम मोदी का बचाव
आपको बता दें, कि पिछले हफ्ते, यूके के प्रधान मंत्री ऋषि सनक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव किया था और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री सीरिज से खुद को दूर कर लिया था। यूके के पीएम ऋषि सुनक ने देश के संसद में कहा था, कि वह अपने भारतीय समकक्ष के चरित्र चित्रण से सहमत नहीं हैं। सुनक ने ये टिप्पणी पाकिस्तान मूल के सांसद इमरान हुसैन द्वारा ब्रिटिश संसद में उठाए गए विवादित डॉक्युमेंट्री पर की थी। आपको बता दें, कि यूके के नेशनल ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर हमला करते हुए दो-भाग की एक सीरिज प्रसारित की है। जिसको भारत में बैन कर दिया गया है, वहीं भारत में यूट्यूब से भी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को हटाने के लिए कहा गया है। वहीं, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने पर भारत का विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है।
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